Page 49 - NIS Hindi February 01-15,2023
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रवाषट् अमृत महोतस्
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बद्रीित् पािय बांस बरल्री क सरदार थे स्वतंरिता
सेिाि्री दामोदर स्वरूप सेठ
जन्म : 11 फरवरी 1901, ्मृत्यु 1965
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नजन्ोंिे उत्तरायण्री मेले में नसधि क्रांनिकािली एवं देशभकि दामोदि सवरूप
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कल्री बेगार प्रथा का रकया अंत से्ठ का जनम उत्ि प्रदेश के बिेलली नजले में 11
फिविली 1901 को हुआ था। देश को आजाद
जन्म : 15 फरवरी 1882, ्मृत्यु : 13 जनवरी 1965 किाने के नलए उनहोंने अपना पूिा जलीवन लगा
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त्रकारििा से जन आंदोलन शुरू किने वाले सविंत्रिा सग्राम सेनानली बद्लीदत् नदरा औि आजादली कली लड़ाई में भली बढ़ चढ़कि
पपािेर का जनम 15 फिविली 1882 को वियामान उत्िाखंि के हरिद्ाि नजले में नहससा नलरा। वह शुरू से क्रांनिकािली नवचाि के
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हुआ था। उनहोंने अलमोड़ा में िहकि देश कली आजादली में महतवपणया भनमका ननभाई थली थे औि जब वह पढ़ाई के नलए इलाहाबाद गए िो
औि कई बाि जेल गए। जब वह केवल साि साल के थे िभली उनके मािा-नपिा का वहीं क्रांनिकारिरों के संपक्फ में आए। पढ़ाई के बाद
देहाि हो गरा था। इसके बाद वह अपनली पढ़ाई पिली होने िक अलमोड़ा में िहे औि वह चंद्शेखि आजाद कली नहंदुसिान सोशनलसट
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1903 में नैनलीिाल में एक नशक्क के रूप में कार किना शुरू नकरा। साथ हली उनहोंन े रिपसबलकन पाटती से जुड़ गए। दामोदि सवरूप से्ठ
पत्रकारििा शुरू कली औि 1903 से 1910 के बलीच ‘ललीिि’ अखबाि में काम नकरा। के प्रभाव का अंदाजा इस बाि से लगारा जा सकिा
सविंत्रिा आंदोलन में रोगदान देने के नलए उनहोंने 1913 में ‘अलमोड़ा अखबाि’ है नक क्रांनिकािली चंद्शेखि आजाद भली उनका बहुि
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कली सथापना कली। हालानक, नबनटश-नविोधली खबि ्पने के कािण अनधकारिरों न े सममान कििे थे। माना जािा है नक बनािस षड्त्र
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अखबाि को जबिन बंद किा नदरा। 15 अकटूबि 1918 को उनहोंने ‘शसकि’ नाम स े केस औि काकोिली षड्त्र मामले में भली उनका नाम
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एक क्रांनिकािली अखबाि कली शुरुआि कली। आरा था औि अंग्रेजों ने उनहें नगि्िाि भली नकरा
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1921 में बाग्वि कसब में िहने वालली कुमाऊं कली आम जनिा ने एक अनहंसातमक था। हालांनक, सिकाि उन पि अनभरोग नसधि नहीं
आंदोलन शुरू नकरा नजसे ‘कुलली बेगाि’ के नाम से जाना गरा। कुलली बेगाि एक कि पाई औि ऐसे में उनहें रिहा कि नदरा गरा। बाद
ऐसा कानून था नजसमें कुमाऊं कली पहानड़रों में िहने वाले सथानलीर लोगों के नलए रह में वह कांग्रेस पाटती से जुड़ गए। कहा जािा है नक
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अननवार कि नदरा गरा था नक वह रात्रा किने आए अग्रज अनधकारिरों, सैननकों, से्ठ दामोदि सवरूप ्िहिे बदन के थे। ऐसे में
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सवदेक्कों आनद का सामान म्ि में ढोएंगे। रह शोषक प्रथा लोगों को नबना नकसली अंग्रेज सिकाि के नखलाफ पचदे नचपकाने का काम
