Page 41 - NIS Hindi 01-15 March 2022
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देि      अमृि महोतसि



                                  े
                      ‘अज्य’... वजनहोंने देश को आजाद


                    कराने के वलए बम बनाना तिक सीखा




                                           जन्म : 7 ्मार्च 1911, ्मृत्यु : 4 अप्रैल 1987



                                                                      े
                                                                 अज्य की चहच्ग्त रचिाओं में
                                                                 ‘भग्नदू्त', ‘हच्ता', ‘इतयलम', ‘िरी
                                                                                ं
                                                                 घास पर क्ण भर', ‘बािरा अिेरी',

                                                                 ‘आंगि के पार द्ार', ‘पूिा्ग', ‘हक्तिी
                                                                 िािों में हक्तिी हक्तिी बार', ‘कयोंहक

                                                                 मैं उसे जाि्ता िूं', ‘सागर मुद्रा', ‘पिले
                                                                 मैं सन्ाटा बुि्ता िूं', ‘शेखर,एक

                                                                 जीििी', ‘िदी के द्ीप', और ‘अपिे
                                                                 अपिे अजिबी' शाहमल िै।





              रत कमी आजादमी कमी संघष्चगाथा ्में सहच्दानंद िमीरानंद   ‘कोठरमी कमी बात' पढ़कर पता रलता िरै हक आंदोलनकारमी हकस
        भावातस्ा्न ‘अज्ञे्’ का ना्म एक ऐसे क्ांहतकारमी के रूप ्में   तरि ्मजबूत बनते िोंगे। जब अज्ञे् जमी जेल ्में थे, तभमी उनका
        आता िरै, जो देश कमी आजादमी कमी खाहतर 1930 से 1936 तक अलग   काव्-संग्ि ‘भग्नदूत' और ‘इत्लम्' भमी प्काहशत ियुआ था और
        अलग जेल ्में बंद रिे और 6 वष्च तक जेल और नजरबंदमी भोगने   इस संग्ि कमी कहवताओं ्में क्ांहत का सवर प्धान था। किा जाता िरै
        के बाद आजाद ियुए। 7 ्मार्च 1911 को उत्तर प्देश के कुशमीनगर   हक सहच्दानंद िमीरानंद वातस्ा्न को ‘अज्ञे्' ना्म ्मयुंशमी प्े्मरंद
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        ्में जन्में अज्ञे् हिंदमी के ्मध्चन् साहित्कार सहच्दानंद िमीरानंद   से ह्मला था। उनिोंने अपनमी कुछ ररनाएं प्े्मरंद के पास भेजमी थमी
        वातस्ा्न ‘अज्ञे्’ कमी आरंहभक पढ़ाई घर ्में िमी ियुई थमी क्ोंहक   हजस पर हकसमी का ना्म निीं था। ऐसे ्में प्े्मरंद ने लेखक का ना्म
        उनके हपता का सकूलमी हशक्ा ्में हवशवास निीं था। ्युवा िोने पर   पूछा और जब ना्म निीं बता्ा ग्ा तो उनिोंने किा हक ्मैं ‘अज्ञे्’
        उनिोंने लािौर हवशवहवद्ाल् से इंडससट््ल साइंस ्में बमीएससमी कमी   ना्म से ्ि ररना छाप दूंगा। उसमी हदन से सहच्दानंद िमीरानंद
        और हफर ए्मए, अंग्जमी ्में दाहखला हल्ा। ्िीं पढ़ाई के दौरान   वातस्ा्न के ना्म के साथ ‘अज्ञे्’ जयुड ग्ा। उसके बाद उनकमी
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        उनका पररर् भगत हसि और हिंदसतान सोशहलस्ट ररपसरलकन     ररनाएं अज्ञे् ना्म से प्काहशत िोने लगीं। अज्ञे् हिंदमी के एक
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                         ं
        आ्मजी के सदस्ों- क्ांहतकारमी रद्शेखर आजाद, सयुखदेव और   ऐसे प्हतस्ठत कहव, किानमीकार और उपन्ासकार थे, हजनिोंने
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                                                                                                    यु
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        भगवतमीररण वोिरा से ियुआ और विीं वे सबसे पिले नौजवान   कई ररनाकारों कमी कृहत्ों का हिंदमी से अंग्जमी ्में अनवाद भमी
        भारत सभा से भमी पररहरत ियुए। पढ़ाई के बमीर िमी वे क्ांहतकारमी   हक्ा। देश कमी आजादमी के बाद वि पत्काररता और साहिसत्क
        आंदोलन से जयुड गए और किा जाता िरै हक इसमी दौरान वि ब्म   दयुहन्ा ्में र्म गए। साहित् और पत्काररता के क्ेत् ्में सरािनमी्
        बनाते ियुए पकडे गए, लेहकन फरार िो गए। बाद ्में हफर पकड  े  ्ोगदान देने वाले ररनाकार और पत्कार अज्ञे् ने पत्काररता
        गए और उन पर ऐसा ्मयुकद्मा रला हक उनिें फांसमी कमी सजा भमी   कमी शरुआत आगरा से हनकलने वाले सापताहिक ‘सरैहनक' से कमी
                                                                 यु
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        ह्मल सकतमी थमी। अज्ञे् एक ऐसे साहित्कार रिे िैं, जो कभमी   थमी। वि एक ऐसे व्सकत रिे िैं हजनिें कई भारतमी् परसकार,
        क्ांहतकारमी रिे तो कभमी सेना ्में सरैहनक कमी भूह्मका ्में भमी रिे। देश   अंतरा्च्ट्मी् ‘गोलडन रमीथ' परसकार, साहित् अकाद्ममी परसकार
                                                                                                      यु
                                                                                 यु
        कमी आजादमी के हलए हनरंतर संघष्चरत रिे अज्ञे् के लेखकमी्   और ज्ञानपमीठ परसकार से सम्माहनत हक्ा ग्ा था। 4 अप्रैल 1987
                                                                        यु
        जमीवन पर जेल का प्भाव खूब देखने को ह्मलता िरै। उनकमी किानमी   को उनका हनधन िो ग्ा।





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                                                                                    न्यू इडिया समाचार | 1-15 माच्च 2022  39
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