Page 50 - NIS Hindi February 01-15,2023
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वयक्तत्    शंभूनवाथ िरे
                                                                                         शो्ध


                                                                             नजिके

                                                                                    िे बचाई




       जन्म : 1 िरवरी 1915                                                 हैजा के

        मृत् : 15 अप्रैल 1985
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                                                                                          मरीजों
                                                                                   जाि
                                                                             की







              ‘्लू िटेथ’ यानि ‘कॉलरा’ नजसे नहंदुस्ताि में एक िया िाम नदया गया ‘हैजा’। एक समय था जब यह
           बीमारी जािलेवा समझी जाती थी। देखते ही देखते यह महामारी का रूप धारण कर लेती थी और गांव के
            गांव इस बीमारी के चपेि में आ जाते थे। साल 1884 में रॉबि्ट कॉख िामक वैज्ानिक िे उस जीवाणु का

           पता लगाया नजसकी वजह से हैजा होता है लेनकि इस बीमारी का इलाज िहीं खोजा जा सका। 75 साल
            बाद इस बीमारी से होिे वाली वाली मौत के सही कारण की खोज एक भारतीय वैज्ानिक शंभूिाथ िटे िे
                                  की। उिके इस प्रयास िे लाखों लोगों की बचाई जाि…...
        ओ         िल निहाइड्शन सॉलरूशन (ओआिएस) आज बहुि       का उनचि इलाज ढूंढ ननकालने का प्रण नलरा। सविंत्रिा पूवया
                          े
                  सामानर  दवाई  है  नजसे  कोई  भली  आसानली  से  अपने
                                                             भाििलीर नवज्ान औि प्रौद्योनगकली कली नींव िखने में अहम रोगदान
                  घि पि भली बना सकिा है। नजस वैज्ाननक के शोध   देने वाले शंभूनाथ िे कॉलेज में अपना काम खतम किने के बाद
         के आधाि पि ओआिएस का इजाद हुआ वह शोध किने वाला       हैजा पि शोध किने लगे। उनहोंने पिा लगारा नक जलीवाणु द्ािा
         कोई औि नहीं बसलक शंभूनाथ िे थे नजनका जनम 1 फिविली 1915   पैदा नकरा गरा ऐसा जहि शिलीि में पानली कली कमली औि खून के
         को पस्चम बंगाल के हुगलली नजले में हुआ था। उनके नपिा का   गाढ़े होने का कािण बनिा है, नजसके कािण आनखिकाि हैजे के
         नाम दशिथली िे औि मािा का नाम नचत्रे्विली देवली था। कमजोि   मिलीज कली जान चलली जािली है।

         आनथयाक ससथनि के कािण शुरूआिली नदनों में उनहें पढ़ाई किने में   साधनों कली कमली के बावजूद भली उनहोंने हैजा के जलीवाणु
         काफली नदककिों का सामना किना पड़ा। बावजूद इसके उनहोंने   द्ािा पैदा नकए जाने वाले जानलेवा टॉसकसन के बािे में पिा
         हाि नहीं मानली औि पढ़ाई जािली िखली। बाद में कोलकािा मेनिकल   लगारा। साल 1953 में उनका शोध को प्रकानशि हुआ जो एक
         कॉलेज में उनका चरन हो गरा औि शोध में नदलचसपली िहने के   ऐनिहानसक शोध था। उनकली इस खोज के बाद हली ओआिएस
         कािण वह पढ़ाई के नलए लंदन चले गए। वहां से वह 1949 में   का इजाद हुआ।
         भािि लौटकि आए औि कलकत्ा के एक मेनिकल कॉलेज में सेवा     शंभूनाथ िे कली खोज के कािण दुननरा भि में अननगनि हैजा
         देने लगे।                                           के मिलीजों कली जान मुंह के िासिे ििल पदाथया देकि बचाई गई।
           माना जािा है नक साल 1817 से सामने आई इस बलीमािली से   अपने काम के नलए शंभूनाथ िे को अंििायाषट्रलीर सिि पि पहचान
         उस समर लगभग 1 किोड़ 80 लाख लोगों कली मौि हुई थली।    नमलली। उनहें नोबेल पुिसकाि के नलए भली नामांनकि नकरा गरा।

         इसके बाद भली अलग-अलग समर पि इसका प्रकोप भािि औि     हैजा पि शोध किने वाले वैज्ाननक शंभूनाथ िे का 15 अप्रैल
         अनर देशों को झेलना पड़ा। हैजे के जलीवाणु कली खोज वैसे िो   1985 को ननधन हो गरा। लोगों को हैजे के कािणों औि बचाव
         1884 में कि लली गई थली लेनकन वैज्ाननक उसके उनचि इलाज   के प्रनि जागरूक किने के नलए हि साल 23 नसिंबि को नव्व
         कली खोज किने में असफल िहे थे। ऐसे में शंभूनाथ िे ने हैजा   भि में हैजा नदवस मनारा जािा है।  n



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          48 नययू इंनिया समाचार   1-़15 फरवरी 2023
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