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राष्ट्र  आजादी का अमृत महोत्सव



                झ्वेरचंद कालतीदास मेराणती : हिनिें मिातमा


                           गांधती ने किा था ‘राष्ट्रतीय शायर’




                                ियोनटला कसबषे में जनम लेने के कािर सवरं को ‘पहाड़ नु बालक’ कहने वाले झवेिचंद काललीदास मेघारली एक ऐसे
                                सानहतरकाि िे नजनहें िाषट्नपता महातमा गांधली ने ‘िाषट्लीर शारि’ कह कि सममाननत नकरा िा। झवेिचंद मेघारली का
                                जनम 28 अगसत 1896 को सौिाषट् के चोनटला कसबे में हुआ िा। अलपारु से हली उनकली रूनच सानहतर में िली। उनहोंने
                                अपनली पहलली कनवता केवल 12 वषया कली उम्र में नलखली िली। उनहोंने संसककृत औि अंग्रेजली दोनों सानहतर में निग्रली हानसल
                                कली। प्रनसद्ध लोक कनव झवेिचंद, नब्नटश िाज के दमन के बािे में लोगों को जागरूक किने के नलए गुजिातली लोकगलीत
                                                                                    या
                                गाते िे। साि हली, वे देश के लोकगलीत पिंपिाओं को जलीनवत िखने का कार भली कि िहे िे। मेघारली ने 1930 में
                                देशभशकत के 15 गलीतों का संग्रह ननकाला नजसमें नमक औि धोलेिा सतराग्रह कली सिाहना कली गई िली।  नब्नटश सिकाि
                                ने उस नकताब पि प्रनतबंध लगा नदरा औि उसकली सभली प्रनतरां जबत कि लली। लेनकन लोगों कली रिांनतकािली भावना के
                                कािर उनकली आवाज दबाई नहीं जा सकली औि पुसतक कली प्रनतरां गुपचुप नवतरित कली जातली िहीं। अंग्रेजों ने उन पि
                                झू्ठे आिोप लगा कि 28 अप्रैल 1930 को नवशेष अदालत में उपशसित होने का सममन भेजा। इसके बाद उनहें दो
                                साल कली सजा देकि साबिमतली जेल भेजा गरा लेनकन गांधली-इिनवन समझौता के बाद एक वषया में हली रिहा कि नदरा
           ज््म: 28 अगसत 1896   गरा। दूसिे गोलमेज सममेलन के नलए इंगलि िवाना होने कली पूवया संधरा पि महातमा गांधली को लगा नक अंग्रेज उनकली
                                                             ैं
            ्मृतयु : 9 ्माि्भ 1947
                                  या
                                पूर सवतंत्रता कली मांग को सवलीकाि किने को इचछटुक नहीं हैं। मेघारली ने तुिंत ‘छेललो कटोिो’ नामक कनवता नलखली
                                नजसका मतलब िा नवष का आनखिली पराला। इसे पढ़ कि महातमा गांधली ने तुिंत कहा, “ऐसा प्रतलीत होता है नक मेघारली
           मेघाणी ने 1930 में   मेिली आतमा में प्रवेश कि गए हैं औि इस कनवता के माधरम से मेिे मशसतषक को पूिली तिह अपने वश में कि नलरा
                                है।” तभली उनहोंने मेघारली को ‘िाषट्लीर शारि’ का नखताब नदरा िा। इतना हली नहीं, सिदाि बललभभाई पटेल ने उनकली
          दशभब्ति क 15 गीतों
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                                प्रशंसा किते हुए कहा िा, “मेघारली का सवि साहस से ओतप्रोत िा।” उनके प्रनसद्ध गलीतों में से ‘मोि बनली िनगट
          का संग्ह ननकाला       किे...’ रानन मेिा मन मोि कली तिह नाचता है, 2013 में आई नहंदली निलम ‘गोनलरों कली िासललीला, िामललीला’ में
          नजसमें नमक और         इसतेमाल नकरा गरा िा। मेघारली ने 100 से अनधक पुसतकें भली नलखली हैं। उनकली पहलली पुसतक ‘कुबायानली नली किाओ’
                                                             रै
          धोलेरा सत्याग्ह की    शलीषयाक से प्रकानशत हुई िली जो िवींद्नाि टगोि कली ‘कोिा ओ कानहनली’ का अनुवाद िा। रह पुसतक पहलली बाि
                                1922 में प्रकानशत हुई िली। वह जनमभूनम समूह के ‘िूलछाब’ समाचि पत्र के संपादक भली िे जो आज तक िाजकोट
          सराहना की गई थी।
                                से प्रकानशत हो िहली है। रिांनतकािली कनव झवेिचंद मेघारली ननिंति सवाधलीनता संघषया में संलनि िहे लेनकन वे देश में
                                बढ़ते सांप्रदानरक वैमनसर से भली वरनित िे। संभवत: इसली दुख के कािर उनहें हृदराघात हुआ औि 9 माचया 1947
                                को वे इस दुननरा से नवदा हो गए। 14 नसतंबि 1999 को िाक नवभाग ने उनके सममान में एक नटकट जािली नकरा िा।



