Page 50 - NIS Hindi 16-31 March, 2023
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राष्ट्   अमृत मिलोतसव





           19 साल की उम्र                                         चारुचंद् बोस

           में फांसी िर चढ़े                                       डजनहें अििे प्ाणचों से


                 यू
           हेम कालाणी                                             अडधक प्ारी थी सवतंत्रता

                                                                    िनम : 26 ररिरी 1890, मृत्यु : 19 माच्ग 1909
             िनम : 23 माच्ग 1923, मृत्यु : 21 िनिरी 1943
                                                                                           ं
                                                                        ित कली सवतंत्रता के नलए क्ानतकािली आंदोलन में अपना
                ित के सवतंत्रता संग्ाम में देश कली खानति बहुत कम उम्र में प्रार   भारोगदान देने वाले क्ांनतवलीि चारुचंद् बोस का जनम 26
          भा नरौछावि किने वालों में महान क्ांनतकािली हेमू कालारली भली एक   ििविली 1890 को खलना में हुआ ्ा जो अब बाग लादेश का
                                                                                 ु
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                                                                                            ं
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          ्। मात्र 19 वष कली आरु में इनहोंने मातृभूनम के नलए अपने प्रारों कली   नहससा है। उनके नपता का नाम केशवचद् बोस ्ा। उनके परिवाि
          आहूनत दे दली। हेमू कालारली का जनम 23 माच 1923 को नसंध के सकखि     में देशभलकत का माहौल ्ा नजनका चारुचद् बोस पि वरापक
                                                                                                ं
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          (अब पानकसतान) में हुआ ्ा। उनके नपता का नाम पेसूमल कालारली औि   प्रभाव पडा। वह बालरकाल से हली बहादुि औि ननभजीक ्। वह
                                                                         े
          माता का नाम जे्ठली बाई ्ा। हेमू देशभलकत कली बातें औि महान क्ानतकारिरों   नदवराग ् औि उनके हा् में अंगुनलरा नहीं ्ली। इसनलए वह
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                                                                      ं
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          कली कहानली सुनते हुए बड हुए। वह बचपन से हली बहुत ननभजीक औि साहसली   दानहने हा् में नपसतौल बाधकि बारे हा् कली अंगुलली से नट्रगि
                                                                                          ं
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          ्। सकूल जाने के सा् हली वह क्ानतकािली गनतनवनधरों में भली सनक्र हो गए।   दबाकि नपसतौल चलाने का अभरास किते। सामानर कद-का्ठली
                                                          ं
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          जब वह आ्ठ साल के ्, तब उनके जनमनदन पि हली भगत नसंह को िासली   के चारुचद बोस देशभलकत कली भावना औि जजबे से आेतप्रोत
                                                                   े
          कली सजा दली गई ्ली। इस घटना का हेमू के जलीवन पि बहुत गहिा प्रभाव   ्। उनहें देश कली सवतंत्रता अपने प्रार से भली अनधक परािली ्ली।
          पडा। बाद के नदनों में हेमू कली एक पहचान रह भली िहली नक उनहें ‘नसंध का   उनहोंने कोलकाता औि हावडा में नवनभन्न प्रेस औि समाचाि
                                                                                    ं
          भगत नसंह’ कहा जाने लगा। वह रुवा सान्रों के सा् गलली-मोहलल में   पत्रों में भली काम नकरा। क्ानतकािली गनतनवनधरों को अंजाम देने
                                                          े
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          प्रभात िेरिरा किते, आजादली के गलीत गाते औि नरिनटश सिकाि के नखलाि   के नलए वह रुगाति संग्ठन से जुड गए। वह अनुशलीलन सनमनत
                                                                        े
                                                                                        ु
          प्रनतबंनधत सानहतर नवतरित किते। सन 1942 में जब महातमा गाधली ने भाित   से भली जुड िहे। इसली दौिान, आश नबसवास नाम का एक सिकािली
