Page 62 - NIS Hindi 16-31 February,2023
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राष्ट्   अमृत महोत्सवी







       रिी अहिद रकदिई :                                 गणेश वासुदेव मावलंकर

                                                                   े
       रकिानपों की आिाज उठाने                          आजादी क आंदोिन िें भार्
                                                               े
                         े
                               े
       िें कभी नहीं रह पीछ                             िेने क सिए छोड़ी दी िकाित
          जन््म : 18 फरवरी 1894, ्मृत््ययु : 24 अक््ततूबर 1954  जन््म : 27 नवंबर 1888, ्मृत््ययु : 27 फरवरी 1956


                                           ू
                                  ें
             ितलीर्  स्वतंत्रता  आंदोलन  म  सनक्रर्  भनमका   ित के प्रनसद्ध स्वतंत्रता सेनानली औि आजादली के बाद लोकसभा के
        भाननभाने  वाले  ििली  अहमद  नकदवई  का  जन्म    भाप्र्थम अध्र्क्ष बने गणेश वासुदेव मावलंकि का जन्म 27 नवंबि
                              ें
        उत्ि प्रदेश के बािाबंकली नजले म 18 ििविली 1894 को   1888 को गुजिात के बड़ौदा म हुआ ्था। उन्ह प्र्ाि से ‘दादा साहेब’ औि
                                                                                        ें
                                                                             ें
        एक जमींदाि परिवाि म हुआ ्था। बावजूद इसके वह    जलीवली मावलंकि के नाम से भली जाना जाता है। उच् नशक्षा के नलए मावलंकि
                         ें
                                      ें
        गिलीबों औि नकसानों कली आवाज उ्ठाने म कभली पलीछे   वषया 1902 म अहमदाबाद आ गर्े ्थे। उन्होंने बली.ए. कली पिलीक्षा ‘गुजिात
                                                                 ें
                                     ु
        नहीं िहे। नकसानों को जमींदािली प्र्था से म्तत किाने के   कॉलेज’ से पास कली। ‘मंबई नव्ववनवद्ालर्’ से वकालत कली निग्ली प्राप्त
                                                                         ु
        नलए उन्होंने आगे बढ़ कि काम नकर्ा। वह जमींदािों   किने के बाद उन्होंने अहमदाबाद से वकालत शुरू कली औि बहुत कम
        द्ािा नकए जा िहे नकसानों के दोहन औि शोषण कली   समर् म हली अपनली वकालत जमा लली। हालानक, सामानजक कार्षों म गहिली
                                                                                                       ें
                                                                                      ं
                                                             ें
        समाश्प्त के नलए लगाताि प्रर्त्नशलील िहे। चुनौनतर्ों के   रूनच होने के कािण वह महात्मा गांधली औि सिदाि वल्लभ भाई पटेल जैस  े
        बलीच नवचनलत हुए नबना क्ठोि ननणयार् लेने के नलए भली   प्रनतश्ष््ठत नेताओं के संपक्फ म आ गए। बहुत कम समर् म हली वह गुजिात के
                                                                           ें
                                                                                              ें
           ें
        उन्ह र्ाद नकर्ा जाता है। कानून कली पढ़ाई कली दौिान हली   कई प्रमुख सामानजक संग्ठनों से जुड़ गए। उन्होंने 1930-1940 के दशक
                       ें
        स्वतंत्रता आंदोलन म सनक्रर् हुए। असाधािण संग्ठन   म गुजिात म स्वतंत्रता आंदोलन म सनक्रर् भनमका ननभाई औि कई बाि जेल
                                                         ें
                                                                ें
                                                                               ें
                                                                                      ू
        शश््तत के कािण न नसि्फ लोकनप्रर् हुए बश्ल्क जल्द हली   गए। उन्होंने लगभग छह साल जेल म नबताए औि जेल म कैनदर्ों के बलीच
                                                                                  ें
                                                                                               ें
                               ं
        आजादली के दलीवानों कली अनग्म पश््तत म पहंच गए। वह   सुधाि कार् नकर्ा। कई भाषाओं के जानकाि गणेश वासुदेव मावलंकि न  े
                                   ें
                                      ु
                                                               या