        आगे लाकि खड़ा कि नदरा। 1942 में, उनह भाित छोड़ो आंदोलन में भाग   संसिापक सदसर औि अधरक् के रूप में केलपपन के सुधािवादली नजरिरे
                                     ें
        लेने के नलए जेल में िाल नदरा गरा। भाित के सवतंत्रता सग्राम में अपनली   कली आज भली सिाहना कली जातली है। सवतंत्रता के बाद उनहोंने मलरालम भाषली
                                               ं
        भनमका के अलावा, उनहोंने समाज के दबे-कुचले लोगों के उतिान के नलए   लोगों कली तलीन रिरासतों का एकलीकिर कि केिल िाजर के ग्ठन में प्रमुख
         ू
                                                              ू
                                                                                                        या
        भली प्ररास नकए। उनहोंने असपशरता को नमटाने के नलए कड़ली मेहनत कली   भनमका ननभाई। वे 1952 में संसद के नलए चुने गए। अपने कारकाल के
                            तृ
                                                                                                    या
        औि हरिजनों के उतिान के नलए काम नकरा। उनहोंने केिल में कई हरिजन   अंत में उनहोंने सनरिर िाजनलीनत छोड़ दली औि सवपोदर कारकताया बन गए।
        छात्रावास औि सकूल भली सिानपत नकए। वे सवदेशली आंदोलन में सबसे आग  े  वह केिल में भूदान आंदोलन में सनरिर रूप से जुड़ गए। वे केिल में
                                                 ू
        िे औि उनहोंने खादली औि ग्रामोद्योग का नवकास किने कली पिली कोनशश   लगभग सभली गांधलीवादली संग्ठनों के अधरक् भली िहे। इनतहास उनह एक ऐस  े
                                                                                                       ें
        कली। भाित कली सवतंत्रता के नलए अपनली ननसवािया प्रनतबद्धता के अलावा, के   ननसवािया वरशकत के रूप में राद किता है नजनह कभली सत्ता रा पद कली चाह
                                                                                           ें
        केलपपन कली प्रमुख उपलशबधरों में से एक गुरुवारुि जनमत संग्रह है। रहा  ं  नहीं िली, जो गांधलीजली के आदशषों को कारम िखते िे औि सेवक का जलीवन
                                                                             ू
                                                                            तृ
        हुए जनमत संग्रह ने सवरषों औि उच् जानत समूहों के सवानमतव वाले कई   वरतलीत किते िे। मातभनम अखबाि के शताबदली वषया समािोह के उदघाटन
             ं
        ननजली मनदिों के दिवाजे अपनली जानत रा वगया के अलावा, बड़े पैमाने पि   अवसि पि प्रधानमत्रली निद् मोदली ने ‘केिल गांधली’ के केलपपन को राद
                                                                          ं
                                                                              ें
        जनता के नलए खोलने का मागया प्रशसत नकरा। नारि सनवयास सोसाइटली के   नकरा िा। के केलपपन का 07 अकटूबि 1971 को ननधन हो गरा। n
                                                                                    न्यू इंडि्ा समाचार    16-31 अगस्त 2022 51
                                                                                   ्यू इंनडया समा्चार   16-31  अगस्त  2022  51
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