Page 20 - NIS - Hindi 01-15 September,2023
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आिरण िथा :  77 िां स्ि्तंत्र्ता कदिस समेारोह



              नए आत्मकवश्ास क साथ
                                              े


              पंच प्रा्ण को समकपणिि







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                   े
        आजादी ि आदोलन ि समय नमि-चरखा-खादी ि
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        प्तीिों से जुड़ा आह्ान जन आंदोलन िो जागृत िर
                                       े
        गया था, तो अब नए भारत ि धनमामाण िी ओर बढ़ते
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                                ें
                े
        भारत ि प्धानमंत्ी नरद्र मोदी ि ‘पंच प्ाण’ (ववीिजसत
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        भारत, गुलामी ि हर अंश से मुद्ति, अपनी ववीरासत पर
        गवीमा, एिता-एिजुटता, नागररिों में ितमाव्य िी भावीना)
                                                            े
        ि आह्ान से जुड़ िर आने वीाले एि हजार वीषमा ि भव्य
          े
        भारत िी रख रहा है आधारजशला...




                                                                  ये अमृि काल हीम सबको मां

                                                                                     तु
                                                                            े
                                                                  भाििी क ललए कछ कि गजिने
                                                                                                तु
                                                                              ै
                                                                  का काल ही। 1947 क पहील जन्म
                                                                                         े
                                                                                                े
                                                                                          े
                                                                                               े
                                                                    े
          गुलामरी करी मानकसकता से बाहर कनकला हुआ देश पंच प्राण को   लने वाली पीढ़ी को दश क ललए
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                                                                                                     े
          समकप्यत हो, एक नए आत्मक्वश््वास के सार् आज आगे बढ़       मिने का मौका लमला था। वो दश
          रहा है। नए संक्कपों को कसद्ध करने के कलए ्वो जरी-जान से   क ललए मिने क ललए मौका नहीीं
                                                                    े
                                                                                    े
          जुड़ रहा है।
                                                                  छोड़िे थे, लककन हीमािे ललए दश
                                                                                                    े
                                                                               े
                                                    ़े
        n  मेररी भारत माता करी ऊजा्य का जो सामर््य्य र्ा, ्वह राख के ढर   क ललए जीने का इससे बड़ा कोई
                                                                    े
          में दबा पड़ा र्ा। ्वो भारत मां, 140 करोड़ देश्वाकस्यों के पुरुर्षार्  ्य  अवसि नहीीं हीो सकिा।
          से, उनकरी चेतना से, उनकरी ऊजा्य से, कर्र एक बार जागृत हो
          चुकरी है।
        n  ्यहरी कालखंड है, कपछले 9-10 साल हमने अनुभ्व कक्या है।   पड़ा्व पर हम खड़़े हैं। एक ऐसरी संकध पर खड़़े हैं और
          क्वश््व भर में भारत करी चेतना के प्रकत, भारत के सामर््य्य के प्रकत   इसकलए अब हमें न रुकना है, न दुक्वधा में जरीना है।
          एक न्या आकर्ष्यण, न्या क्वश््वास, नई आशा पैदा हुई है। ्ये
                                                              n  हमें खोई हुई उस क्वरासत का ग्व्य करते हुए, खोई हुई
          प्रकाश पुंज जो भारत से उठा है, क्वश््व को उसमें अपने कलए
          ज््योकत नजर आ रहरी है।                                समृकद्ध को प्राप्त करते हुए हमें कर्र एक बार और ्ये बात
                                                                मान कर चलना है, हम जो भरी करेंगे, हम जो भरी कदम
          देश का भाग््य ऐसरी घटनाएं बदल देतरी है। ्ये सामर््य्य देश के
        n                                                       उठाएंगे, हम जो भरी र्ैसला लेंगे ्वो अगले एक हजार
          भाग््य को बदल देता है। भारत करी एक हजार साल करी गुलामरी   साल तक अपनरी कदशा कनधा्यररत करने ्वाला है। भारत के
          और आने ्वाले एक हजार साल के भव््य भारत के बरीच के     भाग््य को कलखने ्वाला है।




         18  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2023
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