Page 11 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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व्यब््ततत्वे मेिर रामास्वेामी परमेश्वेरन
ये
सीन परे गोली िाकरे
भी जो िर् रेह मैदान म ें
ये
ये
भारतीय सेना ने अप्कतम शरौयमा िी चमि कस्फ्फ देश िे
भीतर या सीमाओं पर ही नहीं कबखेरी, बक्ल्ि संयु्तत
राष्टट्र िे शांकत कमशन से लेिर पड़ोसी श्ीलंिा ति
भारत िे ये िीर बकलदान गाथा िे साक्ी रहे हैं। इन्हीं में
से एि परमिीर हैं मेजर रामास्िामी परमेश्िरन, कजन्होंने
श्ीलंिा में ऑपरेशन पिन िे दरौरान अपने लक्षय िो
सीने पर गोली खािर भी किया हाकसल ...
जन्म: 13 कसतंबर 1946 मृत्यु: 25 निंबर 1987
त 1980 के दशक के अंत कली है। श्लीलंका नसनवल सभली को प्रभानवत नकर्ा। वह अपने वरिष््ठ अिसिों के नप्रर् तो
वॉि से जूझ िहा र्ा। भाित-श्लीलंका समझरौते के बने हली, अपने जूननर्ि औि सानर्र्ों के बलीच भली लोकनप्रर् हो गए।
बाअनुसाि, भाितलीर् सेना वहां शांनत व कानून औि प्र्ाि से लोग उन्हें 'पेिली साहब' कहा किते र्े। भाितलीर् सेना कली
व्र्वस्र्ा बहाल किने के नलए गई। श्लीलंका के अंदि भाितलीर् ओि से पिमेश्विन 'ऑपिेशन पवन' के तहत श्लीलंका गए औि
सेना विािा चलाए गए इस अनभर्ान को 'ऑपिेशन पवन' के नाम वहां शांनत बहालली में जुट गए। 25 नवंबि 1987 को ऑपिेशन
से जाना जाता है। र्ह 1987 से 1990 तक चला। इस पूिे नमशन पवन के दरौिान जब मेजि िामास्वामली पिमेश्विन श्लीलंका में
में र्ूं तो हि एक भाितलीर् जवान ने अपनली महत्वपूणया भूनमका एक तलाशली अनभर्ान से लरौट िहे र्े, तब उनके सैन्र् दल पि
अदा कली, मगि एक नाम ऐसा भली िहा, नजसे इस नमशन के दरौिान आतंकवानदर्ों के समूह विािा घात लगाकि आक्रमण नकर्ा गर्ा।
अपनली बहादुिली के नलए मिणोपिांत पिमवलीि चक्र से सम्माननत धैर् औि सूझ-बूझ से उन्होंने आतंकवानदर्ों को पलीछे से
या
नकर्ा गर्ा, वह कोई औि नहीं मेजि िामास्वामली पिमेश्विन र्े। घेिा औि उन पि हमला कि नदर्ा नजससे आतंकली पूिली तिह से
मेजि िामास्वामली पिमेश्विन 13 नसतंबि, 1946 को महािाष्ट् स्तब्ध िह गए। आमने-सामने कली लड़ाई में एक आतंकवादली ने
में पैदा हुए। स्कूल कली पढ़ाई के बाद 1968 में साइंस से ग्जुएशन उनके सलीने में गोलली माि दली। ननिि होकि मेजि पिमेश्विन ने
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पूिली कली औि पिमेश्विन ने खुद को सेना के नलए तैर्ाि नकर्ा। आतंकवादली से िाइिल छलीन लली औि उसे मरौत के घाट उताि
कहते हैं नक पिमेश्विन 1971 के र्ुद्ध में पानकस्तान के नखलाि नदर्ा। गंभलीि रूप से घार्ल अवस्र्ा में भली वे ननिंति आदेश
लड़ने वाले सैननकों के बनलदान से बहुत प्रेरित र्े। 1971 में वह देते िहे औि अपनली अंनतम सांस तक अपने सानर्र्ों को प्रेरित
ऑनिससया ट्ननंग अकेिमली (ओटलीए) पहुंचने में सिल िहे। वहां किते िहे। उनकली इस वलीितापूणया काियावाई के परिणाम स्वरूप
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से पास होने के बाद 16 जून, 1972 को वो 15 महाि िनजमेंट पांच आतंकवादली मािे गए औि भािली मात्रा में हनर्र्ाि औि गोला-
में कमलीशंि हुए औि अनधकािली बने। उन्हें जो भली नजम्मेदािली बारूद बिामद नकर्ा गर्ा। मेजि िामास्वामली पिमेश्विन ने
या
नमलतली, वह उसे बखूबली ननभाते। नमजोिम औि नत्रपुिा में उग्वादली असाधािण शरौर् औि प्रेिक नेतृत्व का प्रदशयान किते हुए सवपोच्च
घटनाओं के नखलाि काियावाई के दरौिान उनकली सनक्रर्ता इसके बनलदान नदर्ा, नजसके नलए उन्हें मिणोपिांत पिम वलीि चक्र से
दो बड़े उदाहिण बने। इस दरौिान उन्होंने अपनली कार्शैलली से सम्माननत नकर्ा गर्ा। n
या
न््ययू इंडि्या समाचार 1-15 डसतंबर 2022 9