Page 89 - NIS Hindi 16-30 September,2022
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रेाष्टट्र  अमृत महोत््सवी



            मदि लाल धींगरा : मातृभूनम की स््वतंत्रता



             के नलए न्वदेश में की थी एक महाि क्ांनत


                              जन्म : 18 नसतंबि 1883, मृत्र्ु : 17 अगस्त 1909
            बं    गाल नवभाजन के नखलाि शुरू हुआ आंदोलन ऐसा बढ़ा नक   रिांनतकािली उत्ेनजत हो गए। उस समर् एक अंग्ज अनधकािली नवनलर्म  े
                                                                                                   े
                                                                  कजयान वार्लली, साविकि औि रिांनतकारिर्चों के बािे म जानकािली जुटान
                  वे भाितलीर् स्वाधलीनता के िाष्ट्वादली आंदोलन का प्रतलीक बन
                                                                                                       ें
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                  गर्ा। इन नविोध प्रदशयानचों को अंग्जली सिकाि ने कुचलना शुरू   का प्रर्ास कि िहे थे। कजयान वार्लली के कािण हली लंदन म रिांनतकािली
            नकर्ा। जैसे-जैसे दमन बढ़ता गर्ा नर्े-नर्े रिांनतकािली उभिते िहे। इन्हीं   स्वाधलीनता सेनाननर्चों को ननशाना बनार्ा गर्ा। श्र्ामजली कष्ण वमाया के
                                                                                                           कृ
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            रिांनतकारिर्चों म से एक थे मदन लाल धींगिा। महान स्वतंत्रता सेनानली   जनयाल ‘द इनिर्न सोनशर्ोलॉनजस्ट’ ने वार्लली को भाित का पिाना
                                                                                                               ू
            औि रिांनतकािली मदन लाल धींगिा का जन्म 18 नसतंबि 1883 को पंजाब   बिहम शत्र कहा। 1 जुलाई 1909 को धींगिा इंपलीरिर्ल इंस्टलीट्यट कली
                                                                   े
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            के अमृतसि म हुआ था। वे सिकािली कॉलेज म पढ़ने के नलए 1900 म  ें  एक सभा म शानमल हुए औि वार्लली कली हत्र्ा कि दली। मुकदमा चला
            लाहौि चले गए औि वहां वे स्विाज के नलए जािली िाष्ट्वादली आंदोलन के   तो उन्हचोंने र्े कहते हुए सिकािली वकलील कली सेवा लेने से इंकाि कि नदर्ा
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                              ें
            संपक्क म आए। कॉलेज म पढ़ाई के दौिान हली धींगिा कली नेतृत्व क्मता   नक वो अदालत कली वैधता को स्वलीकाि नहीं किते। उन्हचोंने घोषणा कली
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            सामने आ गई। दिअसल उनके नप्रंनसपल ने कॉलेज म नब्नटश कपड़चों का   नक उनकली र्े काियावाई ‘देशभ्तत भाितलीर्चों कली अमानवलीर् िांसली औि
            बाजाि लगाना शुरू नकर्ा नजसका धींगिा ने नविोध नकर्ा। इसके बाद   ननवायासन का नवनम् बदला’ है। मदन लाल ढीींगिा को जब अदालत से ल  े
               ें
            उन्ह कॉलेज से ननष्कानसत कि नदर्ा गर्ा। तब तक धींगिा रिांनतकािली   जार्ा जा िहा था, तो उन्हचोंने मुख्र् न्र्ार्ाधलीश से कहा था, “धन्र्वाद,
            िाष्ट्वाद कली ओि आकनषयात नहीं हुए थे लनकन इस घटना ने उन्ह उस   मली लॉि्ड। मुझे पिवाह नहीं है, बश्ल्क अपनली मातृभनम के नलए अपना
                                                          ें
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            तिि मोड़ नदर्ा। 1905 म धींगिा लंदन चले गए औि वहां इनिर्ा   जलीवन समनपयात किने का सम्मान प्राप्त किने पि गवया है।” धींगिा को मौत
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            हाउस म ्ठहिे। इनिर्ा हाउस म मदन लाल धींगिा कली मुलाकात वलीि   कली सजा सुनाई गई औि 17 अगस्त 1909 को नसि्क 26 साल कली उम्
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                                                                                                       ें
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            साविकि से हुई। साविकि तब इनिर्ा हाउस के प्रबंधक थे। इसली बलीच,   म लंदन के पटनवले जेल म िांसली दे दली गई। एनली बसट ने उनकली वलीिता
            8 जून 1909 को साविकि के बड़े भाई गणेश दामोदि साविकि को   कली प्रशंसा म तो र्हां तक कहा था, “ऐसे कई औि मदन लाल धींगिा
                                                                           ें
            देश ननकाला नदर्ा गर्ा। सिकािली पक् केवल र्ह सानबत कि सका नक   का होना समर् कली मांग है।” जमयानली से उनकली र्ाद म मानसक पनत्रका
                                                                                                        ें
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            उन्हचोंने केवल ऐनतहानसक कनवताएं प्रकानशत कली थली नजसे िाजद्ोह माना   मदन तलवाि भली शुरू कली गई थली नजसकली छपाई मिम भलीकाजली कामा
                                                        ें
            गर्ा। गणेश दामोदि साविकि को नमले देश ननकाले से लंदन म िह िह  े  ने किवाई थली।
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             यू एि ढबर : स््वतंत्रता आंदोलि में शानमल
                          होिे के नलए छोड़ दी ्वकालत
                                जन्म : 21 नसतंबि 1905, मृत्र्ु : 11 माचया 1977
            गु    जिात के महान भाितलीर् स्वतंत्रता सेनानली औि सौिाष्ट् के   रिर्ासत के बलीच सत्र्ाग्ह का नेतृत्व नकर्ा। साथ हली, व्र्श््ततगत
                                                                                           ें
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                  पवया मुख्र्मत्रली उच्छिंगिार् नवलशंकि ढीबि का जन्म 21
                                                                               े
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                                                                 सत्र्ाग्ह औि कंिििेशन मूवमट म सनरिर् रूप से नहस्सदािली कली।
                                                                                                          े
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                  नसतंबि  1905  को  जामनगि  के  पास  हुआ  था।  महात्मा   भाितलीर् स्वतंत्रता आंदोलन म सनरिर् भागलीदािली कली वजह से उन्ह  ें
             गांधली से प्रभानवत होकि ढीबि ने 1936 म अपने गृहनगि िाजकोट   तलीन बाि जेल जाना पड़ा। अनधकांश रिर्ासत जनता के नहतचों कली
                                                                                                  ें
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             म भाितलीर् स्वतंत्रता आंदोलन म शानमल होने के नलए वकालत   अनदेखली किते हुए उन पि भािली आनथयाक बोझ िाल कि भािली-भिकम
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             का पेशा छोड़ नदर्ा। ढीबि ने 1938 औि 1942 के बलीच िाजकोट   ट्तस लगा िहली थली। अंग्ेजचों ने उन्ह घिेलू औि बाहिली आरिमण स  े
                                                                                     न््ययू इंडि्या समाचार   16-30 डसतंबर 2022  87
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