Page 8 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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राष्टट्र  दिक्षि दिवेस दवेिेष








                      “सशक्षक का काम पीसियों को



                      बिािा, पीसियों को बिािा है”





                     “कशक्ि िह नहीं होता जो छात्र ि कदमाग म तथ्यों िो जबरन ठूसे, बक्ल्ि िास्तकिि कशक्ि तो िह ह  ै
                                                                     ं
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                     जो उन्ह आने िाले िल िी चुनरौकतयों ि कलए तैयार िरे।” कशक्ि िी उपयोकगता िो लिर यह किचार
                                                                                       े
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                       भारत ि दूसरे राष्टट्रपकत डॉ. सिमापल्ली राधािष्टणन ि ह, कजन्ह हम राजनेता या राष्टट्रपकत से अकधि
                                                                ैं
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                       कशक्ि ि रूप म जानते ह और उनिी जन्म जयंती 5 कसतंबर िो कशक्ि कदिस ि रूप म मनात  े
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                        ैं
                       ह। आज  देश ि िरीब 15.09 लाख स्िलों म 97 लाख कशक्ि 26.44 िरोड़ से ज्यादा छात्रों ि  े
                                                          ें
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                     भकिष्टय िी नींि गढ़ रहे ह। इन छात्रों पर ही भारत ि भकिष्टय िा भार है तो इन कशक्िों ि िधों पर उन्ह  ें
                                                            े
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                     चुनरौकतयों ि कलए तैयार िरने िी कजम्मेिारी है। नई राष्टट्रीय कशक्ा नीकत से लिर िद्र सरिार ने अनि
                                                                                                े
                                                                               े
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                      िायमाक्रमों ि जररए कशक्िों ि प्कशक्ण िी नई शुरुआत िी है। प्धानमत्री नरद्र मोदी खुद कशक्िों
                                े
                     िी इस महती भकमिा िा कजक्र अपने िई उद् बोधनों म िर चि ह। यही नहीं, परीक्ा पे चचामा से लिर
                                                               ें
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                      तमाम आयोजनों ि जररए िे खुद लगातार छात्र और कशक्िों से सिाद िरते रहे ह। इस बार कशक्ि
                                                                                    ैं
                                                                        ं
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                      कदिस ि किशर् अिसर पर उनि भार्णों ि अंश ि रूप म पकढ़ए कशक्िों ि कलए उनि आह्ान...
                                                              े
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                                 साथ म िछ ऐसे कशक्िों ि बारे म, कजन्होंने बनाई है एि नई कमसाल...
                      -िरेंद्र मोदी, प्रधािमंत्ी
                     रत के प्दवमा राष्टट्रपित सवमापल्ली राधाकृष्टणन   एक अपनत्व का भाव, ्यही एक जोिी होती है जो न केवल
                     का  5  िसतंबर  को  जन्दमिदन  है।  दश  इस  ये  ज्ान परोसती है बल्ल्क जीवन जीन की कला भी िसिाती है
                                                   ये
                                                                                         ये
                                                                                                     ये
                                                                           ये
        भा िशषिक  िदवस  के  रूप  में  मनाता  है।    व   ये   और सपन संजोन की आदत भी बनाती है। हमार शास्त्ों में
                                                                      ये
                                                 ये
        जीवन में िकसी भी स््थान पर पहुंच, लयेिकन अपन आपको    कहा ग्या है- “दृष्टटान्दतो नैव दृष्टट: ित्-भुवन जठर, सद्गुरोः
                                     ये
                                                                                                     ये
             ये
                 ये
        उन्दहोंन हमशा िशषिक के रूप में ही जीन का प्र्यास िक्या।   ज्ान दातुः” अ्थामात्, पर ब्रह्ांड में गुरु की कोई उपमा नहीं
                                                                                ये
                                                                               ्द
                                         ये
        इतना ही नहीं, “वो हमशा कहत ्थये, अच््छा िशषिक वही    होती, कोई बराबरी नहीं होती। जो काम गुरु कर सकता
                            ये
                                    ये
                                                                                         ये
                                                                                                     ये
        होता है िजसके भीतर का ्छात् कभी मरता नहीं है।” िशषिक   है, वो कोई नहीं कर सकता। हमार िशषिक अपन काम को
                                                                                   ये
                  ये
                                                                       ये
        कभी उम्र स बंधा नहीं होता, िशषिक कभी ररटा्यर हो ही   केवल एक पशा नहीं मानत, उनके िलए पढ़ाना एक मानवी्य
                                                                ये
        नहीं सकता। िवद्ा्थथी का िशषिक के प्रित आदर, िशषिक का   संवदना है, एक पिवत् और नैितक कतमाव््य है। इसीिलए, हमार  ये
        िशषिा के प्रित समपमाण और िवद्ा्थथी व िशषिक के बीच में   ्यहां िशषिक और बच्चों के बीच प्रोफेशनल ररश्ता नहीं होता,
          6  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2022
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