                                     ें
        1920 के दशक म नखलाित आंदोलन म नवशेष रूप स  े   असहर्ोग आंदोलन औि नमक सत्र्ाग्ह म भली बढ़-चढ़कि नहस्सा नलर्ा
                     ें
                                                                                      ें
        सनक्रर् िहे औि महात्मा गांधली के आह्ान पि असहर्ोग   ्था। प्राकृनतक आपदा, अकाल, सामानजक संकट र्ा नकसली भली तिह के
        आंदोलन म भली शानमल हुए। आंदोलनों म ििली नकदवई   िाजननतक संकट के दौिान हमेशा आगे िहने वाले मावलंकि कली लेखन म  ें
                ें
                                     ें
                                                           ै
                                           ें
        कई बाि नगिफ्ताि हुए औि लंबे समर् तक जेल म िहे।   भली नवशेष रूनच ्थली औि उनकली कई सानहश्त्र्क उपलश्ब्धर्ां भली ह। गुजिातली
                                                                                                    ैं
        जेल जाने के बाद वह जब भली बाहि आते एक नए जोश   भाषा म नलखली गई उनकली पुस्तक ‘मनावतना झिना’ म उन कैनदर्ों कली कुछ
                                                                                             ें
                                                            ें
        के सा्थ नब्नटश हुकूमत के नखलाि जन सभाएं कि लोगों   सच्ली कहाननर्ां ह नजनसे वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौिान 1942 से 1944
                                                                    ैं
            े
        को प्ररित नकर्ा। इनकली पहचान तमाम सलीमाओं से पिे   के दौिान जेल र्ातना के दौिान जेल म नमले ्थे औि उनका मागयादयाशन नकर्ा
                                                                                  ें
        जाकि लोगों कली मदद किने वाले स्वतंत्रता सेनानली कली   ्था। जलीवली मावलंकि 1937 म अहमदाबाद नगि का प्रनतनननधत्व किते हुए
                                                                            ें
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                                      ं
        ्थली। ििली अहमद नकदवई सर्ु्तत प्रात से सनवधान सभा   बंबई नवधान सभा के नलए चुने गए। वह साल 1937 से 1946 तक बॉम्ब  े
        के नलए भली ननवायानचत हुए ्थे। देश को आजादली नमलने के   नवधान सभा के अध्र्क्ष िहे। स्वतंत्र भाित के पहले आम चुनावों के बाद उन्ह  ें
                          ु
              ें
        बाद उन्ह संचाि मंत्रली ननर््तत नकर्ा गर्ा। उन्होंने पहलली   मई 1952 म लोकसभा का पहला अध्र्क्ष चुना गर्ा औि उनका ननवायाचन
                                                                ें
        िानत्रकाललीन  एर्ि  मेल  सेवा  का  उद््घाटन  नकर्ा  ्था।   नननवयािोध हुआ ्था। पहलली लोकसभा के अध्र्क्ष के रूप म मावलंकि न  े
                                                                                                 ें
            ें
        देश म तत्काललीन पर्ायाविण मत्रली ििली अहमद नकदवई   देश के लोकाचाि के अनुरूप प्रनकर्ाएं औि पिंपिाएं ननधायारित कली। वह
                             ं
        ने  1950  म  सबसे  पहला  वन  महोत्सव  मनार्ा  ्था।   स्वर्ं सदन कली मान-मर्ायादाओं का पालन किते ्थे औि दूसिों से भली इसका
                 ें
        इसका उद्े्वर् पड़ों कली कटाई के कािण वन्र् जलीवों औि   दृढ़ता से पालन किवाते ्थे। उनका मानना ्था नक संसद औि िाज्र्ों के
                   े
        वनवानसर्ों पि पड़ने वाले असि के बािे म जागरूकता   नवधानमिल, जननहत कली नसनद्ध का सववोच् मंच है औि सभली सदस्र्ों को
                                      ें
                                                             ं
        लाना ्था। 1950 से, वन महोत्सव हि साल जुलाई के   अपने िाजनलीनतक मतभेद भुलाते हुए आम सहमनत से जननहत का उद्े्वर्
        पहले सप्ताह के दौिान 1 जुलाई से 7 जुलाई के बलीच   प्राप्त किना चानहए। 27 ििविली 1956 को उनका ननधन हो गर्ा। उनके
                           ू
        मनार्ा जाता है। 24 अ्ततबि 1954 को ििली अहमद    ननधन के बाद शेष कार्काल के नलए उनके स््थान पि अनंतशर्नम अर्ंगाि
                                                                       या
        नकदवई का ननधन हो गर्ा।
                                                       को लोकसभा का अध्र्क्ष चुना गर्ा ्था।  n
          60  न्यू इंनिया समाचार   16-28 फरवरी 2023
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