Page 40 - NIS Hindi 01-15 March 2022
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देि अमृि महोतसि
सुशीला ने क्रावतिकाररयों के वलए बेचे अ्ने गहने
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जनम : 5 माचति 1905, मृतयु : 13 जनवरी 1963
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दे शबंध हरत्तरंजन दास एक बार लािौर आए थे। किा जाता ि हक उस कि्ते ि सांडस्ग की ितया के बाद करोलका्ता में
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सुशीला दीदी के पास िी ठिरे थे भग्त हसंि।
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साव्चनहजक सभा ्म सयुशमीला दमीदमी ने अपना हलखा एक पंजाबमी गमीत, ‘जग-
जग गगन लिरावे झंडा भारत दा’ सना्ा था, हजसे सयुन कर ‘देशबंध’ रो सशमीला दमीदमी बनने कमी किानमी भमी क्म हदलरसप निमी ि। असल ्म सशमीला
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पड तो भारत-कोहकला सरोजनमी ना्डू भमी दमीदमी के सकूल कमी प्ारा््च ने उनकमी भें्ट दयुगा्च भाभमी से कराई थमी और धमीरे-धमीर े
भाव हवभोर िो उठमी थीं। ्ि गमीत उस स्म् उन दोनों कमी बमीर संबंध प्गाढ़ िोते गए और उनके बमीर ननद-भाभमी का
क्ांहतकारर्ों का पसंदमीदा गमीत बन ग्ा ररशता बन ग्ा। इसके बाद सशमीला ्मोिन सभमी क्ांहतकारर्ों के हलए सशमीला
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था। सयुशमीला दमीदमी जब क्म उम्र कमी िमी थमी, दमीदमी िो गई। किा जाता ि हक भगत हसि भमी सशमीला दमीदमी का बडमी बिन कमी
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तभमी उनकमी ्मां का हनधन िो ग्ा और वि तरि सम्मान करते थे और उनिोंने हबह्टश सरकार कमी बित समी ्ोजनाओं
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उसमी स्म् अपनमी पढ़ाई के साथ-साथ कई के हखलाफ ह्मल कर का्म हक्ा था। हबह्टश पयुहलस अफसर सांडस्च को
क्ांहतकारमी संगठनों से जयुडतमी रलमी गईं। ्मारने के बाद भगत हसि, दयुगा्च भाभमी के साथ छद्म वेश ्म कलकत्ता पिरे थ े
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वि देश को आजाद कराने के हलए कई और विां सयुशमीला दमीदमी ने उनि अपने ्िां ठिरा्ा था। वष्च 1933 ्म उनकमी
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क्ांहतकारमी गहतहवहध्ों ्म शाह्मल िोने लगीं, हजस्म गपत सरनाएं पिंराने, शादमी श्ा्म ्मोिन से िई। पहत वकमील िोने के साथ सवतत्ता आंदोलन स े
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जन्मानस ्म क्ांहत कमी लौ जगाने के हलए परवे बा्टने जसे का्म शाह्मल थे। 5 भमी जयुड िए थे। वष्च 1942 के आंदोलन ्म दोनों पहत-पत्मी जेल भमी गए। इस
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्मार्च 1905 को पंजाब के दत्तोरूिड (अब पाहकसतान ्म) ्म जन्मीं सयुशमीला दमीदमी दौरान श्ा्म ्मोिन को जिां हदललमी ्म रखा ग्ा था, विीं दमीदमी को लािौर ्म।
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एक ऐसमी देशभकत ्महिला थमी, हजनिोंने काकोरमी कांड ्म फंसे क्ांहतकारर्ों देश को आजाद कराने के हलए वि लगातार ्ातनाएं सितमी रिमी लहकन
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को बराने के हलए अपनमी शादमी के हलए रखा 10 तोला सोना तक बर हद्ा था। उनिोंने अपना संघष्च कभमी बंद निीं हक्ा।
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्ि सोना सशमीला दमीदमी कमी ्मां ने उनकमी शादमी के हलए रखा था। सशमीला के
