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आवरण कथा
                 मनिला सुरषिा


                                                                     नट्रपल तलाक: मामलों


                                                                        में आ रिी नगरावट



                                                                     आंकड़े: 1985-2019    2019-20
                 पागकसतान, गमस्र, सीरर्ा, ईराक,

                 मलगश्ा जैसे कई इसलागमक                                उत्तर प्रदेश       तेलंगाना-अंाध्र
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                 देश तीन तलाक की प्रथा पर                            63,400 281           41,382 203

                 वषयों पहले रोक लिा चुके हैं।                           िरर्याणा              केरल
                                                                     29,201 26            23,233 19
             भली देश में मयुस्ट्लम मनहलाओं के उतपलीड़न से भिपि गि-कानूनली,
                                                   ू
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             असंवैधाननक,  गि-इट्लामली  कुप्रथा  'नसरासली  सिक्र'  में  फलता-   राजसथान        असम
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                                                ं
             फूलता िहा। 'तलीन तलाक' कुप्रथा के नखलाफ कानून तो 1986 में   33,112 83        19,008 17
             भली बन सकता था जब शाहबानो केस में सयुप्रलीम कोट्ट ने बड़ा फैसला
                                 ं
             नलरा था। जबनक भाित सनवधान से चलता है, नकसली शिलीरत रा     मध्य प्रदेश          प. बंगाल
             धानमयाक कानून रा वरवट्था से नहीं। इससे पहले भली देश में सतली प्रथा,   22,801 32  51,800 201
             बाल नववाह जैसली सामानजक कुिलीनतरों को खतम किने के नलए भली

             कानून बनारे गए। तलीन तलाक कानून का नकसली मजहब, नकसली धमया   मिाराष्ट्र           नबिार
             से कोई लेना देना नहीं था, शयुद्ध रूप से रह कानून एक कुप्रथा, क्रूिता,   39,200 102  21,200 26
             सामानजक बयुिाई औि लैंनगक असमानता को खतम किने के नलए
             पारित नकरा गरा। रह मयुस्ट्लम मनहलाओं के समानता के संवैधाननक
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             अनधकािों कली िक्ा से जड़ा नवषर था। मौनखक रुप से तलीन बाि तलाक
             कह कि तलाक देना, पत्र, फोन, रहां तक कली मैसेज, वहाटसएप के   पररवारवाद, जागतवाद और तष्रीकरण इन तीन
                                                                                               ु
             जरिरे तलाक नदए जाने के मामले सामने आने लगे थे, जो नक नकसली   चीजों ने देश को बहुत नुकसान पहंचा्ा गकत  ु
                                                                                                   ु
                                                                                                          ं
                                                     या
             भली संवेदनशलील देश-समावेशली सिकाि के नलए अट्वलीकार था। दयुननरा   प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी के नेतृतव में गट्रपल तलाक
                     यु
                                                           ै
             के कई प्रमख इट्लामली देशों ने बहयुत पहले हली 'तलीन तलाक' को गि-  के गखलाफ कानून के बनने के बाद लोिों को इस
                                                                                                     ं
             कानूनली औि गि-इट्लामली घोनषत कि खतम कि नदरा था। नमस्र दयुननरा   बात की खुशी है गक भारत का लोकतत् धीरे-धीर  े
                       ै
             का पहला इट्लामली देश है नजसने 1929 में “तलीन तलाक” को खतम   पररी पर आ रहा है। इस समाज को आिे बढ़ान  े
                                                        ू
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             नकरा, गि कानूनली एवं दिनलीर अपिाध बनारा। 1929 में सिान न  े  में राजा राम मोहन रा्, वीर सावरकर, महातमा
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                                                                         िांधी, डॉ. भीम राव अंबेडकर समेत तमाम समाज
             तलीन तलाक पि प्रनतबनध लगारा। 1956 में पानकट्तान ने, 1972 में   सुधारकों का हाथ है और उन लोिों ने देश की
             बांगलादेश, 1959 में इिाक, सलीरिरा ने 1953 में, मलनशरा ने 1969   कुप्रथाओं को समापत करने में अपना ्ोिदान
                                                   े
             में इस पि िोक लगाई। इसके अलावा साइप्रस, जॉि्टन, अलजलीरिरा,   गद्ा, समाज को आिे बढ़ाने का काम गक्ा है।
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             ईिान, रिनेई, मोिकको, कति, रूएई जैसे इट्लामली देशों ने तलीन तलाक   जब भी देश के समाज सुधारकों का नाम गल्ा
             खतम नकरा औि कड़े कानूनली प्रावधान बनारे। लनकन भाित को        जाएिा प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी जी का नाम भी
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                                                                                          े
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             मयुस्ट्लम मनहलाओं को इस कुप्रथा के अमानवलीर जलम से आजादली   समाज सुधारकों की श्णी में शागमल होिा।
             नदलाने में लगभग 70 साल लग गए।                               – अगमत शाह, केंद्री् िृह मंत्ी
                भाित के संसदलीर इनतहास में 1 अगट्त कली तािलीख अब ‘मयुस्ट्लम
             मनहला अनधकाि नदवस’ के रूप में दजया हो चयुकली है। 1 अगट्त 2019




               16  न्यू इडिया समाचार | 16-30 नवंबर 2021
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