                                                    ं
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                                या
          छोडो आंदोलन चलारा तो 19 वष का रह रुवक ‘अंग्जों भाित छोडो’ नािे   वकलील चारुचद् बोस कली आंखों में खटकने लगा जो देशभकत
                                                                    ं
          के सा् इस आंदोलन में कूद पडा। उनहोंने अपने सान्रों के सा् नवदेशली   क्ानतकारिरों को हमेशा सजा नदलाने कली ताक में लगा िहता
          वसतुओं का बनहषकाि नकरा औि लोगों से सवदेशली वसतुओं का उपरोग किने   ्ा। ऐसे में उनहोंने मन हली मन उस वकलील को सबक नसखाने
          का आग्ह नकरा। इस आंदोलन के दौिान हेमू कालारली को पता चला नक   कली ्ठान लली औि इसके नलए रोजना बनाने लगे। चारुचद् बोस,
                                                                                                         ं
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          बलनचसतान में चल िहे उग् आंदोलन को कुचलने के नलए हन्रािों से भिली   उस वकलील पि नजि िखने लगे। एक नदन मौका पाकि उनहोंने
          अंग्जों कली ट्रन नसंध के िोनहरली सटेशन से गुजिेगली। ऐसे में उनहोंने ट्रन को   ििविली 1909 को अललीपुि बम मामल में सिकािली वकलील आश  ु
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                                                                                             े
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          पटिली से उतािने के नलए एक रोजना बनाई तानक हन्रािों से भिली ट्रन को   नबसवास कली गोलली माि कि हतरा कि दली। इस घटना के बाद
                                                        े
          लटा जा सके। इस प्ररास के दौिान उनहें नगिफताि कि जेल में िाल नदरा   उनहें नगिफताि कि नलरा गरा औि उनके नखलाि मुकदमा
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          गरा। बाद में उनहें िासली कली सजा सुनाई गई औि 21 जनविली 1943 को   चलारा गरा। अदालत में सुनवाई के समर चारुचद् ने कहा नक
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                                                                                                     ं
          िासली दे दली गई। कहा जाता है नक जब हेमू कालारली को िासली दली जा िहली ्ली   आश नवशवास एक देशद्ोहली ्ा।  मैंने उसे मािने का ननशचर
                                                                     ु
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          तब उनहोंने ‘इंकलाब-नजंदाबाद’ औि ‘भाित माता कली जर’ के नािे लगाते   कि नलरा ्ा। माना जाता है नक मुकदमे कली सुनवाई के दौिान
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          हुए खद अपने हा्ों से िंदा गल में िाला, मानो िूलों कली माला पहन िहे हों।   उनहोंने बचने का कोई प्ररास नहीं नकरा। अपने बचाव के नलए
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          आजादली के बाद 21 अगसत 2003 को ततकाललीन प्रधानमंत्रली अटल नबहािली   नकसली वकलील को िखने से भली इंकाि कि नदरा। अदालत ने उनहें
                                                                                          या
          वाजपेरली ने संसद परिसि में हेमू कालारली कली प्रनतमा का अनाविर नकरा।   मृतरुदंि कली सजा सुना दली। 19 माच, 1909 को अललीपुि केंद्लीर
                                                                                ं
          भाित सिकाि ने उनकली समृनत में िाक नटकट भली जािली नकरा है। साहस,   कािागाि में उनहें िासली कली सजा दली गई। कहा जाता है नक िासली
                                                                                                            ं
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          ननभजीकता औि देशभलकत के मामल में उनकली शहादत नकसली अनर शहलीद से   नदए जाने के समर उनहोंने नवजरली भाव से सवरं अपने गल में
                                    या
          कम नहीं है। हेमू कालारली के वलीितापूर कार औि शहलीदों के पदनचनहों पि   िंदा िाल नलरा। इस दौिान उनके चहिे पि कोई नशकन नहीं
                                        या
                                                                                            े
          चलने कली उनकली इचछा वासतव में अनद्तलीर ्ली।             ्ली बललक मुसकान तैि िहली ्ली। l
        48  न्यू इंडि्ा समाचार   16-31 माच्च 2023
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