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भारत       आजादी का अमृत मिोतसव




              राजकुमारी अमृत कौर के प्र्यासों से                   संनवधान सरा में मनिला अनधकारों


              संरव िो सका था नदलली का एमस                          को अमममू ने नक्या था बुलंद

                      जन्म - 2 फरिरी 1889, ्मृतयु - 6 फरिरी 1964            जन्म - 22 अप्रैल 1894, ्मृतयु - 4 जुलाई 1978




















                                                                                                              ें
                                                                                        ें
                  पूरथला  के  राजा  हरिा्म  नसंह  की  ब्टी  राजकु्मारी  अ्मृत  कौर   निधाि सरा की हर बैठक ्म उपक्स्थत रहिे और हर बहस ्म बढ़-
                                            े
                                                                                         ू
             कऑकसफोड्ड से उच्च नशक्ा प्रापत कर जब 1918 ्म रारत लौ्टीं तो उनहोंि  े  संचढ़ कर राग लेिे िाली अम्म स्िा्मीिाथि ्मनहलाओं के अनधकार,
                                                ें
                                                                                                             ं
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             ठाि नलया नक िह राजिीनत ्म आकर रहेंगी। हालानक, उिके ्माता-नपता िहीं   उिकी स्मािता और लैंनगक नयाय की जबद्भस्त पक्धर थीं। सनिधाि
                                                                                                               ू
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                               ें
             चाहते थे नक िह राजिीनत ्म आए लनकि उनहोंिे अपिी ब्टी को करी रोका   सरा की िह एक ऐसी सदस्य थीं नजनहोंिे ्मनहलाओं को स्माि काििी
                                                           ें
             िहीं। धीरे-धीरे िह रारतीय राषट्ीय आंदोलि से जुड़ गईं  और बाद के िर्षों ्म िह   अनधकार नदलिािे के नलए डॉ. आंबेडकर के अथक प्रयासों के साथ खुद को
                                                                                                   ं
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             16 िर््भ तक ्महात्मा गांधी की सनचि रहिे के साथ सबसे करीबी लोगों ्म श्मार   पूरी ताकत के साथ जोड़ा। यही कारण है नक जब सनिधाि सरा के प्रस्ताि
                                                         ें
                                                                                       ू
             रहीं। ्महात्मा गांधी की कट्टर स्मथ्भक होिे के िाते उनहोंिे ‘ि्मक आंदोलि’ और   पर चचा्भ चल रही थी, तब अम्म स्िा्मीिाथि िे कहा था नक बाहरी लोग
                            ें
             ‘रारत छोड़ो आंदोलि’ ्म नहस्सा नलया,                                            कहते हैं नक रारतीय ्मनहलाओं को
                                                                                            ं
                      ें
             दोिों बार उनह नगरफतार कर नलया   टाइम पनत्रका ने नपछल  े  अमममू सवामीनाथन      सनिधाि का अनधकार िहीं नदया
                                                                                                े
             गया। 2 फरिरी 1889 को जन्मीं अ्मृत   शताबदी की दुनन्या   खुद करी सकल           जाता, लनकि अब ह्म कह सकत  े
                                                                                 कू
                                                                                                             ं
                      ें
             कौर िे देश ्म कुप्रथाओं के नखलाफ   की 100 शक्तशाली                            हैं नक रारतीयों िे अपिा सनिधाि
                                                                              े
                                                                                                          ें
             री  निणा्भयक  लड़ाई  लड़ी  थी।  बच्चों   मनिलाओं की समूिी में   निीं गईं, लनकन वि   खुद  बिाया  है  नजस्म  ्मनहलाओं
             को अनधक ्मजबूत और अिुशानसत                           मनिला नशषिा की           को  बराबर  का  हक  नदया  गया
                               कू
             बिािे के नलए उनहोंिे स्कली खेलों   राजकुमारी         अिनम्यत को बखबी          है। केरल राजय के पलककड़ ्म  ें
                                                                                    मू