भारति में हैदराबाद के व्वलय के वलए आ्वाज
उठाने ्वाले क्रावतिकारी रामकृषण रा्व
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जन्म : 13 ्मार्च 1899, ्मृत्यु : 15 हसतंबर 1967
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्मिान सवतत्ता सेनानमी और िदराबाद के पिले हनवा्चहरत ्मख््मंत्मी बयुगला हल्ा। इस दौरान उनि कई बार जेल जाना पडा और ्ातनाएं सिनमी पडीं।
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रा्मकृ्ण राव ने अंग्जों िमी निीं, बसलक िदराबाद के हनजा्म के अत्ारार ‘िदराबाद सा्माहजक सम्मलन' के सहरव और ‘िदराबाद सधार सह्महत'
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के हखलाफ भमी संघष्च हक्ा। उनिोंने सवा्ममी रा्मानंद तमीथ्च और कई अन् एवं ‘िदराबाद राजनरैहतक सम्मलन' के सदस् रिे बयुगला रा्मकृ्ण राव
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नेताओं के नेतृतव ्म िदराबाद के सवतत् को 1938 ्म राज् कांग्स का का््चकाररणमी सदस् बना्ा ग्ा और वि 1937
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भारत ्म हवल् ्म ्मितवपण्च भह्मका हनभाई। ्म प्ूहपलस कनवशन के सहरव हनवा्चहरत िए। वि तमीन वषवो तक आंध्र प्देश
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िदराबाद ्म एक वकमील के तौर पर अपना कांग्स के अध्क् भमी रिे। भारत कमी आजादमी के बाद उनिोंने स्माज सयुधार
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करर्र शरू करने वाले बयुगला रा्मकृ्ण और नए भारत के हन्मा्चण ्म ्मितवपण्च भह्मका हनभाई और कई स्मकालमीन
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राव का जन्म 13 ्मार्च 1899 को आज के आंदोलनों ्म भमी भाग हल्ा। कई भाषाओं के जानकार रिे राव 6 ्मार्च, 1952
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तेलंगाना राज् के ्मिबूबनगर हजले ्म एक से 31 अक्टूबर, 1956 तक िदराबाद राज् के पिले हनवा्चहरत ्मख््मंत्मी रिे।
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बाह्मण पररवार ्म िआ था। 1923 ्म पयुणे के बाद ्म वि 22 नवंबर 1956 से 1 जलाई 1960 तक केरल और 1 जयुलाई 1960
फग्सन कॉलेज और ्मंबई हवशवहवद्ाल् से 15 अप्रैल 1962 तक उत्तर प्देश के राज्पाल भमी रिे। पव्च प्धान्मंत्मी अ्टल
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से हशक्ा ग्िण करने के बाद उनिोंने 1924 ्म िदराबाद ्म वकालत करनमी हबिारमी वाजप्मी ने 31 अगसत 1999 को िदराबाद के राजभवन ्म बयुगला
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शरू कर दमी। इसमी दौरान वि भारत के सवतत्ता संग्ा्म ्म भमी भाग लेने लग े रा्मकृ्ण राव कमी जमीवनमी का हव्मोरन हक्ा था। 13 ्मार्च 2000 को भारत
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और लोगों के हित के हलए का्म करना शरू कर हद्ा। उनिोंने भारत के सरकार के डाक हवभाग ने उनके सम्मान ्म एक डाक ह्टक्ट जारमी हक्ा
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सवाधमीनता संग्ा्म ्म सहक्् भागमीदारमी कमी और भारत छोडो आंदोलन ्म हिससा था। बयुगला रा्मकृ्ण राव का 15 हसतंबर 1967 को हनधन िो ग्ा।
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38 न्यू इडिया समाचार | 1-15 माच्च 2022
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