Page 52 - NIS Hindi 16-31 Aug 2022
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राष्ट्र  आजादी का अमृत महोत्सव



                                                                         ं
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                सुंदर शासत्ती सतयमूह् : स्व्त््ा आंदोलन
                          और समाि कलयाण साथ-साथ



                              सनविय अवज्ा औि भाित छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले, भाित के प्रनसद्ध रिांनतकािली नेता एस सतरमनतया न केवल एक
                                                                                                  ू
                              महान वकता, नशक्ानवद एवं कला के पािखली वरशकत िे बशलक तराग औि साहस कली प्रनतमनतया भली िे। उनहोंने नशक्ा औि समाज
                                                                                      ू
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                              कलरार के क्ेत्र में जलीवनपरिंत रोगदान नदरा। पेशे से वकलील संदि शासत्रली सतरमनतया बहुत छोटली उम्र में हली िाषट्लीर आंदोलन
                              से प्रभानवत हो गए िे। ऐसे में, देश को आजाद किाने कली इचछा उनको रिांनत कली िाह पि ले गई। उतकषट औि प्रभावशालली
                                                                                                कृ
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                              वकता एस सतरमनतया आज के तनमलनािटु के पुदुकोट्ई रिरासत में नतरुमरम के ननवासली िे। उनका जनम 19 अगसत 1887
                              को हुआ िा। उनका लालन-पालन पािंपरिक वाताविर में हुआ औि मद्ास से नशक्ा संपन्न किने के बाद उनहोंने कुछ समर
                                                             े
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                              तक वकालत कली। बाद में वे भाितलीर िाषट्लीर काग्रस में शानमल हो गए। उनहोंने औपननवेनशक शासन के नविोध में सनरिर रूप
                              से नहससा नलरा। चाहे बंगाल का नवभाजन हो रा िॉलेट एकट, जनलरांवाला बाग निसंहाि हो रा साइमन कमलीशन का नविोध
                                                                                      ं
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                              सतरमनतया सबसे आगे नजि आए। वह वाईकॉम सतराग्रह, नमक सतराग्रह औि गुरुवरि मनदि आंदोलन में भली शानमल िहे िे।
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                                                                     े
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                              उनहोंने सवदेशली आंदोलन में भली भाग नलरा िा। 1919 में काग्रस ने उनह नब्टेन में िॉलेट एकट औि मोंटेगू चेमसिोि्ड सुधािों
                                                                    ं
         ज््म: 19 अगसत 1887   का नविोध किने के नलए अपना प्रनतनननध चुना िा। वह पहले गांधलीवादली िहे औि निि काग्रस सोशनलसट बन गए। सतरमनतया,
                                                                                       े
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          ्मृतयु : 28 ्माि्भ 1943
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                              सलीआि दास औि मोतलीलाल नेहरू जैसे वरिष्ठ काग्रसली नेताओं के साि सविाज पाटती में शानमल हुए िे। 1930 में उनह मद्ास
                                                              े
                                                                                                        ें
                              में एक मनदि पि नतिंगा िहिाने कली कोनशश के नलए नगिफताि नकरा गरा िा। 1937 में मद्ास में नवधानसभा में काग्रस कली
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                                                                                                         े
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                              जलीत में सतरमनतया ने महतपर भनमका ननभाई िली। जब वे 1939 में मद्ास के महापौि बने तो शहि जल संकट का सामना कि
       चाह बंगाल का
           े
                                                                               ू
                              िहा िा। ऐसे में उनहोंने महापौि के रूप में काम किते हुए पानली कली समसरा दि किने के नलए जलाशर का ननमायार किवान  े
