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भारत        आजादी का अमृत मिोतसव







                 भारत की आजादी से लेकर िणतत् तक की ्ात्ा में ऐसी कई तारीखें हैं, गजनहें मील के पतथर
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                                                                                         ं
                 के रूप में हमेशा ्ाद गक्ा जाता है। जैसे 26 जनवरी 1950...जब िणतागत्क देश के रूप में
                 भारत की प्राण प्रगतष्ठा हुई। लगकन कुछ तारीखें ऐसी भी हैं, जो इस ऐगतहागसक ्ात्ा की नींव
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                  का पतथर तो बनीं, पर उनहें कहीं गबसरा गद्ा ि्ा। ऐसी ही एक तारीख है 26 नवंबर 1949,

                    ्ह वो ऐगतहागसक गदन है जब 2 साल 11 महीने और 18 गदन की मेहनत के बाद हमार              े
                  सगवधान को अिीककृत गक्ा ि्ा था। 26 जनवरी का असल महतव 26 नवंबर में ही गनगहत
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                  है। इस ऐगतहागसक गदन का महतव सवीकार गक्ा ि्ा 2015 में, जब पहली बार प्रधानमंत्ी
                    नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को हर वषजा सगवधान गदवस मनाने की शुरुआत की। इस वषजा हम
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                   सगवधान गदवस की 7वीं वषजािांठ मना रहे हैं। ऐसे में अमृत महोतसव की श्खला में जागनए
                                                                                          ृ
                                                                                          ं
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                  भारत की सगवधान सभा में देश की आधी आबादी का नेतृतव करने वाली उन मगहलाओं के
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                            बारे में, गजनका अथक पररश्म हमारे सगवधान की नींव में शागमल है...
             प्र        धानमंत्रली निेंद्र मोदली ने 26 नवंबि 2015 को लोकसभा में संनवधान   संहवधान सभा में



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                        का महतव बताते हए अपने भाषर में कहा था, “सिकाि का एक
                        हली धमया होता है- भाित प्रथम। सिकाि का एक हली धमयाग्थ होता
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                        है - भाित का संनवधान। देश संनवधान से हली चलेगा। संनवधान से
                        हली चलना चानहए औि संनवधान कली ताकत से हली देश को ताकत      शाहमल महिलाएं-
                  नमल सकतली है।” प्रधानमंत्रली निेंद्र मोदली के कहे रे शबद दशायाता है नक   भारत के पिले संहवधान सभा
                  भाित का संनवधान सिकाि का धमयाग्थ है। रहली कािर है नक नजस नदन     में 15 महिलाएं थी और उनिोंने
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                  भाितलीरता के धमयाग्थ को अंगलीकृत नकरा गरा था अब उस नदन संनवधान   संहवधान बनाने में मितवपूण्य
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                  नदवस मनाने कली शरुआत कली गई है। रह नदवस मनाने का रह कतई          भूहमका अदा की थी। उन
                  मतलब नहीं है नक 26 नवंबि को उजागि किके 26 जनविली के महतव         महिलाओं के नाम िैं-
                  को कम नकरा जाए बस्लक इसका उद्शर रह है नक वतयामान के साथ-
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                  साथ भनवषर में नजस पलीढ़ली के हाथ में देश कली बागिोि हो वो हमािे देश    एनी मैसकरीन   हवजय
                  को जाने, समझे, सलीखे औि नए भाित के ननमायार में अपना रोगदान       लक्मी पंहडत   कमला चौधरी
                  दे। ऐसा नहीं है नक निेंद्र मोदली ने प्रधानमंत्रली बनने के बाद रह नदवस    िंसा जीवराज मेिता
                                                                                                   टू
                  मनाने कली शरुआत कली। इससे पहले वो गजिात के ततकाललीन मखरमंत्रली     सरोहजनी नायड   सुचेता
                                                                  यु
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                  िहते हए साल 2009 में हली संनवधान नदवस मनाने कली शरुआत कि         कृपलानी   बेगम अयाज
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                  चके थे। हालांनक, जब वे प्रधानमंत्रली बने तो उनहोंने भलीमिाव आंबेिकि   रसूल   राजकुमारी अमृत
                  कली 125वीं जरंतली के अवसि पि पूिे देश में संनवधान नदवस मनाने कली   कौर   पूण्यहमा बनजजी   रेणुका
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                  शरुआत कली। जब संनवधान का ननमायार हआ उस समर दननरा के कई           रे   अममू सवामीनाथन
                  देशों में मनहलाओं को बननरादली अनधकाि भली हानसल नहीं थे लेनकन
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                  भाित कली संनवधान सभा में 15 मनहलाओं को शानमल नकरा गरा था।          दुगा्यबाई देशमुि   लीला
                  आजादली के अमृत महोतसव में इस बाि कहानली ऐसली हली मनहला नानरकाओं   रॉय   मालती चौधरी
                  कली जो ना केवल संनवधान सभा में शानमल थीं बस्लक संनवधान ननमायार     दहषि णयाणी वेलायुधन।
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                  में परुषों के साथ कंधा से कंधा नमला कि अहम रोगदान नदरा था।


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                                                                                            ं
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