Page 87 - NIS Hindi 16-30 September,2022
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रेाष्टट्र अमृत महोत््सवी
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िञातृभूसि के सलए सजोन्होंिे सकर्ञा
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भारि ्को आजादी तमले 75 वर् पूरे हो चु्के हैं। पूरा भारि
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इस मौ्के ्को आजादी ्के “अमृि महोर्सव” ्के रूप में
मना रहा है। ्त्ह आजादी हमें ्त्ूं ही नहीं तमली। इस्के तलए
अनतगनि सेनानी िांसी पर झूले और न जाने त्किनों ने
सीने पर गोतल्त्ां खाई। आज हम सब उन क्रांति्कारर्त्ों और
स्विंत्रिा सेनातन्त्ों ्के ऋ्णी हैं, तजन्होंने देश ्को गुलामी ्की
जंजीरों से मुक्ि ्कराने ्के तलए अपना सब ्कुछ न््त्ौछावर ्कर
तद्त्ा। जब आजादी ्की लड़ाई चल रही थी िो देश ्को डराने,
तनराश ्करने, हिाश ्करने ्के तलए ्कई सारे उपा्त् त्कए गए।
लेत्कन वे ्कभी रू्के नहीं, थ्के नहीं और आजादी हातसल
्करने ्के तलए अनवरि चलिे रहे। उन्हें अपना साम्थ््त््य पिा
था, तजस्के दम पर उन्होंने सातबि त्क्त्ा त्क अने्क प्र्कार ्की
्कतिनाइ्त्ों ्के बीच भी देश आगे बढ़ स्किा है और हातसल
्कर स्किा है आजादी… ्का लक्ष्त्। इस अं्क में 22 तसिंबर ्का
तदन भी आिा है जब इसी तदन 1921 में राष्टट्रतपिा महार्मा
गांधी ने मदुरै में अंग्जी वस्त्र र््त्ाग ्कर धोिी ्को लंगो्टी ्के
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रूप में पहनना शुरू ्कर तद्त्ा था।
महा्वीर नसंह राठौर : नजिका श्व पत्थर
से बांध कर अंग्ेजनों िे समुद्र में र्ेंक नदया
ज्वम : 16 नसतंबर 1904, मृत्यु : 17 मई 1933
्ठली कक्ा में पढ़ाई के दौिान हली रिांनतकािली महावलीि नसंह का अंदाजा इस बात से लगार्ा जा सकता है नक 1922 में एक सभा
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छिा्ठौि स्वतंत्रता संग्ाम में कूद पड़े थे। कहा जाता है नक के दौिान उन्हचोंने नब्नटश अिसिचों के सामने हली अंग्जली हुकूमत
उन्हचोंने रिांनतकारिर्चों के संपक्क में आने के कािण पढ़ाई-नलखाई के नविोध में औि महात्मा गांधली के समथयान में नािे लगाए। बाद
छोड़ दली औि भगत नसंह, िाजगुरु जैसे बड़े रिांनतकारिर्चों का साथ में उन्हचोंने रिांनतकािली संग्ठन नौजवान भाित सभा कली सदस्र्ता
नदर्ा। महावलीि नसंह िा्ठौि का जन्म 16 नसतंबि 1904 को उत्ि स्वलीकाि कि लली। उन्हें इस संग्ठन का वलीि नसपाहली माना जाता
प्रदेश के एटा नजले में हुआ था। उनकली िाष्ट्भश््तत औि ननभजीकता था। िा्ठौि हली वह व्र्श््तत थे नजन्हचोंने भगत नसंह, बटुकेश्वि दत्
न््ययू इंडि्या समाचार 16-30 डसतंबर 2022 85