Page 49 - NIS Hindi 16-31 JAN 2022
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राष्ट्र  अमृत महो्सव




           आजाद डहंद फौज को पांच रेडजमेंट में बांटा ग्ा ्ा                               कन्णल डनजामुद्ीन
 आजाद विंद फौज को िड़ा   सुभाष डबगेि- नेतृतव कर रहे ्े कन्णल शाहनवाज खान।            वजनिोंेने नेताजी

           गांधी डबगेि- कन्णल इना्त डक्ानी के नेतृतव में।
 किने िाले प्रमुि नेता  आजाद डबगेि- कन्णल गुलजारा डसंह।                              को बचाने पीठ
           नेहरू डबगेि- ले. कन्णल गुरबकश डसंह डि्लन।
           झांसी की रानी रेडजमेंट - कैपटन लक्मी सहगल। ्ह                            पि गोवलरां िाईं
           मडहलाओं की डबगेि ्ी।

        रिांतत की भावना उमड़ पड़ी थी और उन पर सवामी तववेकानंद और
        सुरेंद्नाथ बनजमी के राष्ट्वादी भािणों का भी बहुत प्रभाव था। ऐसा
        माना जाता है तक खुदीराम बोस और प्रफुलल चाकी ने मुजफफरपुर में
        मतजसट्ट तकंगसफि्ट को मारने के तलए तजस बम का इसतेमाल तकया
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        था उसे रासतबहारी बोस ने ही बनाया था। इतना ही नहीं, उनहोंने 1912
        में रिांततकाररयों के नेतृतव में उस समय के भारत के वायसराय लॉि्ट    राणसी में 9 मई 2014 का तदन था जब एक मंच पर
        हातििंग को मारने की भी योजना बनाई थी लेतकन वे इस प्रयास में   वागुजरात के ततकालीन मुखयमंत्री नरेंद् मोदी ने एक
        तवफल रहे और गदर आंदोलन में सतरिय हो गए। अंग्जों के तनशाने   बुजुगरु के पांव छए थे। वह बुजुरुग वयक्त कोई और नहीं
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        पर आने और उससे बचने के तलए वह तकसी की सलाह पर जापान         बकलक कनरुल तनजामुद्ीन थे जो नेताजी सुभाि चंद् बोस की
        चले गए थे और भारत की मदद के तलए जापानी सरकार को तैयार       अगुवाई वाले संगठन आजाद तहंद फनौज के सदसय रहे
        तकया था। उनहोंने एक जापानी लड़की से शादी की थी और जापान      थे। माना जाता है तक वह नेताजी सुभाि चंद् बोस की गाड़ी
        सरकार ने रासतबहारी बोस को दूसरे सबसे बड़़े अवॉि्ट ‘ऑि्टर ऑफ   चलाया करते थे और 11 भािाओं के जानकार होने के साथ-
        राइतजंग सन’ से भी सममातनत तकया था। वह एक असाधारण नेता थे    साथ गजब के तनशानेबाज भी थे। कहा जाता है तक उनहोंने
        तजनके सांगठतनक कनौशल ने भारतीय सवतंत्रता संग्ाम के एक बड़़े   लड़ाई में एक बार अंग्जों का तवमान मार तगराया था।  उत्तर
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        तहससे का तनमारुण तकया। उनका बतलदान आने वाली पीतढ़यों को प्रेरणा                     प्रदेश के आजमगढ़ तजले
        देता रहेगा।                                                    नेताजी से उनकी      के िकवा गांव में पैदा होने

                                                                       पहली मुलाकात        वाले कनरुल तनजामुद्ीन को
                                                                       डसंगापुर में हुई ्ी   सुभाि चंद् बोस ने कनरुल

        तहंद फनौज के कई तसपातहयों को 1945 में तगरफतार कर तलया गया और उन   और वहां आजाद     का नाम तदया था और
        पर ‘लाल तकला ट्ायल' नामक ऐततहातसक मुकदमा चलाया गया। तिललन      डहंद फौज की भतजी    वह बमारु में उनकी गाड़ी
        के मुकदमे की पैरवी के तलए देश के कई नामचीन वकील सामने आए और    चल रही ्ी।          चलाते थे। नेताजी से उनके
        अदालत में उनके बचाव में जबदरुसत पैरवी की। उन पर मुकदमा चलाने का                    मजबूत ररशतों का संकेत
        मामला एक राष्ट्ीय मुद्ा बन गया और लोगों का आरिोश खुलकर सामने आन  े  इस बात से तमलता है तक विरु 2015 में सुभाि चंद् बोस की
        लगा।  नेताजी ने भारतीयों के एक सूत्र में बंधने की जो कलपना की थी वो साकार   प्रपनौत्री राजयश्री चनौधरी, तनजामुद्ीन से तमलने आजमगढ़ गई
        होने लगी थी और भयानक सामप्रदातयक दंगों के बावजूद, धमरु की दीवारें, इस   थीं। माना जाता है तक तनजामुद्ीन तरितटश आममी में पैराट्रूपर
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        ट्ायल के आगे टट चुकी थी। दूर-दराज से आकर लोग लालतकले के बाहर   थे लेतकन अपने मद्ासी और कशमीरी सैतनकों के साथ
        जमा होने लगे थे। ऐसे में अंग्ेजों को समझ आ गया था तक अगर इन तीनों   सेना छोड़ वह सुभाि चंद् बोस के साथ चले गए थे। कनरुल
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        को सजा दी गई तो पूरे देश में तवद्ोह की आग भड़क उठगी। ऐसे में अंग्जों   तनजामुद्ीन आजाद तहंद फनौज से जुड़ी हुई एक बात का
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        ने मजबूर होकर गुरबखश तसंह तिललन सतहत आजाद तहंद फनौज के सभी   तजरि अ्सर तकया करते थे और कहते थे उनहोंने सुभाि
        सतनकों को ररहा कर तदया। इस मुकदमे का महतव इसतलए भी है तक इसन  े  चंद् बोस को बचाने के तलए अपनी पीठ पर तीन गोतलयां
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        हमारी आजादी के संघिरु को अंजाम तक पहंचाया। 5 नवंबर, 1945 से 31   खाई हैं। वह बताया करते थे तक तकसी ने नेताजी को तनशाना
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        तदसंबर, 1945 यानी 57 तदन तक चला यह मुकदमा तहनदसतान की आजादी   बना कर गोतलयां चलाई थी और उनहें बचाने के प्रयास में
        के संघिरु में टतनिंग पाईंट था। यह मुकदमा कई मोचचों पर तहनदसतानी एकता को   उनके पीठ पर तीन गोतलयां लगी थी तजसे िॉ्टर लक्मी
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        मजबूत करने वाला सातबत हुआ। भारत सरकार ने 1998 में गुरबखश तसंह   सहगल ने तनकाला था। तनजामुद्ीन की मृतयु आजमगढ़ के
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        तिललन को देश सेवा के तलए ‘पद्म भिण' से सममातनत तकया था।     मुबारकपुर में फरवरी 2017 में हुई। n



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