Page 6 - Hindi NIS 1-15 January 2022
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व्यक्ततव परमवीर बाना ढ़्संह
रजनके अद्मय साहस से
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िरनया का सबसे ऊंचा ‘कायि
्पोसट’ बना ‘बाना’ ्पोसट
जनम: 6 जनवरी 1949
त सन 1987 कली है, जब पानकट्तानली फौज ने
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नसरानचन गलेनशरि में स्ट्थित एक महतवपूर दरनमा जब ्पीएम बनने के बाि ्पहली रि्वाली
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बाट्थिान पि कबजा कि नलरा थिा। दूि-दूि तक सफेद बफ्फ ्पर ही रसयारचन ्पहुंचे नरेंद्र मोिी…
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से ढकली वह जरह धितली से 21 हजाि फलीट ऊंचा थिा। रहां से दशमन
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कली फौज भाितलीर सेना के सािे बचाव क्त्र, अड् िों औि हि कदम पि सियासिन स्थित इन िौसियों पर रहने वाले हमारे नायि वैिे ही
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नजि िख सकतली थिली। एक छोटा, लेनकन अजेर दर- कारद पोट्ट। रहते हैं जैिे उत्तरी ध्रुव पर इगलरुओ में सजंदगी बिर िरने वाले
नजसके दोनों ओि से सलीधली सपाट सफेद दलीवािें, नजन पि चढ़ना एस्िमो। िारों ओर दूर-दूर ति बर्फ िा वीरान िाम्ाजय। सनज्जनता
तो नाममनकन सा लरता थिा। भाितलीर सेना के नलए इस पि कबजा िा िन्ाटा। इन बरफीली पहासियों पर अपनी-अपनी िौसियों िी
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किना एक बहत बड़ली चनौतली थिली। लेनकन इस पि कबजा किने के िौििी िरते हैं भारतीय िसनि। िरेद बर्फ िे भरी भूसम िा नाम
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नलए एक कारवाहक दल का र्ठन नकरा ररा। नजसका काम थिा- सियासिन है सजििा मतलब है- गलाबों िा िंग्रह। प्रधानमंत्ी बनने
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कारद पोट्ट को दशमन के चंरयुल से छुड़ाना। काम बहत कन्ठन थिा, िे बाद नरेंद्र मोदी ने पहली सदवाली सियासिन में ही जवानों िे िाथि
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रे जानते हए भली नारब सूबेदाि बाना नसंह ने अपना नाम ट्वरं आरे मनाई थिी। तब उनहोंने िहा थिा, “जब ति िोई इन बरफीले गलेसियर
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बढ़ारा। वे इस कारवाहक दल में न नसफ्फ शानमल हए बस्लक टुकड़ली िो नहीं देखेगा, माइनि 30-40 सिग्री में जवान ििे तैनात होते हैं,
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के नेतृतव कली बारिोि भली उनहें हली सौंपली रई। इिे देखेगा नहीं, उिे िलपना नहीं आ ििती है सि हमारे रौज,
नसरानचन कली भरंकि जलवारयु के साथि तलीव्र बफफीले तूफान, हमारे जवान सितनी िसिनाइयों िे बीि, सितने दरुग्जम इलािों िे
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माइनस 40 निग्ली के लरभर तापमान औि ऑकसलीजन कली कमली बीि, मातृभूसम िी रक्ा िे सलए परूषाथि्ज िर रहे हैं।”
जलीनवत िहने के नलए सबसे बड़ा खतिा थिे। लेनकन नारब सूबेदाि
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बाना नसंह औि उनके जवानों ने शूनर दृशरता कली स्ट्थिनतरों में कि चोटली से छलांर लरा लली। आनखिकाि बाना नसंह ने वहां से दशमनों
जोनखमपूर मार से बफ्फ कली 457 मलीटि ऊंचली दलीवाि पि चढ़ाई का सफारा कि नदरा औि कारद पोट्ट वापस भाितलीर सेना के कबजे
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कली। भरंकि तूफानली िात, अभली एक नतहाई िाह पाि नकरा थिा नक में आ रई।
दल का एक सदट्र रतया में जा नरिा। इससे नवचनलत होना, पूिे भाित के पिमवलीि बाना नसंह कली फौज में आने कली कहानली भली
ऑपिेशन को जोनखम में िाल सकता थिा। रे िरबांकुिे अपने कंधों नदलचट्प है। बाना नसंह का जनम 6 जनविली 1949 को जममू कशमलीि
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पि सामान लादे, पैिों में कंटलीलली कलील वाले बूट पहनकि िस्ट्सरों के कनिराल नजले में हआ। उनके नपता अमि नसंह रूं तो खेतली-बाड़ली
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औि कुलहानड़रों के सहािे ऊपि चढ़ते िहे। सबह सबेिे कोई पांच से जड़े थिे, पि सैनर जलीवन से काफली प्रभानवत थिे। ऐसा इसनलए नक
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बजे का समर थिा। बाना नसंह सानथिरों के साथि आनखिली पड़ाव पि उनके काफली रिशतेदाि सेना में भतफी थिे। वह चाहते थिे नक कभली बाना
आ पहंचे थिे, जहां से दशमन थिोड़ली हली दूिली पि थिा। बाना नसंह औि नसंह भली फौज में भतफी हो औि उनका नाम िोशन किे। जब कभली बाना
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उनके साथिली पहले मोचचे पि कूद पड़े औि हथिरोले फेंककि दशमन नसंह छुट् टली पि आए सैननकों से नमलते रा देखते तो बहत खश होते औि
के बंकि को धवट्त कि नदरा। बाना नसंह कभली इस मोचचे पि दौड़ते कहते थिे- मेिे को भली रे वदफी अचछली लरतली है, मैं भली पहनंूरा औि देश कली
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तो कभली उस पि। ट्टेनरन से रोनलरों कली बौछाि किते हए, कभली सेवा करंरा। बाना नसंह कली रे इचछा 20वें साल ्ठलीक उनके जनमनदन
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संरलीन घोंपते तो कहीं ग्नेि फेंकते हए दशमनों पि वे कहि बिपा िहे पि हली पूिली हई। जनमनदन पि उनहें शारद इससे बेहति तोहफा नहीं नमल
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थिे। कुछ पानकट्तानली सैननकों को माि नरिारा औि जो बचा उसने िि सकता थिा करोंनक 6 जनविली 1969 को वे भाितलीर सेना में भतफी हए। n
4 न्यू इडिया समाचार | 1-15 जनवरी 2022
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