Page 62 - NIS-HINDI 01-15 JUNE 2022
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लवदेश   कनािा में सरदार पट़ेि की प्रलतमा



        भारत-कनािा के रर्ते




        में एक नई शुरुआत





        सांसकृषतक के साथ-साथ, ऊजा्ष, षनवेश,
        वयापार तक कई मोचचों पर भारत और कनाडा

        एक-दूसरे के बेहद करीब हैं। कहते हैं कनाडा
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        में भी एक षमनी इषडया बसता है और इसकी
        झलक 1 मई को देखने को षमली जब ओं्ाररयो
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        के सनातन मषदर सांसकृषतक केंद्र में भारत को
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        एकता के सरि में षपरोने वाले सरदार वललभभाई
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        प्ल की मषत्ष की गई सथाषपत....
         ए     क  भाितलीर  दयुननरा  में  कहीं  भली  िहे,  नकतनली  हली

               पलीनढ़रों तक िहे, उसकली भाितलीरता, भाित के प्रनत
               ननष्ठा, लेश मात्र भली कम नहीं होतली। वो भाितलीर
        नजस देश में िहता है पूिली लगन औि ईमानदािली से उस देश
        कली भली सेवा किता है। जो लोकतांनत्रक मूलर, जो कतयावरों
        का  एहसास  उसके  पयुिखे  भाित  से  ले  गए  होते  हैं,  वो
        उसके नदल के कोने में हमेशा जलीवंत िहते हैं। कनािा के
        ओंटारिरो में सनातन मंनदि सांट्कनतक केंद्र एक ऐसा हली   आतमषनभ्षरता का अमृत संकलप
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        ट्थल है। गजिातली समाज विािा 1985 में ट्थानपत रह केंद्र   भाित के अमृत संकलप केवल भाित कली सलीमाओं तक हली सलीनमत नहीं है। र  े
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        ग्टि टोिंटो क्त्र में सांट्कनतक मदद, प्रचाि औि संिक्ण   संकलप नवशव भि में फैल िहे हैं, पिे नवशव को जोड़ िहे हैं। आज जब हम
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        का काम कि िहा है। 1 मई को इस केंद्र पि भाित के पहले   'आतमननभयाि भाित' अनभरान को आगे बढ़ाते हैं, तो नवशव के नलए प्रगनत कली
        उपप्रधानमंत्रली सिदाि वललभभाई पटेल कली प्रनतमा ट्थानपत   नई संभावनाएं खोलने कली बात किते हैं।
        कली गई। प्रधानमंत्रली निेंद्र मोदली ने इसे दोनों देशों के बलीच   मानवता का रिषतषनषधतव
        संबंधों का प्रतलीक बताते हए खासतौि पि वलीनिरो संदेश   आज जब हम रोग के प्रसाि के नलए प्ररास किते हैं, तो नवशव के हि
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        के विािा रहां लोगों को संबोनधत नकरा। अपने संबोधन में   वरस्कत के नलए'सवमे संत ननिामर:' कली कामना किते हैं। जलवार परिवतयान
                                                                         यु
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        उनहोंने भाित कली सभरता औि संट्कनत का नजक्र तो नकरा   औि सतत नवकास जैसे नवषरों को लेकि भली भाित कली आवाज पिली मानवता
                                                                                                     ू
        हली,  साथ  में  भाित  के  अमृत  संकलपों  को  भली  दोहिारा।     का प्रनतनननधतव कि िहली है।
        पिढ़ए प्रधानमंत्ी के संबोधन के अंश...             नए भारत का सवप्न
        वसुधैव कु्छुंबकम की भावना                        हमािा परिश्म केवल अपने नलए नहीं है, बस्लक भाित कली प्रगनत से पिली
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        भाित एक िाषरि होने के साथ हली एकमहान पिंपिा है, एक   मानवता का कलराण जड़ा है, हमें दननरा को रे अहसास नदलाना है। इसमें
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        वैचारिक अनधष्ठान है, एक सट्काि कली सरिता है। भाित   आप सभली भाितलीरों, भाितलीर मूल के सभली लोगों कली बड़ली भूनमका है। अमृत
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        वो शलीषया नचंतन है- जो 'वसधैव कुटुबकम' कली बात किता   महोतसव के रे आरोजन भाित के प्ररासों को, भाित के नवचािों को भली
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        है। भाित दूसिे के नकसान कली कलीमत पि अपने उतथान के   दननरा तक पहंचाने का माधरम बनें, रे हमािली प्राथनमकता होनली चानहए!
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        सपने नहीं देखता। भाित अपने साथ समपूणया मानवता के,   मझे नवशवास है नक अपने इन आदशथों पि चलते हए हम एक नरा भाित भली
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        पिली दननरा के कलराण कली कामना किता है।           बनाएंगे औि बेहति दयुननरा का सपना भली साकाि किगे। n
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          60  न् इंनि्ा समाचार | 1-15 जून 2022
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