Page 21 - NIS Hindi 01-15 March 2022
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आिि्ण कथा    नािी िक्ि








































                                     हर बेसहारा बच् के लिए
                                                                 े
                                     ममता की मूरत बन गईं


                                     हसंधु ताई





        ि    ्मारे देश ्म ्मां को ईशवर ्माना जाता ि।  ऐसे िमी ्मिारा्ट् कमी हसंध  ैं यु  आरक्ण  संसद में ि्तृति
                                                                                                      े
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                                    रै
            ताई िर उस बच् कमी ्मां बन गईं जो लावाररस सडकों पर घ्मते ि।
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                                                               जििरी 2016 में केंद्र सरकार
        पद्मश्मी स्मेत 750 से अहधक पयुरसकार उनि ह्मले तो पूरे देश ्म पिरान   िे सीआरपीएफ, सीआईएसएफ   2019 के आम चुिाि में
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        भमी ह्मलमी लहकन ्ि सफलता आसान निीं थमी। इसके पमीछे था एक लंबा   में हसपािी पद पर 33% महिला   महिलाएं सांसद चुिकर आई
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        संघष्च, हजसकमी शरुआत िई ्मिारा्ट् के वधा्च ्म उनके जन्म के साथ िमी।   आरक्ण अहििाय्ग हकया। यि   िैं ्तरो पंचाय्ती राज वयिसथा
        जन्म के बाद हसंधताई का ना्म हरंदमी रखा ग्ा था। हरंदमी ्मतलब, हकसमी   ऐसा कदम िै जरो सुरक्ा बलों   में बड़ी भागीदारी की िजि
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        कपड का कुतरा िआ ्टकडा, हजसका कोई ्मोल ना िो। पररवार कमी   में महिलाओं के प्ह्त सरोच करो   से 46% महिलाएं मितिपूण्ग
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        गरमीबमी रर्म पर थमी, इसमीहलए ना अचछमी परवररश ह्मलमी और ना िमी हशक्ा।   बदलिे िाला िै।   भूहमका हिभा रिी िैं।
        10 साल कमी उम्र ्म इस ननिीं समी जान कमी शादमी 30 वषजी् श्मीिरमी सपकाल
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                                                                                 े
        से कर दमी गई।  20 साल कमी उम्र ्म हरंदमी 3 बच्ों कमी ्मां बन रकमी थीं। रौथा   इसहलए हक्ा, क्ोंहक वो भूखे प्ट ्मरना निीं राितमी थमी। बाकमी का बरा खाना
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        बच्ा उसके प्ट ्म था, जब झूठ के हखलाफ आवाज उठाने पर उसके   उसने अपने साथ बांध हल्ा और अपनमी बच्मी के साथ रेल कमी प्टरर्ों कमी
                                                                              ें
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        पहत ने उसे घर से हनकाल हद्ा। खयुद हरंदमी के घर वालों ने भमी उससे ्मि   तरफ हनकल पडमी। रासत ्म एक भूखा ह्मला तो बरा खाना उसे दे हद्ा। तब
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        ्मोड हल्ा। उनिोंने एक ब्टमी को जन्म हद्ा। अकेले एक बच् को जन्म   से हसंधताई िर उस बच् कमी ्मां बन ग्मी, जो स्टेशन पर ्ा आसपास किीं
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        देना आसान निीं था। उनिोंने गभ्चनाल को पतथर से ्मार ्मार कर का्टा   बेसिारा पडा ह्मलता। जब बच् बढ़ने लगे तो हसंधताई ने सपमीर देनमी शयुरू कर
                                                                                                         यु
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        था। इसके बाद हसंध ्मे अपनमी ब्टमी के हलए रेलवे स्टेशन पर भमीख तक   दमी, हजससे डोनेशन ह्मल सके। इसमी वष्च 4 जनवरमी को उनका हनधन िआ
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        ्मांगमी। इसके बाद ्मरने का ख्ाल भमी ्मन ्म आ्ा। ्िमी सोर कर हरंदमी   तो खद प्धान्मंत्मी नरेंद् ्मोदमी ने टवमी्ट कर किा, “डॉ हसंधताई सपकाल को
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                                                                  ें
        ने उस हदन खूब सारा खाना इकट्ा हक्ा और उसे खाने लगमी। उसने ऐसा   स्माज ्म उनकमी नेक सेवा के हल्े ्ाद हक्ा जा्ेगा।”
                                                                                      ं
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