Page 36 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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                                    े
           राष्ट्र   शवशव आ्यववेद कांग्स



                                                                        जीवन जीने का



                                                                        तरीका नसखाता िै


                                                                                                      वे
                                                                           आरवि
                                                                                               ु








                                                                    सम दोष समाखनिशच, सम धातु मल खक्र्ाः।
                                                                                                       ये
                                                                  प्रसन्न आतमयेकन्द्र् मनाः, सवसथ इखत अखभधी्त॥
                                                        अथादूत्, खजसके शरीर में संतुलन हो, सभी खक्र्ाएं संतुखलत हों, और मन प्रसन्न हो वही सवसथ है।
                                                        इसीखलए, आ्ववेद इलाज स आग बढ़कर वलनस की बात करता है, वलनस को प्रमोट करता है।
                                                                                     ये
                                                                                  ये
                                                                 ु
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                                                                                                  ये
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                                                                            ये
                                                                आयुिवेद, वसफ्क इलाज के वलए नहीं है, यह हमें जीिन
                                                            जीने का तरीका भी वसखाता है। यही िजह है वक भारत ने अपनी
                                                          इस विरासत को समृद् करने के वलए न वसफ्क अलग आयुष मंत्ालय
                                                          गवठत वकया बशलक अवखल भारतीय आयुिवेद संसथानों की शुरुआत
                                                          सवहत कई पहलें की। गलोबल आयुष इनोिेशन एंि इनिेसटमेंट सवमट
                                                           का आयोजन और विशि के पहले और एकलौते गलोबल सेंटर फॉर
                                                         ट्रेविशनल मेविवसन की सथापना इस बात का प्रतीक है वक दुवनया हमारी
                                                           इस पारंपररक वचवकतसा की ओर लौट रही है। इसी कड़ी में गोिा में
                                                         आयोवजत 9िीं विशि आयुिवेद कांग्रेस के समापन समारोह में प्रधानमंत्ी
                                                            नरेंद्र मोदी ने तीन राष्ट्रीय आयुष संसथानों का वकया उदराटन…...
               ह     माि रहां कहा जाता है- ‘सवासथरम् पिमा्या साधनम्’।   हमने आरववेद से जुड़े संस्ानों को बढ़ावा नदरा।”

                                                                           ु
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                                                                     प्रधानमंत्रली निद् मोदली के आरुष औि आरववेद को बढ़ावा देने
                                                                                ें
                                                                                                     ु
                     अ्ायात्, सवासथर हली अ्या औि उन्ननत का साधन है। रह
                     मंत्र नजतना हमािे वरशकतगत जलीवन के नलए सा्याक है,
              उतना हली प्रासंनगक अ्यावरवस्ा के नजरिए से भली है। आरववेद एक   वाले उन्हीं प्ररासों का परिणाम है नक िबलरूएचओ ने जामनगि
                                                        ु
                                                                   में नवशव का पहला औि इकलौता गलोबल सेंटि फॉि ट्रेनिशनल
              ऐसा नवज्ान है, नजसका दशयान है- ‘सववे भवन्तु सुनखनः, सववे सन्तु   मेनिनसन स्ानपत नकरा है। देश में आरववेद को लेकि उतसाह भली
                                                                                                 ु
              ननिामरः’। रानली, सबका सुख, सबका सवासथर। जब बलीमािली हो   आरा औि नवशवास भली बढ़ा। आज एमस कली हली तजया पि ‘ऑल
                                                                                        ु
                                                                              ू
              हली जाए तब उसके इलाज के नलए रह मजबूिली नहीं बशलक जलीवन   इंनिरा इंसटलीट्ट ऑफ आरववेद’ भली खुल िहे हैं। इसली वषया गलोबल
              ननिामर होना चानहए, जलीवन बलीमारिरों से मुकत होना चानहए।   आरुष इनोवेशन औि इनवेसटमेंट सनमट का सफल आरोजन भली
              गोवा में 9वीं नवशव आरववेद कांग्रेस के समापन सत्र में प्रधानमंत्रली   हुआ है, नजसमें भाित के प्ररासों कली तािलीफ िबलरूएचओ ने भली
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                ें
              निद् मोदली ने कहा, “नवशव भली अब तमाम परिवतयानों औि प्रचलनों   कली है।
              से ननकलकि इस प्राचलीन जलीवन-दशयान कली ओि लौट िहा है। भाित   तीन राष्ट्री्य आ्युष संसथानों का शक्या उद्ाटन
              में इसे लेकि काफली पहले से हली काम शुरू हो चुका है। जब मैं   1.  अमखल भारतीय आयुिि संसथान (एआईआईए) गोिा।
                                                                                      वे
              गुजिात में मुखरमंत्रली के रूप में काम किता ्ा, हमने उस समर   2. राषट्रीय यूनानी मचमक्सा संसथान, गामजयाबाि।
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              से हली आरववेद को बढ़ावा देने के नलए कई प्ररास शुरू नकए ्े।   3.  राषट्रीय होमयोपैथी संसथान (एनआईएच) मिलली।




                34  न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 जनवरी 2023
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