Page 10 - NIS - Hindi 16-30 June, 2022
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देि       योग नदवस

                                2022 की नवरयवसतु- मटानवतटा के न्ए योग














               2015                      2016                      2017                        2018







                                                                                                   ं
        नवरयवसतु- सद्टाव-        नवरयवसतु- युवटाओं          नवरयवसतु - सवटास्थय        नवरयवसतु -शटानत के
        शटानत के न्ए योग         को जोड़ ें                  के न्ए योग                 न्ए योग।
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        नई दिल्ली में राजपथ पर    चंरलीगढ़ में आ्योजन       ्खनऊ में 51 हजार प्रदतभादग्यों   िेहरािून में 50 हजार
        मुख्य का्य्यक्रम हुआ। 84 िेशों   हुआ। 30 हजार ्ोगों के   के साथ मना्या ग्या। पलीएम मोिली   प्रदतभादग्यों के साथ प्रधानमंत्ली
                                                                    ै
        के नागररकों कली सहभादगता।   साथ 150 दिव्यांगों ने भली   ने जलीिन श्ली में इसके महति   नरेंद्र मोिली कली मौजूिगली में
        िो दिशि ररकार्ड बने।     दहससा द््या।               कली चचा्य कली।             मना्या ग्या।




                 प्रीएम मोद्री क 8 सूत्रों से समझें योग की ताकत
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                                                                                                    े
          01    ्योग, अंग-उपांग मि्यन का का्य्यक्रम नहीं है, नहीं तो सक्कस   03  नमक सबसे ससता होता है, सभली जगह उप्बध है। ्दकन
                                                                 दिनभर भोजन के अंिर अगर नमक न हो तो दसर सिाि
                                   े
                में काम करने िा्े सभली बच् ्योगली कहे जाते। दजस प्रकार
                                                                                                   ्क
                                                                                        ्य
                से संगलीत समारोह शुरू होने से पह्े बहुत छोटे सम्य में जो   नहीं दबगडता, शरलीर कली सारली अंतरचना को गहरली चोट
                                                                                         े
                ता्-ठोक का्य्यक्रम होता है और बाि में एक सुरली्ा संगलीत   पहुंचतली है। नमक होता थोडा सा है, ्दकन पूरे शरलीर कली रचना
                दनक्ता है। ऐसे हली इन आसन का भली पूरली ्योग अिसथा   में उसकली जरूरत को कोई नकार नहीं सकता है। जैसा जलीिन
                में उतना हली दहससा है। बाकली तो ्यात्ा बडली ्ंबली होतली है और   में नमक का सथान है, िैसा हली ्योग का सथान भली हम बना
                इसलीद्ए उसली को जानना और पहचानना आिश्यक है।      सकते हैं। चौबलीसों घंटे ्योग करने कली जरूरत नहीं है।
          02    सभली संप्रिा्य, धम्य, पूजा-पाठ, इस बात पर ब् िेते हैं दक   04  अपनली महान दिरासत पर अगर हम गि्य करेंगे तो
                                                                  ु
                मृत्यु के बाि जब पर्ोक में जाएंगे तो आपको क्या प्रापत
                                                                 िदन्या उस पर गि्य करने में कभली भली दहचदकचाहट
                होगा। ्योग पर्ोक के द्ए नहीं है। मृत्यु के बाि क्या   अनुभि नहीं करेगली। अगर पररिार के ्ोग हली बच् को
                                                                                                       े
                दम्ेगा, इसका रासता ्योग नहीं दिखाता है। इसद्ए ्ये धादम्यक   हमेशा नकारते रहें और अपेक्ा करें दक मोहल् िा्  े
                                                                                                    े
                कम्यकांर नहीं है। ्योग इह्ोक में तुमहारे मन को शांदत कैसे   बच् का सममान करें, तो िह संभि नहीं है। जब मां, बाप
                                                                    े
                दम्ेगली, शरलीर को सिासथ कैसे दम्ेगा, समाज में एकसूत्ता   और पररिार, बच्े को जैसा भली हो सिलीकार करते हैं तब
                कैसे बनली रहेगली, उसकली ताकत िेता है। ्ये पर्ोक का दिज्ान   जा कर मोहल् के ्ोग भली सिलीकार करना शुरू कर
                                                                            े
                नहीं है, इसली इह्ोक का दिज्ान है।                िेते है।


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        मानरता दली है तो रह जन आंदोलन में तबदलील हआ है औि रोग   सामने आएगा। रोग ने दननरा को ‘इलनेस से वेलनेस’ का िाट्ता
                                                                                यु
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        कली अब घि-घि दट्तक हई है। आज दननरा का शारद हली कोई   नदखारा है।
        देश होगा जहां पि रोग के संबंध में कोई कारयाक्म न होता हो,   हमािे ऋ नषरों-मननरों ने रोग के नलए 'समतवम् रोग उचरते'
                                                                            यु
        रोग के प्रनत आकषयाण न बढा हो, जागरूकता न बढली हो। अगि   रे परिभाषा दली थली। उनहोंने सख-दःख में समान िहने, संरम को
                                                                                       यु
                                                                                   यु
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        पूिली दननरा में रोग के आंकड़े जटाए जाएं तो एक अद्भुत आंकड़ा   एक तिह से रोग का पैिामलीटि बनारा था। इस पैिामलीटि पि सबसे
          8  न्यू इंडि्ा समाचार | 16-30 जन 2022
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