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राष्ट्र अमृत महो्सव
रासडबहारी बोस जनम : 25 मई 1886, मृत् : 21 जनवरी 1945
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आजाद विंद फौज को िड़ा
किने िाले प्रमुि नेता
ब नेताजी देश से बाहर तनकल कर जमरुनी गए तो रासतबहारी बोस
जको लगा तक आजाद तहंद फनौज का नेतृतव सुभाि चंद् बोस से बेहतर
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कोई और नहीं कर सकता है। ऐसे में उनहोंने नेताजी को आमतत्रत करने का
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तनणरुय तलया और जब नेताजी सुभाि चद् बोस 20 जून 1943 को टो्यो पहंच े
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तो रासतबहारी बोस ने उनसे भेंट कर बांगला में बात की और देश को अंग्जों
की गुलामी से मु्त कराने का संकलप तलया। रासतबहारी बोस को नेताजी
से काफी उममीदें थी। दरअसल, ऐसा होना सवाभातवक था ्योंतक दोनों
वयक्तयों में काफी समानाताएं थी। दोनों बोस थे, बंगाली थे, रिांततकारी थे
और साथ ही एक दूसरे के प्रशंसक भी थे। ऐसे में रासतबहारी बोस ने 5
जुलाई को तसंगापुर में आजाद तहंद फनौज की कमान नेताजी के हाथों में सौंप
दी और खुद को सलाहकार की भूतमका तक सीतमत कर तलया। रासतबहारी
दोनों बोस ्े, बोस से जो मदद हो सकती थी, उनहोंने की। माना जाता है तक आजाद तहंद
बंगाली ्े, फनौज की कमान तमलने के बाद ही नेताजी की असली लड़ाई शुर् हुई थी।
रिांडतकारी ्े और रासतबहारी बोस का जनम 25 मई, 1886 को बंगाल के वधरुमान तजले के
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सा् ही एक दसरे सुभलदा गांव में हुआ था। सकूली तदनों से ही वह रिांततकारी गतततवतधयों
के प्रशंसक भी ्े। की ओर आकतिरुत होने लगे थे और बहुत ही कम उम्र में उनहोंने रिूि बम
बनाना सीख तलया था। बंतकम चंद् के उपनयास आनंद मठ से उनके अंदर
आजादी के दीिाने लािों नौजिानों को
गुरबखश डसंह डि्लन
जनम : 18 माच्ण 1914
मृत् : 06 फरवरी 2006 एक सूत्र में बांधने का वकरा था काम
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ढ़ाई-तलखाई में तेज होने और कद-काठी भी गुरबखश डसंह डि्लन को देश
पठीक होने के कारण गुरबखश तसंह तिललन सेवा के डलए ‘पद्म भषर' से
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के तपता के एक दोसत ने उनह सेना में भतमी होने की सममाडनत डक्ा ग्ा।
सलाह दी थी। तफर ्या था। उनहोंने तैयारी शर् कर
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दी और 1933 में इतियन आममी में भतमी हो गए। 14 लड़ने को तैयार हो गए। ऐसे में जब वह जेल से छट ़े
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वीं पंजाब रतजमेंट में चुने जाने और ट्तनंग के बाद तो वह सुभाि चद् बोस के नेतृतव वाले आजाद तहंद
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वह 1941 में तवितीय तवशव युद्ध में लड़ने के तलए फनौज में शातमल हो गए और देश के तलए अपने प्राण
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मलतशया चले गए। हालातक, उनके जीवन में अहम नयनौछावर करने के तलए तैयार हो गए। आजाद तहंद
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मोड़ तब आया जब 1942 में जापान की सेना ने उनह ें फनौज के तसपाही के तनौर पर तिललन ने खूब बहादुरी
युद्ध बंदी बना तलया। जेल में रहने के दनौरान उनका तदखाई और अपने परारिम का पररचय देते हुए
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मन बदल गया और उनहोंने अपने देश की खाततर अंग्जों के नाक में दम कर तदया। हालातक, युद्ध में
लड़ने का मन बनाया और तरितटश सेना के तखलाफ जापातनयों के हार के कारण तिललन सतहत आजाद
46 न्यू इडिया समाचार | 16-31 जनवरी 2022
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