Page 39 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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राष्ट्र   अमृत महोतसव






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              नवष्ण गणेश नपंगल                 े



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             इजीजनयररंग कौशल का रकया                                         भारतीय रल क यागत्रयों की
                                                                                          े
                                                                                                े
                                   े
             बम बनाने में इस्माल                                             संख्ा में बढ़रोतरी
                                          ु
                      जन् : 2 जनवररी 1888, ्ृतय : 16 नवंबर 1915             दढ़क्् अफ्ीका में 1893 में ट्रेन ्से ्ध्का देकर
                                                                            उतार ढ़दए जाने के बाद महातमा गां्धी ने वहीं ्से
                      रती् सवतंत्ता संग्ाम के महान क्रांखतकारी खवष्रु गरयेश खपंगल  ये  ्सतयाग्रह की नींव रखी थी। बापू का जीवन भर रेल
                       ये
                                                                  ये
             भा न केवल 26 वषदू की आ्ु में मातृभ्खम के खलए अपन प्रार         ्से गहरा और अनूठा नाता रहा। उनहनोंने सवतंत्रता
              न््ौछावर कर खदए थ। उनका जन्म 2 जनवरी 1888 को पुरये खजल के     ्सग्राम के दौरान ्सफर करने के ढ़लए इ्सका खूब
                              ये
                                                                    ये
                                                                              ं
                 ये
              तालगांव धामधर गांव में हुआ था। खवपरीत पररकसथखत्ों में सककूली खशषिा   इसतेमाल ढ़कया। एक ओर जहां रेलवे ने भारत के
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                                                                                      ं
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              परी करन के बाद खपंगल न वाखशंगटन जाकर इलये्ट्रॉखनक इंजीखन्ररंग में   सवा्धीनता ्सग्राम में महतवपू्चा भूढ़मका ढ़नभाई
              खडग्ी प्रापत की।                                              वहीं आज यह हमारे जीवन में ्सुगमता और हमारी
                                                                                      कृ
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                                                    ये
                खपंगल बचपन स ही क्रांखतकारी सवभाव के थ। उनका मानना था खक    ढ़वढ़व्ध ्संसकढ़त को जोड़ने वाली एक महतवपू्चा
                                                            ये
                                                              ये
              वह पढ़-खलि कर इंजीखन्र तो बन गए हैं लयेखकन वह अपन दश के काम    कड़ी बन गई है। ढ़नरंतर न ढ़्सफकि लाइन का ढ़वसतार
                                                        ये
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              नहीं आ सकेंग। अगर काम आएंग तो अंग्जों के ही। ऐस में उन्होंन मातृभ्खम   हो रहा है बश्क गढ़त भी बि रही है। 1950-51 ्से
                         ये
                                       ये
                                                                            रेल याढ़त्रयनों की ्संखया में छिह गुना ्से अढ़्धक की
 राष्ट्र की साम न िक शक् त    की सवतंत्ता में भ्खमका खनभान का खनरदू् खल्ा। अमररका प्रवास के   वृढ़धि दजचा की गई है। ्साथ ही, रेलवे बुढ़नयादी ढांचे के
 राष्ट्र की सामनिक शक्त
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                                                          ये
                                       ये
              दौरान वह लाला हरद्ाल, करतार खसंह सराभा और पंखडत कांशीराम
                                                                            ढ़वका्स, नवाचार, नेटवककि क्मता में ढ़वसतार, माल
                                                                ये
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                                                                  ये
              जैस क्रांखतकारर्ों के संपक्फ में आए। जहां लाला हरद्ाल जैस नताओं
              का उन्हें मागदूदशदून खमला खजसके बाद वह गदर पाटटी के सखक्र् सदस्   ढुलाई और पारदढ़रचाता के मामलनों में अभूतपूवचा वृढ़धि
                                                                            करने में ्सफल रही है। प््धानमंत्री नरेंद् मोदी के मंत्र
 सास
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 का करारा अिसास  बन गए। भारत आन के बाद, उन्होंन पंजाब में क्रांखतकारी गखतखवखध्ां   ‘्स्धार, प्दरन और पररवतचान’ के अनुरूप, भारतीय
 का करा
                                                                               ु
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                                                                            रेल ने ्संचालन और प्बं्धन के ्सभी क्ेत्रनों में की है
                                   ये
              शुरू की। इस दौरान उन्होंन रास खबहारी बोस और शचींद्रनाथ सान््ाल
                                                                            युगांतरकारी पररवतचाननों की रुरुआत...
              जैस क्रांखतकारर्ों के साथ न खसफ्फ गुपत संपक्फ बनाए रिा, बकलक जलद
                 ये
                                            ये
                                                   ये
                                              ये
              ही उनके खवशवासपात् बन गए। खपंगल न अपन इंजीखन्ररंग कौशल का                                   76.51  80.86
              इसतयेमाल पाटटी के खलए बम बनान में खक्ा।
                                        ये
                                                    ये
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                प्रथम  खवशव  ्धि  के  दौरान,  गदर  पाटटी  न  अंग्येजों  के  खिलाफ                    48.33
              सशसत् खवद्रोह की ्ोजना बनाई। उस सम् पंजाब, बंगाल और उत्तर                         38.58
                              ्
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                                                      ु
              प्रदश में क्रांखत का परा प्रबंध हो ग्ा था लयेखकन दभादूग् सये, अंग्येजों को   24.31  36.13
              क्रांखतकारर्ों की इन ्ोजनाओं की भनक लग गई। इसके बाद अंग्जों      15.94
                                                                    ये
              की तरफ स चलाए गए अखभ्ान में 24 माचदू, 1915 को मरठ की छावनी   12.84
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                                                           ये
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              स बम और अन्् खवसफोटक सामग्ी के साथ खपंगल को खगरफतार कर
                                                ं
                            ये
              खल्ा ग्ा। खपंगल के खिलाफ लाहौर षड्त् का मुकदमा चला्ा ग्ा     1950-51 1960-61 1970-71 1980-81 1990-91 2000-01 2010-11 2019-20
                                                                                               (याढ़त्रयनों की ्संखया करोड़ में)
              और उन्हें फांसी की सजा दी गई। कहा जाता है खक जब जल में उनकी
                                                             ये
              मां खमलन आई तो खवष्र गरश खपंगल नये कहा था, “मां, मातृभ्खम को       वंदे भारत ए््सप्े्स - 'मेक इन इंढ़डया' की
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              सवतत् कराना मरी अखतम इचछा है। इस जन्म में मातृभ्खम का कजदू चुका    ्सफलता का एक रानदार उदाहर्; याढ़त्रयनों को
                 ं
                                   ये
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                                        ये
              लं, अगल जन्म में खफर तर पट स जन्म ल्ंगा और तयेरा कजदू चुकाऊंगा।”   ढ़ब्ककुल नए तरह का यात्रा अनुभव ढ़मल रहा है।
               ्
                     ये
              16 नवंबर 1915 को उन्हें लाहौर के सेंट्रल जल में करतार खसंह सराभा   ‘कवच’- रेल पररचालन में ्सुरक्ा को बढावा
                                                  ये
              और पांच अन्् क्रांखतकारर्ों के साथ फांसी द दी गई।                  देने के ढ़लए सवदेरी ऑटोमैढ़टक ट्रेन प्ोटे्रन
                                                  ये
                                                                                 ढ़्ससटम।
                                                                                          ा समाचार
                                                                                               1-15 जनवरी 2023

                                                                                      रू
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                                                                                        इं
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