Page 40 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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राष्ट्र  अमृत महोतसव






                अक्वनी कुमार ित्त                                         रॉक्टर राधाबाई


                                                                          ‘सत्ाग्रही  मवहलाओं’  का  समूह
                   े
               स्वदशी उत्ादों करो बढ़ावा रदया,
                                                                          बनाकर संभाला मरोराल्ड
               गठित की स्वदश बांधव सममतत
                              े
                                                                                               ु
                                                                                  जन् : 1875, ्ृतय : 2 जनवररी 1950
                                                                               त्तीसगढ़  की  प्रथम  मखहला  सवतंत्ता
                                             ु
                        जन् : 15 जनवररी 1856, ्ृतय : 7 नवंबर 1923         छ सनानी  के  रूप  में  पहचान  रिन  वाली
                                                                                                           ये
                                                                                 ये
              सव        तंत्ता  सनानी,  खशषिाखवद्  और  समाज  सुधारक      डॉ. राधाबाई न आजादी के आंदोलन में साम्खहक
                               ये
                                                                                     ये
                        अकशवनी  कुमार  दत्त  का  जन्म  15  जनवरी  1856
                                                                                              ये
                                                                         शक्त का अहसास करान के साथ मखहलाओं को
                        को खरिखटश भारत के बारीसाल खजल में हुआ था जो      उसमें शाखमल होन के खलए प्रयेररत खक्ा। 1875 में
                                                    ये
                                                                                        ये
                          ये
                अब बांगलादश का खहससा है। कहा जाता है खक वह न खसफ्फ दृढ़   महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मीं राधाबाई 9 वषदू की
                        ये
                खनशच्ी थ बकलक खसधिांतवादी भी थ। ऐसी कहानी है खक पढ़ाई     अलपा्ु में खवधवा हो गई थी। खफर जीखवकोपाजदून
                                            ये
                के दौरान हाईसककूल परीषिा के खलए 16 वषदू की आ्ु जरूरी     के  खलए  दाई  का  काम  सीिा  और  नागपुर  नगर
                                 ये
                थी, इसखलए वह आवदन में अपनी उम्र 14 की जगह 16 वषदू        पाखलका  में  नौकरी  करन  लगीं।  महाराष्ट्र  में  कई
                                                                                             ये
                भरकर परीषिा में बैठ गए। परीषिा पास कर ली लयेखकन गलती का   जगह नौकरी की खफर 1918 में उनका सथानांतरर
                                                ये
                अहसास हुआ तो अकशवनी कुमार दत्त न दो साल तक अपनी          रा्पुर हो ग्ा। इसके बाद वह सथाई रूप में वहीं
                पढ़ाई बंद रिी और उस गलती का प्रा्कशचत खक्ा।               तात्ापारा में रहन लगीं।
                                                                                       ये
                                                   ्
                  अकशवनी कुमार दत्त न इलाहाबाद स कानन की खशषिा प्रापत       डॉ. राधाबाई न न तो कोई डॉ्टरी की खडग्ी
                                              ये
                                    ये
                                                                                        ये
                                                        ्
                          ये
                की थी। आग की पढ़ाई उस सम् के कलकत्ता में परी करन के
                                                              ये
                बाद एक अध्ापक के रूप में अपना जीवन शुरू खक्ा। खफर
                                                  ये
                वकालत भी शुरू की लयेखकन जलद ही सवदशी को बढ़ावा दन  ये
                                                               ये
                                                                                          े
                                               ये
                   ये
                वाल आंदोलन की तरफ बढ़ गए। सवदशी उतपादों को बढ़ावा         राष्टीय एकता क प्रतीक थे
                और  खवदशी  वसतुओं  का  बखहष्कार  करन  के  खलए  अकशवनी   स्वतंत्रता सेनानी
                                                 ये
                       ये
                      ये
                          ये
                कुमार न सवदश बांधव सखमखत की सथापना की। 1906 में जब
                                   ये
                                                     ये
                अकाल आ्ा तो उन्होंन इस संगठन के सव्ंसवकों की मदद        मौलाना मजहरुल हक
                स राहत का्दू खकए। हालांखक, 1908 में, नवगखठत प्वटी बंगाल
                 ये
                                                                                                 ु
                और असम की सरकार न सवदश बांधव सखमखत पर प्रखतबंध              जन् : 22 शदिंबर 1866, ्ृतय : 2 जनवररी 1930
                                    ये
                                         ये
                लगा खद्ा। बंगाल की जनता पर अकशवनी कुमार दत्त का बढ़ता   भा       रती् सवतंत्ता सनानी
                                                                                              ये
                                                             ये
                हुआ प्रभाव अंग्ज सरकार को सहन नहीं हुआ। सरकार न उन्हें          मौलाना    मजहरुल
                            ये
                       ये
                                                      ये
                बंगाल स खनवादूखसत करके 1908 में लिनऊ जल में बंद कर              हक  का  जन्म  22
                खद्ा। सन 1910 में वह जल स बाहर आ सके।                   खदसंबर  1866  को  पटना  खजल  ये
                                    ये
                                        ये
                        ये
                  जल स बाहर आन के बाद अकशवनी कुमार दत्त न अंग्जी        के  बरहमपुर  गांव  में  हुआ  था।
                                 ये
                                                          ये
                                                              ये
                    ये
                                             ये
                सरकार के खवरुधि महातमा गांधी के नतृतव में 1920 में चलाए   उन्होंन  पटना  कॉलज  स  मैखट्रक
                                                                                       ये
                                                                                            ये
                                                                             ये
                     ये
                जा रह आंदोलन को अपना समथदून खद्ा। वह समाज सुधारों       की परीषिा पास की। बाद में वह
                                            ये
                            ये
                                                             ये
                के भी पषिधर थ और छुआछूत, नश का सदा खवरोध करत रह।        कानन की पढ़ाई के खलए इंगलैंड
                                                               ये
                                                                            ्
                                                             ये
                                                               ये
                वह जीवन के अंखतम खदनों तक जनता के खलए काम करत रह।       चल  गए।  इंगलैंड  में  ही  महातमा  गांधी  स  उनकी
                                                                                                          ये
                                                                           ये
                उनका 7 नवंबर 1923 को खनधन हो ग्ा।                       मुलाकात  हुई  थी  खजसके  बाद  जीवन  भर  उनका
                38  न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 जनवरी 2023
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