Page 25 - NIS Hindi 01-15 March,2023
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राष्टट्र  पद्म सम्िान िें नारी शश्क्त





                                          उषा बारल
                                                       े

                                          पहले जो लोग मिा करते थे अब दे रहे बिाई


                                                त्लीसगढ़ के दुगया कली िहने वालली उषा बािले को पद्म श्ली सम्मान देने का ननणयार् नलर्ा
                                          ि गर्ा है। बािले काे साि वषया कली उम्र से हली पंिवानली लोक गलीि के प्रनि लगाव िहा।
                                          उम्र बढ़ने के साथ-साथ लगाव बढ़िा गर्ा औि लोक संगलीि का र्ह दार्िा घि-परिवाि
                                          से ननकल कि समाज औि देश-प्रदेश होिे हुए नवश्व के कुछ देशरों िक पहुंच गर्ा। बािले
                                          कहिली हैं नक शुरुआिली दौि में लोग कहिे थे नक नकस ििह कली गलीि-संगलीि में लगली है,
                                          लेनकन समर् बढ़िा गर्ा औि पंिवानली संगलीि के प्रनि मेिा रुझान बढ़िा चला गर्ा। समर्
                                          के साथ लोगरों कली ओि से इस लोक संगलीि को खूब पसंद नकर्ा जाने लगा। अलग-अलग
                                          कार्याक्मरों में गलीि प्रस्िुनि के नलए बुलार्ा जाने लगा। इसका निलीजा र्ह हुआ नक मुझे प्रदेश

                                          के साथ-साथ दूसिे िाज्र्रों में भली लोग जानने लगे। संगलीि प्रेमली औि कला-संगलीि कली समझ
                                          िखने वाले किलीबली लोगरों के कहने पि मैंने देश के नागरिक सम्मान के नलए आवेदन नकर्ा।
                                          हालांनक किलीब नपछले 21 वषषों से इस सम्मान के नलए प्रर्ास कि िहली थींं लेनकन अंििः
                                                  ें
                                          इस वषया करि कली वियामान सिकाि कली ओि से पद्म सम्मान देने का ननणयार् नलर्ा गर्ा। र्ह न
                                          नसफ्क मेिे नलर्े बल्ल्क जो लोग लोक-संगलीि को नजिअंदाज कििे हैं औि गुमनामली में िहकि
                                          अपनली संस्कृनि को नजंदा िखे हैं, उनके नलए भली र्ह अवाि्ड प्रेिणास्ोि सानबि होने वाला है।
                                          45 से अनधक वषषों से वह इस लोक संगलीि को गा िहली हैं।





                                                             ु
                                              िोमोप्रोवा चहटया

                  रेशम पर सपिे बिते-बिते अध्यात्म से जुड़ी
                                      ु
                                             ु
                    सम के निब्गढ़ नजला ल्स्थि मोिान कली िहने वालली होमोप्रोवा
                             ू
              अ चुनटर्ा को भली पद्म श्ली सम्मान देने का ननणयार् नलर्ा गर्ा है।
              कहा जािा है नक असम कली मनहलाएं िेशम पि अपने सपने को बुन
              सकिली हैं लेनकन उन्हरोंने अपनली बुनाई कौशल से कई सुंदि िचनाएं
                                      बनाई। इन्हरोंने सूिली, िेशमली औि
                280 फरीट लंबाई        बािलीक कटे बांस के टुकड़रों औि

                और िो फरीट चौड़टे     नवनभन् प्रकाि के कपड़रों का उपर्ोग
                कपड़टे के टुकड़टे में   किके कई ििह के धानमांक ग्थ
                                                           ं
                अंग्रेिरी भाषा में    िर्ाि नकए। 280 फलीट लंबे औि दो
                                       ै
                पूररी भगवि गरीता      फलीट चौड़े कपड़े के टुकड़े में अंग्जली
                                                              े
                करी बुनाई करी।        भाषा में पूिली भगवद गलीिा कली बुनाई

                                      कली। इनमें एक नवशेष खानसर्ि र्ह
              है नक इन्हरोंने कपास औि िेशम गोमोशा में सुंदि निजाइन बनाने के
              नलए मोनिर्रों का इस्िेमाल नकर्ा जो इस षिेत्र में इस्िेमाल होने वाले
              निजाइन से बहुि अलग है।



                                                                                     न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 माच्च 2023 23
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