Page 10 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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राष्टट्र  दिक्षि दिवेस दवेिेष






                    पढ़ाई स जोड़न क शलए शिक्कों
                                                        ये
                                                             ये
                                        ये
                    का अपना-अपना “जॉलीवुि”




                                                                ैं
                                                                                                         े
                                                                  े
                                        ैं
         शिक्षक आजीवन ज्ञानधञारञा से जुड़ रहते ह। वह कञार््य से ननवृत्त हो सकते ह, लककन शिक्षञा कञार््य से कभी नहीं। क्ययोंकक पढ़ञाई से लकर
                                  े
           कररर्र तक, हर जगह एक शिक्षक, एक गञाइड की जरूरत होती ह। गुरु और शिष्य की प्ञाचीन परंपरञा की तरह ही कछ शिक्षक
                                                             ै
                                                                                                  ु
                                                                                                           े
                                                                                                  ु
          ककतञाबी पढ़ञाई से आगे बढ़कर छञात्रयों को भकवष्य की चुनौकतर्यों से जूझने और कवजर् पञाने क नलए तैर्ञार करते ह तो कछ पढ़ञाई क
                                                                                              ैं
                                                                              े
        सञाथ पर्ञा्यवरण, खेल और रोजमरञा्य की जरूरतयों से जोड़कर अपने-अपने “जॉलीवुड” स्ञाइल र्ञानी ज्ॉर्फल लननिंग इन चञाइल्डहुड से
                                                                                       ु
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          भकवष्य क पौध को सींच रह ह। शिक्षक दिवस पर ऐसे ही कछ रञाष्टीर् पुरस्ञार से पुरस्त शिक्षकयों से आपको करञा रह ह रूबरू...
                                                      ु
                                                                                                      ैं
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     खुशशीद िुतुबुद्ीन शेख   ‘मैं भी डरेपोर्रे’ स भाषा            जय कसंह       सरेकारेी योजनाए-स्ानीय
                                                                                                   ं
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      गढ़कचररौली-महाराष्टट्र  की चुनौती की दूरे                 झुंझुनू, राजस्थान  सहयोग स स्डियम तैयारे
                                                                                            ये
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          महाराष्ट् के गढ़कचरौली कजले के छोटे से गांव असार अली के कजला प्राथकमक   झंझुनू कजले के छोटे से िहर सूरजगढ़ के िास्त्ीय उच्चतर कवद्ालय म बतौर
                                                                   ु
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                                                                                                       ु
                                                                                                   ें
           कवद्ालय म पढ़ाने वाले किक्षक खिशीद कुतुबुद्ीन िेख अपनी करिएकटवटी स  े  खेल किक्षक 2015 म आए जय कसंह ने बच्चों को स्कल म खेल सकवधा कमले,
                 ें
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                                                                                                कू
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           लगातार इस आकदवासी क्षेत् के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोकिि   प्रकिक्षण के कलए बाहर न जाना पड़े, इसकलए सरकार की अलग-अलग
                                          ु
                 ैं
           कर रहे ह। सीमावतशी इलाके म भाषा चुनौती थी कजसे खिशीद कुतुबुद्ीन िेख   योजनाओं व सबके सहयोग से बहुत ज्कदी वहां राष्ट्ीय स्तर का मैदान
                             ें
              ैं
           ने ‘म भी ररपोट्टर’ नाम की एल्क्टकवटीज से दूर करना िुरू ककया। बच्चों का   तैयार करवा कलया। उस मैदान म एक एथलकटक ट्रैक, फ्लड लाइट से युक्त
                                                                                     ें
                                                                                           े
          आत्मकवश्वास बढ़ाने के कलए बच्चों को लेकर कई वीकडयो बनाए। िेख कहत  े  4 बॉलीबॉल के कोट्ट बनवाएं। ट्कनंग के उपकरण भी वहां जुटाए, जहां आज
                                                                                    े
                                                                           े
                                                                                    ैं
                                                                     े
                                                   ें
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                       ें
           ह जैसे कक दकनया म हॉलीवुड, भारत म बॉलीवुड है तो मेरी पाठिाला म था   बच्च अच्छी ट्कनंग कर रहे ह। इसी का पररणाम है कक सूरजगढ़ के कई
            ैं
                                 ें
                                                                                              ें
               जॉलीवुड। जॉलीवुड माने-ज्वॉयफुल लकनिंग इन चाइ्कडहुड।   बच्च राष्ट्ीय स्तर तक की खेल प्रकतयोकगताओं म परचम लहराकर आए ह। ैं
                                                                     े
         जयसुंदर िी     नई सोच औरे नई िोज की                      इन्हें भी     पया्तवरेण स प्म, खिलौनों
                                                                                             ये
                                                                                               ये
       मानापेट-पुडुचेरी                                            जान ें
                                                                                             ये
                                         ैं
                                                                                  ये
                                       ये
                        परेंपरेा करे रेह ह ववकशसत                               स ववज्ान क जडरेए शिक्ा
                                                                                          कू
           पुडुचेरी के मानापेट के गवनयामेंट मीकडल स्ककूल के अध्यापक जयसुंदर   राजकोट, गुजरात के कवनोबा भावे स्कल की प्रधानाचायाया वकनता दयाभाई
            वी को कवज्ान से प्रेम है। नई सोच और नई खोज की परंपरा छात्ों में   राठौर अपने छात्ों म पढ़ाई के साथ पयायावरण को सींचने का काम कर रही
                                                                              ें
           कवककसत करना इनका लक्षय है। इसकलए अपने छात् छात्ाओं को नए   ह। छत्ीसगढ़ के बस्तर के एकलव्य मॉडल आवासीय स्कल म अंग्ेजी
                                                                    ैं
                                                                                                      कू
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                                                                                                      े
                                                                                                         ें
          आइकडया और प्रोजेक्ट पर काम करने के कलए प्रेररत करते हैं। जयसुंदर   के लेक्चरर प्रमोद कुमार िुक्ला ने आकदवासी बच्चों को अंग्जी म सक्षम
                                                                                                       कू
                                                                                              ें
                                                                                             या
                                                                             ैं
            वी कहते हैं- मेरा मकसद है कक मैं देि के कलए भकवष्य के वैज्ाकनक   बनाया है। नागालड के जाखमा गांव के गवनमट मीकडल स्कल की मुख्य
                                                                            े
          तैयार करूूं। इसके कलए बच्चों में कवज्ान के प्रकत उत्सुकता जगाना जरूरी   अध्याकपका स्वदिुनाओ जाओ ने बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाई का महत्व
                                                                           े
           है। इनके कुछ छात्ों का चयन राष्ट्ीय स्तर के इंस्पॉयर मानक अवाड्ट में   समझाया। बच्चों को पढ़ाने के कलए आट्ट इंटीग्ेटेड लकनिंग को अपनाया है।
                                                                       कू
                            भी हो चुका है।                          स्कलऔर क्लासरूम की दीवारों को भी ककताब की तरह बना कदया।
          8  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2022
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