Page 16 - NIS Hindi 01-15 March 2022
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आिि्ण कथा नािी िक्ि
मा्तृति अिकाश करो बढ़ाकर 26
िफ्त हकया गया। साथ िी, रिेच का े
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अहििाय्ग हकया गया। ्ताहक कामकाजी
महिलाओं करो ि िरो करोई परेशािी।
लखिाफ अपराध पर कड़े कानून हैं, बिातकार जैसे जघनय मामिों में प्गलत का आधार बन रही हैं।
फांसी का भी प्ावधान लकया गया है। देशभर में फास्ट ट्रैक क़ोरसति भी लसफ्क कानूनी संरक्ण ही नहीं, मलहिाओं के आतमसममान के लिए
बनाई जा रही हैं और कानूनों का सखती से अनुपािन कराने के लिए केंद्र सरकार ने त़ो अलभयान चिा रखा है। केंद्र सरकार की अलधकांश
वयवसथाओं क़ो भी सुधारा जा रहा है। थानों में मलहिा सहायता डेसक य़ोजनाओं के जररए पररवार की मलहिाओं क़ो ही केंद्र में रखकर दसतावेज
की संखया बढाना ह़ो, चौबीस घं्टे उपिबध रहने वािी हेरपिाइन ह़ो, लदए जाते हैं। इतना ही नहीं, पहिे जममू-कशमीर में गैर कशमीरी से लववाह
साइबर क्राइम से लनप्टने के लिए प़ो्ट्डि ह़ो, ऐसे अनेक प्यास मलहिाओं करने पर मलहिाओं और उसके बच्चों क़ो पैतृक संपलत्त के हक से वंलचत
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की सुरक्ा का कवच बन रहा है। एक दौर था जब देश ने ‘लनभतिया कांड’ कर लदया जाता था। िलकन अनुच्द 370 और 35 ए क़ो लनरसत लकए
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जैसी तसवीर और असुरक्ा का माहौि देखा था, िलकन अब मौजूदा जाने के बाद इस क्त्र की मलहिाओं क़ो उसका हक लमिा है। प्वासी
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केंद्र सरकार मलहिाओं के लखिाफ अपराध पर ‘जीऱो ्टॉिरेंस’ की भारतीयों द्ारा शादी करने और लफर ़्ोड़ देने जैसे मामिों में भी कानून
नीलत से काम कर रही है। लट्पि तिाक के कानून ने तीन तिाक जैसी क़ो सखत बनाया गया है।
सलदयों की कुप्थाओं से नयाय लदिाकर संरक्ण और िड़ने की शशकत भारत की मलहिाएं आज सवतंत्र है, आलथतिक रूप से सशकत है, दृढ
दी है। इस कानून की महत्ता का अंदाजा इससे िगाया जा सकता है लक संकरप से िैस है, सुरक्ा का भाव है और लसफ्क सपने देख नहीं रहीं, बशरक
इस कानून के िागू ह़ोने के बाद लसफ्क द़ो साि में ही तीन तिाक के उसे साकार भी कर रही हैं त़ो उसकी बड़ी वजह प्धानमंत्री नरेंद्र म़ोदी के
मामिों में 80 से 82 फीसदी की कमी आई है, ज़ो मुशसिम मलहिाओं नेतृतव वािी दृढ लनशचय वािी सरकार के प्यास हैं। लजसकी वजह से
क़ो आतमसममान और सुरक्ा का भाव प्दान करने वािी है। िड़लकयां दशकों से चिी आ रही िड़की या मलहिा क़ो कमतर मानने की स़ोच में
हों या युवलतयां, मलहिाएं हों या बुजुगति माताएं, अगर आज िड़ने का क्रांलतकारी बदिाव आया है। अब िड़की के पैदा ह़ोने पर मायूसी के साथ
साहलसक कदम उठा पा रही हैं त़ो उसकी वजह है- बीते कु् वषमों में ‘िड़की हुई है’ कहने वािे उतसाह के साथ कहने िगे हैं ‘अरे वाह, घर
सामालजक वजतिनाओं क़ो त़ोड़कर की गई कानूनी पहि, तालक हर नारी में िक्मी आई है।’ ि़ोगों ने अब महसूस कर लिया है लक बेलमसाि ह़ोती है
अपने अलधकारों के प्लत सजग ह़ोकर मुकाबिा कर सके। मलहिाओं बेल्टयां। असीम पयार पाने की हकदार ह़ोती हैं बेल्टयां।
के लखिाफ ह़ोने वािी लहंसा के मामिे में कानूनी प्ावधानों क़ो इतना मलहलरा सश्तीकरण की लिशरा में ‘भरारत की लक्मी’ अब लकस
सखत और तीव्र बनाया गया है लक बिातकार जैसे मामिों में वषमों की तरह पररवरार, समराज के सराथ-सराथ रराष्ट् करा गौरव बि रही हैं, इस
बजाए चंद लदनों में नयाय लमिने िगा है। कुरीलतयों पर कुठाराघात के िई सोच के बिलराव को आप इस अंतररराष्ट्ी् मलहलरा लिवस पर
साथ मलहिाओं के साथ ह़ोने वािी लहंसा के लखिाफ केंद्र सरकार के आगे के पन्ों में उधिृत मलहलरा शक्त के कुछ उिराहरणों से महसस
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सखत कदमों ने भी नारी शशकत क़ो सुरलक्त माहौि लदया है ज़ो राषट् की कर सकते हैं…। n
14 न्यू इडिया समाचार | 1-15 माच्च 2022
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