Page 47 - NIS Hindi 16-31 JAN 2022
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राष्ट्र  अमृत महो्सव





                                                                               कैपटन अ्बबास अली
                                                                     अंग्जी सेना छोड़ आजाद
                                                                           े
                                                                     विंद फौज में िुए थे शावमल




                                                                       जनम : 3 जनवरी 1920, मृत् : 11 अकटूबर 2014
                                                                                            ु














                                                                   ऐ दररया-ए-गंगा तू खामोश हो जा, ऐ दररया-ए-सतलज त  ू
                                                                  ‘सयाहपोश हो जा...भगत तसंह तुमको तफर से आना पड़गा...
                                                                                                       ़े
                                                                  हुकूमत को जलवा तदखाना पड़गा।’ इन पंक्तयों को गाकर
                                                                                       ़े
                                                                  ननौजवानों की कई पीतढ़यों को इंकलाब का पाठ पढ़ाने वाले बुलंद
                                                                  आवाज वाले कैपटन अबबास अली का जनम उत्तर प्रदेश के
                                                                  बुलंदशहर तजले के खजारु में 3 जनवरी 1920 को हुआ था। व  े
                                                                                 ु
                                                                  सवाधीनता सेनातनयों के पररवार से थे और उनके दादा र्सतम
                                                                  अली खान को 1857 में प्रथम सवतंत्रता संग्ाम के बाद उत्तर
                                                                  प्रदेश के बुलंदशहर में फांसी दी गई थी। जब अंग्ेजों ने भगत
                                                                  तसंह को फांसी दी, उस समय अबबास अली महज 11 साल के थे।
                                                                  बावजूद इसके वह तवरोध प्रदशरुनों में भाग लेते रहे और ननौजवान
                                                                  भारत सभा में शातमल हो गए तजसकी सथापना भगत तसंह और
        प्रेम कुमाि सहगल। आजाद नहंद सेना के इन सैननक अनधकारिरों का   उनके सातथयों ने की थी। बाद में अलीगढ़ तवशवतवद्ालय में पढ़ाई
                      यु
        जब कोट्ड माशयाल हआ ्ो संप्रदानरक आधाि पि अकालली दल ने कनयाल   के दनौरान वे ऑल इतिया सटिट फेिरेशन के सदसय बने और
                                                                                      ें
                                                                                     टू
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        नढललन व मयुस्ट्लम ललीग ने जनिल शाहनवाज खान का केस लड़ने    1939 में वह तवद्ोह के इरादे के साथ तरितटश इतियन आममी में
                                                                                                 ं
        का प्रट््ाव नदरा लेनकन इन सैननक अनधकारिरों ने उस प्रट््ाव को   भतमी हो गए। 1940 में उनह जापान के तखलाफ लड़ाई में दतषिण-
                                                                                    ें
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                                            यु
        ्ठुकिा नदरा ्ा औि उस समर रह नािा काफली बलंद हआ ्ा ‘लाल    पवरु एतशया के मोचचो पर भेजा गया। हालातक, नेताजी सुभाि चनद्
                                                यु
                                                                                               ं
                                                                                                          ं
        नकले से आई आवाज- सहगल, नढललन, शाहनवाज।’ महातमा गांधली     बोस ने जब 1944 में तसंगापुर से सशसत्र रिातत का तबगुल फूका
                                                                                                        े
        से ‘ने्ाजली’ कली उपनाम पाने वाले सभाष चंद्र बोस का नदरा हआ   तो उनकी ललकार सुनकर कैपटन अबबास अली ने अंग्जी सेना
                                                       यु
                                    यु
        नािा ‘जर नहंद’ आज भाि् का िाषरिलीर नािा बन चका है। आजादली के   की ननौकरी छोड़ दी और वे आजाद तहंद फनौज में शातमल हो गए।
                                            यु
                                                                  बाद में उनहोंने मयामार के वतरुमान प्रात रखाइन में तरितटश सेना के
                                                                              ं
                                                                                          ं
                                       यु
        अमृ् महोतसव के इस कड़ली में इस बाि सभाष चंद्र बोस के सहरोगली   साथ लड़ाई लड़ी लतकन जब जापातनयों ने तमत्र देशों की सेना के
                                                                               े
        औि आजाद नहंद फौज के नसपानहरों कैपटन अबबास अलली, िासनबहािली   समषि समपरुण कर तदया तो अबबास अली के साथ आजाद तहंद
                                       यु
        बोस, गयुिबखश नसंह नढललन, कनयाल ननजामद्लीन कली कहानली। नजनहोंने   फनौज के 60 हजार से अतधक सतनकों को तगरफतार कर तलया
                                                                                       ै
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        ना केवल अंग्जों से लोहा नलरा बस्लक ने्ाजली के ‘भाि् बला िहा है।   गया। इसके बाद अबबास अली को उनके तीन सातथयों के साथ
        िक्, िक् को आवाज दे िहा है। उ्ठो, हमािे पास अब गंवाने के नलए   मुलतान के तकले में रखा गया और उन पर मुकदमा चलाया गया।
        समर नहीं है’ के आह्ान पि देश कली खान्ि प्रा्ण नरौछावि किने को   अबबास अली का कोट्ट माशरुल तकया गया और आतखरकार 1946
                                                                       ें
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        उ्ठ खड़े हए ्े।                                            में उनह फांसी की सजा सुनाई गई। बाद में जब देश आजाद हो
                                                                          ें
                                                                  गया तो उनह ररहा कर तदया गया।
                                                                                    न्यू इडिया समाचार | 16-31 जनवरी 2022 45
                                                                                      ं
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