Page 43 - NIS Hindi 16-31 March, 2023
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     राष्ट्  ्पद्म सममान
        संभाल िहे हैं। इनहोंने 125 लोग ों कली एक टलीम तैराि कली है   लग ा है नक इसके बािे में लोग  जानकािली हानसल कि िहे हैं।
        जो इस कला का उपरोग  किके अपना औि अपने परिवाि का      इसका बाजाि भली बढ़ेग ा। बावन बूटली का उपरोग  साडली के
        जलीवन रापन कि िहे हैं। हालानक, कनपल देव कहते हैं नक इस   अलावा बेि कवि औि पदमे पि भली नकरा जा िहा है। बूनटरों में
                               ं
        कला कली बािलीकली औि हुनि को पहचानने वाल लोग  कम हैं।   बौद्ध धमया-संसककृनत के प्रतलीक नचनहों कली बािलीक कािलीग िली होतली
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                                                                                                        ू
        मशलीनली कपडे बाजाि पि हावली हैं नजससे बावन बूटली का बाजाि   है। बावन बूटली में कमल का िूल, बोनध वृक्, बैल, नत्रशल,
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        कमजोि होता है औि उपभोकता भली कम होते हैं। हालानक वह   सुनहिली मछलली, धमया का पनहरा औि शख जैसे प्रतलीक नचनहों
        मानते हैं नक जब से इस कला कली वजह से मुझे पद्म सममान   का उपरोग  नकरा जाता है। इसकली सानडरों कली माग  भली जरादा
                                                                                                    ं
        देने कली घोषरा केंद् सिकाि कली ओि से कली ग ई है ऐसा लग ने   िहतली है।
                                                             जो थे…...अरुणाचल में
                                                             डशक्ा, संसकृडत के सेवादार
                                                                              े
                                                             िाजनलीनत से संनरास ल नलरा। अपने िाजनलीनतक जलीवन के दौिान
                             कमा्ग िातंरच      ू             हो रा इसके बाद, तवाग औि आसपास के इलाकों में नपछल 50
                                                                                                          े
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                                                             वषगों से समाज सेवा कि िहे ्े। इनहोंने इंिो नतबबत रिेंिनशप
                                                                                                  ं
                                                             सोसारटली कली स्ापना कली। इनकली मदद से हली तवाग के सलीमावतजी
        अ      रुराचल प्रदेश के पूवया मंत्रली औि समाज सेवक कमा  या  गांवों में 1250 से जरादा बच्ों को मुफत नशक्ा औि आवासलीर
               वांगचू को मिरोपिांत पद्म श्रली अवाि्ड देने कली घोषरा
                                                                                       ू
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                                                             सुनवधा उपलबध किाई गई। वागच ने सामानजक कारयाकता के
                                                                                    ं
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        कली गई है। कमा वागच, तवाग नजल से पहल वरलकत ् जो      सा्-सा् िाजर कली समृद्ध सांसककृनतक नविासत के संिक्र औि
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                                ं
        िाजर सिकाि में मंत्रली बने। हालानक वषया 1994 में उनहोंने सनक्र   संवधन के नलए भली अ्क प्ररास औि लोगों कली सेवा कली।
                                                                 या
                                                             डवकटोरर्ा और अलबट                 ्ट
                                                             म्डज्म में लरी
                                                                  यू
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                             हेम चद्र रोसिामी                डजिके मुखौटां की प्दश्चिी
                                      तं
        अ      सम के कला औि सासककृनतक इनतहास से परिनचत       है। हेम चद् गोसवामली ने वषया 1984 में सुकुमाि कला केंद् कली
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                                                                     ं
                                                             स्ापना कली। इनकली ओि से 100 से अनधक नवद्ान्रों को
                                                                                                     या
               नकसली भली वरलकत के नलए हेम चद् गोसवामली कोई
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        नरा नाम नहीं है। गोसवामली ने पूिे नवशव में िाजर कली ‘मुखा’   मुखौटा नशलप बनाने में प्रनशक्र नदरा गरा है। इनके द्ािा
        पिंपिाओं को पुनजजीनवत किने औि नदखाने में महतवपूरया   तैराि नकए गए मुखौटा कली लदन के नवकटोरिरा औि अलबट्ड
                                                                                    ं
                                                                                                        ं
        भूनमका ननभाई है। 64 वषजीर गोसवामली को वषया 2023 का पद्म   मरूनजरम में प्रदशयानली लगाई गई। देश के सा्-सा् रिास,
                                                       ु
        श्रली सममान देने का ननरयार नलरा गरा है। इनहें मानव मुख, पश,   जमयानली, इजिाइल के बच्ों को भली अपनली रह कला नसखाई।
        पक्ली, देवताओं औि िाक्सों सनहत नवनभन्न प्रकाि के चरित्रों   इसके अलावा सत्रलीरा नृतर औि बिगलीत संगलीत का प्रनशक्र
        को नचनत्रत किके पािंपरिक मुखौटे बनाने में महाित हानसल   भली इनकली ओि से नदरा जा िहा है। l
                                                                                     न्यू इंडि्ा समाचार   16-31 माच्च 2023 41