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भुगिान के बेगाि किने पि मजबि कििली थली। ग्राम प्रधान से रह उममलीद कली जािली थली इनहें हली नमलिा था। अंग्रेज उनहें पकड़ने आिे िो
नक वह खास समरावनध में कई कुलली मुहरा किाएगा। इसके नलए एक खािा बनारा दुबले-पिले होने कली वजह से बचकि भाग ननकलिे
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जािा था नजसमें ग्रामलीणों के नाम दजया नकए जािे थे। अग्रज शािलीरिक औि माननसक थे। दामोदि सवरूप से्ठ ने असहरोग आंदोलन
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शोषण कि िहे थे। ऐसे में गांव के लोगों ने इस अपमानजनक प्रथा के नखलाफ नवद्ोह में भली भाग नलरा था औि जेल गए थे। सविंत्रिा
किना शुरू कि नदरा। 14 जनविली 1921 को उत्िारणली तरोहाि के दौिान, सिरू औि सेनाननरों के नसिमौि माने जाने वाले क्रांनिकािली
गोमिली नदली के संगम पि कुलली बेगाि आंदोलन कली शुरुआि हुई। सिरू मैदान में एक से्ठ दामोदि सवरूप को लोग बांस बिेलली के सिदाि
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सभा हुई नजसमें, बद्लीदत् पािर ने शपथ लली नक हम प्रनिज्ा कििे हैं नक हम कुलली के नाम से भली जानिे हैं। एक समर था जब बिेलली
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उिाि, कुलली बेगाि औि कुलली बिदारश को अब बदाया्ि नहीं किगे। एकनत्रि हुए सभली में नािा गूंजिा था, “बांस बिेलली का सिदाि, से्ठ
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लोगों ने प्रनिज्ा लली औि भािि मािा का नािा लगािे हुए गांव के बुजगशों ने बेगाि के दामोदि नजंदाबाद।” दामोदि सवरूप से्ठ संरुकि
खािों को ननदरों के संगम में बहा नदरा। इस प्रकाि अग्रजों पि दबाव बनारा गरा औि प्रांि से भाििलीर संनवधान ननमायात्रली परिषद के सदसर
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रह पिंपिाएं खतम कि दली गईं। इस आंदोलन कली सफलिा के बाद बद्लीदत् पािर को थे। सभा में वह काफली मुखि वकिा थे। माना जािा
‘कुमाऊं केसिली’ कली उपानध से सममाननि नकरा गरा। कहा जािा है नक महातमा गांधली है नक सदसर के रूप में उनका रोगदान अहम था
ने इस आंदोलन को 'िकिहलीन क्रांनि' का नाम नदरा था। 30 नदसंबि 2021 को हलद्ानली औि उनहोंने संनवधान के प्रारूप पि बाबा साहेब
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में कई परिरोजनाओं के उदघाटन औि नशलानरास समािोह में प्रधानमत्रली निद् मोदली न े भलीम िाव अंबेिकि को कई नवषरों पि सुझाव नदरा
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बद्लीदत् पािर को राद नकरा था। उनहोंने कहा था, “देश कली आजादली में भली कुमाऊं न े था नजसे सवलीकाि भली नकरा गरा। आजादली के बाद भली
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बहि बड़ा रोगदान नदरा है। रहां पनिि बद्लीदत् पािर जली के निृतव में, उत्िारणली मेल े वह ननििि देश सेवा में लगे िहे औि देश कली उन्ननि
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में कुलली बेगाि प्रथा का अि हुआ था।” 1955 में बद्लीदत् पािर अलमोड़ा के सांसद एवं नवकास के नलए ईमानदािली से कार कििे िहे।
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बने। 13 जनविली 1965 को उनका ननधन हो गरा। साल 1965 में उनका ननधन हो गरा। n
1-़15 फरवरी 2023
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न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 फरवरी 2023 47 47
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