Page 92 - NIS Hindi 16-30 September,2022
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आरोएनआई DELHIN/2020/78812, तदल्ली पोस्टल लाइसेंस
                आरो.एन.आई                                                     नंबरो-  DL (S)-1/3550/2020-22 िब्ल्यूपीपी संख्या- U (S)-
           DELHIN/2020/78812                                                   98/2020-22, posting at BPC, Meghdoot Bhawan,
             16-30  तसिंबरो, 2022                                             New Delhi - 110001 on 13-17 advance Fortnightly
                                                                                  (प्रकाशन तितथ-06 तसिंबरो 2022, कुल पृष्ट्ठ-92)




                एक सबल राष्ट् ही व                    व  श्व को योगदान द                   े े  सकता ह        ै ै
                एक सबल राष्ट् ही ववश्व को योगदान द सकता ह

                                     पं. दी    ि    द  र्ञा ल उप       ञा ध् र्ञार्
                                     पं. दीिदर्ञाल उपञाध्र्ञार्


                                                जोर्
                                                    ंती-25 सितंबर, 1916
                                        जोन्ि जोर्ंती-25 सितंबर, 1916
                                             ि

                                           न्
                                        जो
             पं. दीिदयाल उपाध्याय  मात्र एक राजिेता िहीं
             पं. दी ि दयाल उपाध्  या य
             थे, ्वह उच् कोन्ट के नचंतक, न्वचारक और
             लेखक थे। उ्वहनोंिे एक संतुनलत रूप से न्वकनसत

             शश््ततशाली राष्टट्र की कामिा की थी। ्वो कहते
             थे- देश ऐसे लोगनों का एक समूह है जो एक

             लक्षय, एक आदश्ष, एक नमशि के साथ जीते है

             और इस धरती के ्टुकड़़े को मातृभूनम के रूप में

             देखते हैं। यनद आदश्ष या मातृभूनम इि दोिनों में
             से कोई एक भी िहीं है तो इस देश का अश्स्तत््व

             भी िहीं है। भारत के अंत्योदय के प्रर्ेता पं.

             दीिदयाल उपाध्याय को 25 नसतंबर को उिकी

             ज्वम जयंती पर शत-शत िमि…...





                                                                                  े
                                                        ए ्क ा र्म  मानव द श्य न  ्क े प्र ्ण े ि ा पं. दीनद ्त् ाल उपाध् ्त्ा्त्  जी
                                                        ए्कार्म मानव दश्यन ्के प्र्णिा पं. दीनद्त्ाल उपाध््त्ा्त् जी
                                                                      ं
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                                                        ्क ो उन ्क ी ज ्त् ि ी पर श ि -श ि  नमन। उन ्क ा संपू ्ण्य  जीवन
                                                        ्को उन्की ज्त्िी पर शि-शि नमन। उन्का संपू्ण्य जीवन
                                                         स व्य जन  तहि ा ्त् -स व्य जन सुखा ्त्   ्क े  तस द् ांि  पर आधार रि
                                                         सव्यजन तहिा्त्-सव्यजन सुखा्त् ्के तसद्ांि पर आधाररि
                                                                                                तप्यि

                                                                     तनमा्य्ण
                                                        रहा और राष्टट्र
                                                        रहा और राष्टट्र तनमा्य्ण में अपना जीवन समतप्यि ्कर तद्त्ा।
                                                                                                            ा।
                                                                                                        तद्त्
                                                                             म
                                                                               ें अपना जीवन सम
                                                                                                    ्क

                                                                                                      र
                                                         उन्के तवचार देशवातस्त्ों ्को सदैव प्रेररि ्करिे रहेंगे। पं.
                                                         उन ्क े  तव चार देशवा तस्त् ों  ्क ो सदैव  प्रे र रि   ्क र ि े र ह ेंगे। पं.
                                                                      ्त्ा्त्
                                                                                  ि
                                                                                   े थे, 'ए
                                                              ाल उपाध्
                                                       दीनद्त्ाल उपाध््त्ा्त् जी ्कहिे थे, 'ए्क सबल राष्टट्र ही तव्चव
                                                                              ्क
                                                                                ह
                                                                                                          तव्चव

                                                                           जी
                                                            ्त्
                                                                                            सबल राष्टट्र ही
                                                       दीनद
                                                                                         ्क
                                                                                                            र
                                                         ्को ्त्ोगदान दे स्किा है।' ्त्ही सं्क्पप आज आर्मतनभ्यर
                                                                         ्कि
                                                                                             आज आ
                                                                                 ्त्
                                                                            ा है।'
                                                                                                     र्मतनभ्य
                                                            ्त्
                                                           ो
                                                              ोगदान दे स
                                                                                       ्क्पप
                                                         ्क
                                                                                   ही सं
                                                        भार ि   ्क ी मूल अवधार ्ण ा है। इसी आद श्य   ्क ो ले ्क र ही देश
                                                        भारि ्की मूल अवधार्णा है। इसी आदश्य ्को ले्कर ही देश
                                                               आ  र्मतनभ्य र ि ा  ्क े रास् िे  पर आगे बढ़ रहा है।
                                                               आर्मतनभ्यरिा ्के रास्िे पर आगे बढ़ रहा है।
                                                                        - न र ेंद्र मोदी, प्रधानमं त्री
                                                                        - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
                                                                         ें
                प्रधान संपादक:            प्रकाशक औरो मुद्रक:    कमरोा संख्या-278, कद्रीय सं्चारो ब्यूरोो,   मुद्रण: इनतफतनटी एिवटा्षइतजंग सतव्षसेस प्राइवेट तलतमटेि,
           सत्येन्द्र प्रकाश, प्रधान महातनदेशक,    मनीर् देसाई, महातनदेशक    सू्चना भवन, तवििीय िल,   एफबीिी वन कॉपपोरोेट पाक्फ, 10वीं मंतजल, नई तदल्ली-
                                            ें
           पत्र सू्चना काया्षलय, नई तदल्ली  कद्रीय सू्चना ब्यूरोो  नई तदल्ली- 110003 से प्रकातशि  फरोीदाबाद बॉि्टरो, एनए्च-1, फरोीदाबाद-121003
              90  न््ययू इंडि्या समाचार   16-30 डसतंबर 2022
                          र
                      ििञा्चञा

                                    2022
                                  त
                           16-31 अगस्
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