       ववभाजन हो या रॉलेि     कली सोचली। दिद्षटा िाजनलीनतज् सतरमनतया ने जल आपनतया बढ़ाने के नलए शहि के पशशचम में लगभग 50 नकलोमलीटि दि पिली
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       एक्ट, जललयांवाला       में जलाशर का ननमायार किवारा। बड़ली बात रह है नक आज भली चेन्नई के नलए रह एकमात्र जलाशर है। इतना हली नहीं, व  े
                              नवनभन्न समाजसेवली संग्ठनों के सवरंसेवकों कली मदद से मद्ास शहि के नलए सौंदरतीकिर रोजना लागू किने वाले पहल  े
       बाग नरसंहार हो या
                                                                               ें
                              वरशकत िे। 1942 में भाित छोड़ो आंदोलन शुरू होने के बाद अग्रजों ने उनह नगिफताि कि नलरा औि प्रतानड़त नकरा। उन
                                                                       ं
                                                                        े
       साइमन कमीशन का
                              पि मुकदमा चला औि सश्रम कािावास कली सजा सुनाकि उनह अमिावतली जेल भेज नदरा गरा। जेल का क्ठोि जलीवन उनके
                                                                     ें
       ववरोध सत्यमूब्तति      सवासरर पि भािली पड़ा। इस दौिान उनह िलीढ़ कली हड्ली कली बलीमािली कली समसरा हुई, नजसके कािर 28 माचया 1943 को मद्ास के
                                                      ें
                                                              ू
       सबसे आगे नजर आए        जनिल असपताल में उनका ननधन हो गरा। सतरमनतया को एक अनर सवतंत्रता सेनानली के. कामिाज के गुरु के रूप में भली राद
                                                                                      ु
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                              नकरा जाता है, जो बाद में तनमलनािटु के मुखरमत्रली बने। सतरमनतया लोक कला में भली ननपर िे। वे कनायाटक लोक कला में तो
                                                                                                  ू
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                                                                                   या
                              नवशेषरूप से पािंगत िे। उनहोंने मद्ास में संगलीत अकादमली कली सिापना में महतवपूर भनमका ननभाई। सतरमनतया एक जननेता
                              िे जो हमेशा आम जन के नहतों के नलए काम किते िहे।
                                        के. केल्पन : केरल गांधती के
                                   रूप में ह्वखया् स्वाधतीन्ा सेनानती
                                        ज््म: 24 अगसत 1889, ्मृतयु : 07 अकटटूबर 1971
        केरल के प्रमुख पुनजायागिर नेताओं में से एक, के. केलपपन ने समाज   लोगों को उनके माधरम से हली वासतनवक रूप में गांधलीवादली आदशषों के बािे
                                                                                           तृ
        सुधािक औि सवतंत्रता सेनानली होने के कािर िाजर पि एक अनमट छाप   में पता चला। केलपपन ने महातमा गांधली के नेततव वाले असहरोग आंदोलन
                                                                                                ें
        छोड़ली। 24 अगसत 1889 को काललीकट के एक छोटे से गांव में जनम,   का नहससा बनने का िसला नलरा। उसके बाद से, उनह कोई िोक न सका।
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        केलपपन ने दो लड़ाइरां लड़ीं - एक सामानजक सुधािों के नलए औि दूसिली   केलपपन ने पयरानि औि काललीकट नमक सतराग्रहों का नेततृतव नकरा औि
          ं
        अग्रजों के नखलाि। प्रनसद्ध सवतंत्रता सेनानली, समाज सुधािक, नशक्ानवद   वे महातमा गांधली विािा शुरू नकए गए वरशकतगत सतराग्रह आंदोलन में केिल
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        औि  पत्रकाि  के  केलपपन  को  उनके  मनोभाव  औि  गि-टकिाववादली   के पहले सतराग्रहली के रूप में चुने गए। 1932 में वारकॉम सतराग्रह औि
                                                                                                    ं
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        दतृशषटकोर के कािर केिल के गांधली के रूप में जाना जाता है। केिल के   गुरुवारि सतराग्रह ने केलपपन को केिल के सवतंत्रता सग्राम में सबस  े
          50  न्यू इंडि्ा समाचार   16-31 अगस्त 202216-31  अगस्त  2022
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