                                                                                                ै
             की शुरुआत करिे पर जोर नदया तो    अमृत कौर को                                  22  अप्रल  1894  को  जन्मी  अम्म  ू
                                                                                                            ें
                                 ं
             िेशिल स्पोटस्भ कलब ऑफ इनडया   शानमल नक्या िै।        समझती थी।                स्िा्मीिाथि साल 1946 ्म ्मद्ास
                                                                                                       ं
             की स्थापिा करके अपिे इरादों को                                                नििा्भचि क्ेत्र से सनिधाि सरा का
                                                                                                     ू
                                                                                                ें
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             आकार दिा शुरू नकया था। इतिा ही िहीं उनहोंिे पदा्भ प्रथा, बाल नििाह और   नहस्सा बिी थीं। रारत के स्ितंत्रता आंदोलि ्म री अम्म का अनिस््मरणीय
              े
                                                          ं
                                                        ें
             दिदासी जैसी कुप्रथाओं के नखलाफ आिाज बुलंद की थी। जब रारत ्म सनिधाि   योगदाि रहा है। िह रारतीय स्ितंत्रता संग्ा्म के दौराि ्महात्मा गांधी
                              ें
             सरा का गठि हुआ तो उस्म री राजकु्मारी अ्मृत कौर िे एक सदस्य के रूप ्म  ें  की अिुयायी बि गई थीं और ्मां रारती को गुला्मी की जंजीरों से ्मुकत
                                                                                            ें
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             ्महतिपण्भ रन्मका निराई। रारत की आजादी के बाद उनह देश का स्िास्रय ्मत्री   करिे के नलए लड़ी जािे िाली लड़ाई ्म ह्मेशा आगे रहीं। िह साल 1952
                                                            ं
                                                                                           ें
                                                                                                         ु
                                                                    ें
             बिाया गया और िह 10 साल तक इस पद पर रहीं। उनहोंिे एमस की स्थापिा   ्म लोकसरा के नलए और साल 1954 ्म राजयसरा के नलए चिी गईं। ऐसा
                                                                                         कू
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             के नलए जी तोड़ प्रयास नकया और नयजीलैंड, ज्म्भिी, अ्मेररका जैसे कई देशों   ्मािा जाता है नक िह खुद करी स्कल िहीं गईं, लनकि िह ्मनहला नशक्ा
             से नित्ीय सहायता प्रापत करके अंतत: देश की सेहत सुधारिे का इंतजा्म नकया।   की अहन्मयत को बखूबी स्मझती थी। यही कारण है नक उनहोंिे ्मनहला
                                                                            ें
                                                                         े
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             उनहोंिे नश्मला ्म  पैतृक ्मकाि ्मिरनिल री एमस को दाि कर नदया। प्रधाि्मत्री   नशक्ा के क्त्र ्म री बहुत अह्म योगदाि नदया। आज अम्म के नदखाए रास्त  े
                                                                                                              े
                                                           े
             िरेंद् ्मोदी के िेतृति िाली सरकार राजकु्मारी अ्मृत कौर के नदखाए रास्त पर   पर ही चल कर रारत सरकार ्मनहलाओं को स्मािता का हक दिे के
                                                                                           े
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             चल कर आज देश के कई नहस्सों ्म एमस की स्थापिा कर रही है और देश ्म  ें  नलए प्रयासरत है और ब्टी बचाओ-ब्टी पढ़ाओ जैसे काय्भक्र्म चला रही
                                    ें
             स्िास्रय ढांचा को ्मजबूत करिे का प्रयास कर रही है। साथ ही िागररकों के नहत   है। उनहोंिे रारत स्काउटस एंड गाइड (1960-65) और सेंसर बोड्ड की री
                                          ू
              ें
             ्म आयुष्माि रारत जैसी योजिाएं री सफलतापि्भक चला रही है।   अधयक्ता की थी। 4 जुलाई 1978 को उिका निधि हो गया।
              22  न्यू इडिया समाचार | 16-30 नवंबर 2021
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