Page 60 - NIS Hindi 16-31 February,2023
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राष्ट्   अमृत महोत्सवी






             मौलािा अबुल कलाम आजाद





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            सर्क्षा क विकाि िें ननभाई अहि भूमिका


                             जन््म : 11 नवंबर 1888, ्मृत््ययु : 22 फरवरी 1958




                 िबली, अंग्जली, उदूया, नहंदली, िािसली औि बंगालली जैसली   कि नदर्ा।
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                 कई भाषाओं के अच्छे जानकाि औि कनव मौलाना        नखलाित आंदोलन के दौिान मौलाना अबुल कलाम कली
                                                                                                         े
        अ अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबि 1888               मुलाकात महात्मा गांधली से हुई नजसके बाद वह 1920 में कांग्स
        को म्तका में हुआ ्था। उन्होंने कलकत्ा में ्घि पि हली नपता औि   में शानमल हो गए। महज तलीन साल बाद मौलाना अबुल कलाम
        अन्र् नशक्षकों से पािंपरिक इस्लामली नशक्षा प्राप्त कली ्थली। उन्होंने   आजाद सबसे कम 35 वषया कली आर्ु में भाितलीर् िाष्ट्लीर् कांग्स
                                                                                                         े
        धमया औि जलीवन के संकलीणया दृश्ष्टकोण से अपनली माननसक मुश््तत   के अध्र्क्ष बन गए। स्वतंत्रता संग्ाम में सनक्रर्ता के कािण
        के संकेत के रूप में ‘आजाद’ उपनाम को अपनार्ा। मौलाना   उन्हें 1920 से 1945 तक कई बाि अंग्ेजों ने जेल भेजा। उन्होंने
        अबुल कलाम आजाद कम उम् से हली पत्रकारिता औि िाजनलीनत   देश नवभाजन का कड़ा नविोध किते हुए एक ऐसे भाित कली
        में सनक्रर् हो गए ्थे। वह बंगाल के दो प्रमुख क्रांनतकारिर्ों-   परिकल्पना कली ्थली जो नहंदू औि मुश्स्लम दोनों को गले लगाए।

        अिनबंदो ्घोष औि ्वर्ाम सुंदि चक्रवतशी से प्रेरित होकि नब्नटश   वह संनवधान सभा में नशक्षा से जुड़े नवषर्ों पि चचाया में नवशेष
                                                             रूप से भाग लेते ्थे। उनका मानना ्था नक एक िाष्ट् के रूप में
                                                             भाित को उच् शैक्षनणक मानकों का आकांक्षली होना चानहए।
                                                                1947 से 1958 तक देश के पहले नशक्षा मंत्रली के रूप में
                िौिाना अबुि किाि आजाद ने
                                                             उन्होंने 14 वषया कली आर्ु तक के सभली बच्ों के नलए मुफ्त औि
              22 िरिरी 1958 को अंक्ति िांि िी।               अननवार् नशक्षा कली वकालत कली। अबुल कलाम आजाद ने
                                                                   या
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             उनकी आत्मकथा ‘इरडया विन्स फ्ीडि’                अनशनक्षत वर्स्कों के नशक्षा के नलए वर्स्क नशक्षा बोि्ट कली
                                                             स््थापना  कली।  उन्होंने  नव्ववनवद्ालर्  अनुदान  आर्ोग  औि
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            उनकी िृत् क बाद 1959 िें प्कासर्त हुई।
                                                             भाितलीर्  नवज्ञान संस््थान औि आईआईटली जैसे अन्र् नशक्षण
                                                             संस््थानों कली स््थापना में भली महत्वपूणया भूनमका ननभाई। मौलाना
                                                             अबुल कलाम आजाद ने 22 ििविली 1958 को अंनतम सांस
        शासन के नखलाि क्रांनतकािली आंदोलन में शानमल हुए। दो   लली। उनकली आत्मक्था ‘इंनिर्ा नवन्स फ्लीिम’ उनकली मृत्र्ु के
        वषषों  के  भलीति,  मौलाना  अबुल  कलाम  आजाद  ने  पूिे  उत्ि   बाद 1959 में प्रकानशत हुई। उन्हें 1992 में मिणोपिांत भाित
        भाित  औि  बॉम्बे  में  गुप्त  क्रांनतकािली  केंद्र  स््थानपत  किने  में   ित्न से सम्माननत नकर्ा गर्ा। नशक्षा के क्षेत्र में उनके अमूल्र्
        मदद कली। 1912 में मौलाना आजाद ने उदूया में अल-नहलाल   र्ोगदान को र्ाद किने के नलए 11 नवंबि को िाष्ट्लीर् नशक्षा
        नाम से एक साप्तानहक पनत्रका कली शुरूआत कली। सिकाि ने   नदवस के रूप में मनार्ा जाता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद

        1914 में अल नहलाल पि प्रनतबंध लगा नदर्ा। मौलाना अबुल   कली जर्ंतली पि श्रद्धांजनल देते हुए प्रधानमंत्रली निेंद्र मोदली ने कहा
        कलाम आजाद ने भाितलीर् िाष्ट्वाद औि नहंदू-मुश्स्लम एकता   ्था, “वह एक प्थप्रदशयाक नवचािक औि प्रखि बुनद्धजलीवली ्थे।
        के प्रचाि के नमशन के सा्थ एक औि साप्तानहक अखबाि अल-  स्वतंत्रता संग्ाम में इनकली भूनमका अत्र्ंत प्रेिणादार्क िहली है।
        बालाग ननकालना शुरू नकर्ा नजस पि 1916 में सिकाि ने न   वह नशक्षा क्षेत्र के प्रनत सदैव अत्र्ंत उत्साहली िहे ्थे औि समाज
        नसि्फ प्रनतबंध लगार्ा बश्ल्क उन्हें कोलकाता से ननष्कानसत भली     में भाईचािे को आगे बढ़ाने के नलए अ्थक प्रर्ास नकए ्थे।”





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