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राष्ट्र  आजादी का अमृत महोत्सव




                                तृ
                     जादली का अमत महोतसव देश के हि नागरिक के नलए गौिव का नवषर है। आजादली के 75 सालों में हमािे देश ने न
                     केवल लोकतंत्र कली जड़ों को गहिा नकरा है बशलक नवकास के हि पहलू कली दतृशषट से आज हम नवशव में उनचत सिान
         आ पि खड़े हैं। प्रधानमंत्रली निद् मोदली ने देश में एक नए तिलीके से अमत महोतसव मनाने का संकलप नलरा औि आजादली
                                         ें
                                                                       तृ
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         कली शताबदली रानली 2047 तक के कालखंि को अमत काल के रूप में मनाने का आह्ान नकरा। अमत काल के समापन पि हम हि क्त्र
                                                                                                           े
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         में  कहां खड़े होंगे, रे 25 साल के संकलप कली नसनद्ध से तर होगा। आजादली के अमत महोतसव श्रतृंखला के इस अंक में 22 अगसत कली
         तािलीख भली आ िहली है, इसली नदन 1921 में महातमा गांधली ने नवदेशली कपड़ों कली होलली जलाकि सवदेशली का नािा बुलंद नकरा औि अंग्रेजों
                                                                 तृ
         के नखलाि एक अलग तिह के नविोध कली शुरूआत कली। आजादली का अमत महोतसव कली इस श्रतृंखला में इस बाि के अंक में पनढ़ए
         भाितलीर सवतंत्रता संग्राम में भाग लेकि इनतहास में अनमट छाप छोड़ने वाले सवतंत्रता सेनानली ्मर्म रीकाजी का्मा, सुंदर शासत्री
                                                                                 ै
         सतय्मूनत्भ, के. केलप्पि और झवरिंद कालीदास ्मषेघाणी कली कहानली...
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                         भतीकािती कामा : ह्वदेश में पिलती बार


                          भार्तीय झंडा फिराने ्वालती महिला



                                रारत की आजादली से चाि दशक पहले, साल 1907 में नवदेश में पहलली बाि भाित का झंिा एक औित ने िहिारा
                                िा। नवदेश कली धितली पि भाित का झंिा िहिाने वालली रह पहलली मनहला कोई औि नहीं, बशलक मैिम भलीकाजली
                                रूसतम कामा िली नजनहोंने जमयानली के सटटुटगाट्ड में हुई दूसिली ‘इंटिनेशनल सोशनलसट कांग्रेस' में रे झंिा िहिारा िा।
                                रे भाित के आज के झंिे से अलग, आजादली कली लड़ाई के दौिान बनाए गए कई अनौपचारिक झंिों में से एक िा।
                                मैिम कामा के नाम से लोकनप्रर भलीकाजली का जनम 24 नसतंबि 1861 को मुंबई के एक पािसली परिवाि में हुआ िा।
                                मुंबई प्रेनसिेंसली में 1896 में अकाल औि उसके बाद िैले पलेग के दौिान भलीकाजली ने लोगों कली बहुत सहारता कली
                                औि खुद भली पलेग से ग्रनसत हो गई। ऐसे में जब वह इलाज के नलए लंदन गई तो वहां उनकली मुलाकात िाषट्वादली
                                शरामजली कषर वमाया औि दादाभाई नौिोजली से हुई। उनकली हली प्रेिरा से मैिम कामा भाितलीर सवाधलीनता संघषया में जुट
                                        कृ
                                गईं। उसके बाद मैिम कामा ने 1905 में लंदन में इंनिरन होम रूल सोसारटली कली सिापना में सहारता कली। बाद में,
                                वे पेरिस चलली गईं औि पेरिस इंनिरन सोसारटली कली सिापना में सहरोग नदरा। नवदेश में िहकि भाितलीर आजादली के

          ज््म: 24 नसतंबर 1861   आंदोलन में शानमल कई लोगों के साि नमलकि उनहोंने न नसि्क रिांनतकािली सानहतर नलखा बशलक उनहें प्रकानशत कि
                                                      या
          ्मृतयु : 13 अगसत 1936  लोगों तक पहुंचाने में महतवपूर भूनमका ननभाई। उनके ओजसवली लेख औि भाषर रिांनतकारिरों के नलए अतरनधक
                                प्रेिरा स्ोत बने। भाितलीर सवाधलीनता के नलए लगाताि सनरिर मैिम कामा ने जमयानली के सटटुटगाट्ड में संपन्न दूसिली
                                सोशनलसट कांग्रेस में नहससा नलरा िा। 22 अगसत 1907 को इस सममेलन में उनहोंने मानवानधकाि औि समानता
                                के सवाल तो उ्ठाए हली नब्नटश शासन से भाित कली आजादली कली अपलील भली कली िली। कामा ने जब वहां नब्नटश झंिा
                                देखा तो उसे हटा कि भाित का नरा झंिा सभा में िहिा नदरा, नजसे उनहोंने भाितलीर सवाधलीनता का धवज कहा।
        कामा ने जब
                                बाद में इस झंिे को भाित लारा गरा नजसे पुरे के मिा्ठा औि केसिली पुसतकालर में िखा गरा गरा। मैिम कामा के
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        सोशललस्ट कांग्स         निजारन नकए गए उस झंिे के हली बुननराद पि भाितलीर सवानभमान का प्रतलीक मौजूदा धवज बनारा गरा। सवाधलीनता
        सम्लन में ब्रिटिश       के नलए मैिम कामा के संघषया औि तराग कली नविासत को भाित ने सममान के साि संजोरा है। 26 जनविली 1962 को
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                                                                                                     या
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        झंडा दखा तो उसे हिा     िाक औि ताि नवभाग ने उनके सममान समतृनत में एक िाक नटकट जािली नकरा। मैिम काम का जलीवन धैर, प्रनतबद्धता
                                औि िाषट् प्रेम कली नमसाल है। मुंबई शसित िाजभवन में जल भूषर भवन औि रिांनतकारिरों कली गैलिली का उदघाटन
        कर भारत का नया
                                                 ें
                                किते हुए प्रधानमंत्रली निद् मोदली ने मैिम भलीकाजली कामा के बहुआरामली रोगदान को राद नकरा िा औि कहा िा,
        झंडा सभा में फहरा       “मैिम भलीकाजली कामा ने संपन्नता भिे अपने जलीवन का तराग कि आजादली कली अलख जलाई। हमािे आज के नतिंगे
                                                                                   कृ
        टदया। वो तारीख थी       कली प्रेिरा का जो स्ोत है, उस झंिे कली प्रेिरा मैिम कामा औि शरामजली कषर वमाया जैसे सेनानली हली िे। सामानजक,
        22 अगस्त।               परिवारिक, वैचारिक भूनमकाएं चाहे कोई भली िहली हों, आंदोलन का सिान चाहे देश-नवदेश में कहीं भली िहा हो, लक्र
                                एक िा - भाित कली संपूर आजादली।” 74 साल कली उम्र में मैिम कामा ने पािसली जनिल हॉशसटपल में 13 अगसत
                                                  या
                                1936 को अपने जलीवन कली अंनतम सांस लली।



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