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आिरण कथा






                                अिस्त क्रांतत...



          गिामी के िंबे कािखंड के बीच ्संघर्षपथ पर चिते हुए भारत को आजादी रमिी है। ्संघर्ष के इ्स ्सरर में अगसत
            ु
         का महीना खा्सा महतव रखता है। ््ोंरक भारत की आजादी की नींव कहे जाने वािे तीन महतवप््ष जनआंदोिन की
                                                                                            ू
         वर्षगांठ अगसत के माह में ही पड़ती है… और इ्सीरिए, ऐ्से ्सम् जब देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, हमें क्रांरत
                       के माह अगसत में इन तीन आंदोिनों और उनके प्रभाव के बारे में भी जानना चारहए…...







                                                                    भारत छोड़ो - करो या मरो…

                                                                                   े
                                                                    आंदोलन क 80 िर्ष पूरे
                                                                    आजादी के आंदोिि में 8 अगसत की तािीख का बहुत बड़ा
                                                                    महतव है। आज ही के लदि, 8-9 अगसत 1942 की मधर्िालत्
                                                                    में िाष्ट्रलपता महातमा गां्धी की अगुवाई में आजादी के लिए
                                                                    एक लविाट जिांदोिि शुरू हुआ ्ा, अंग्जरों भाित छोड़ो
                                                                                               े
                                                                    के सा् किो र्ा मिो का िािा िगा ्ा। अब वत्यमाि िेतृतव
                                                                    “किेंगे औि किके िहेंगे” के मंत् को जिांदोििरों की
                                                                       मू
                                                                    मजबत कड़ी बिा िहा है। 'भाित छोड़ो आंदोिि' भाित को
                                                                    तुिंत सवतंत्ता िहीं लदिवा पार्ा, िलकि इसका दमूिगामी
                                                                                          े
                                                                    परिणाम सुखदार्ी िहा। र्ही वजह है लक इस आंदोिि
                                                                    को 'भाित की सवा्धीिता के लिए लकर्ा जािे वािा अंलतम
                                                                    महाि प्रर्ास' कहा गर्ा। र्ह सबसे तीव्र औि लवशाि जि
                                                                    आंदोिि ्ा।





                              असहयोि आंदोलन                  स्वदशी आंदोलन
                                                                   े
                                       ं
             उपलिवेशवाद के लविो्ध में महातमा गा्धी िे देशवालसर्रों से अपीि   बंगाि लवभाजि की घोिणा के बाद 7 अगसत, 1905 को सवदेशी आंदोिि की
              किते हुए असहर्ोग की मांग की। औपचारिक रूप से 1 अगसत     शुरुआत हुई। भाितीर्रों िे सिकािी सेवाओं, सकिरों, नर्ार्ािर्रों औि लवदेशी
                                                                                           कू
                                               ं
                1920 को आंदोिि शुरू किते हुए  महातमा गा्धी िे कहा लक   वसतओं का बलहष्काि कि सवदेशी वसतओं को बढ़ावा दिे का संकलप लिर्ा।
                                                                ु
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                                                                                                 े
            सककूि, कॉिेज औि नर्ार्ािर् ि जाएं औि ि ही कि चुकाएं। र्लद   र्ािी र्े िाजिीलतक आंदोिि के सा्-सा् अंग्ेजरों पि आल्क चोट किि  े
                                                                                                   ्य
              असहर्ोग का ठीक ढंग से पािि लकर्ा जाए तो भाित एक वि्य   वािा आंदोिि भी ्ा। सवदेशी आंदोिि िे मुखर् रूप से तीि िेताओं को
                                                    े
            के भीति सविाज प्रापत कि िेगा। इस पमूिे आंदोिि में अंग्जरों की   जनम लदर्ा लजिमें  बाि गंगा्धि लतिक, लबलपि चंद्र पाि औि िािा िाजपत
           क्कूिताओं के लखिाफ केवि अलहंसक सा्धिरों को अपिार्ा गर्ा ्ा।  िार् शालमि ्े। र्े तीिरों िाि, पाि औि बाि के रूप में जािे जाते ्े।
            असह्योग आंदोलन का सककूल-कॉलेज और न्या्याल्यरों पर   आंदोलन के पररणामस्रूप ्ष्य 1905-1908 के दरौरान ध्दर्ी
                                                                                                         े
                                                                                              े
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                                                                         े
            सबसे अधिक प्रभा् पड़ा। कामगाररों ने काम बंद कर धद्या।   आ्यात में उललखनी्य धगरा््ट आई। इससे दर् में स्दर्ी
               एक सरकारी ररपो्ट्ड के अनुसार 1921 में 396 हड़ताल   कपड़ा धमलरों, साबुन और माधिस की फैक्ट््यरों, िम्यर्ोिन
             हुईं धजसमें 6 लाख श्रधमक र्ाधमल हुए और 70 लाख का्य्य   कारखानरों, बैंकरों, बीमा कंपधन्यरों, दुकानरों आधद की स्ापना हुई।
                                    धद्सरों का नुकसान हुआ।     इसने भारती्य कु्टीर उद्ोग को भी पुनजशीध्त धक्या।



          36  न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 अगस्त 2022
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