Page 52 - NIS - Hindi 16-30 June, 2022
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राष्ट्र   आपातकाल के 47 वष्स


























                        ्ोकतटानत्क मूलयडों कटा अहसटास करटातटा है यह नदन
                                  ं

                      ...तटानक नफर कभी न हो ऐस
                                                                                               ले


                          आपटातकटा् की पुनरटावनति
                                                                                      ृ




           47 िषथा पहले हुई इस वदन की घटना ने देश को अहसास किाया था वक लोकतंत् का महति कया है।

           भाित के संसदीय इवतहास की इस घटना का समिण वकसी को बुिा-भला कहने के वलए नहीं होता,
             बपलक भाितीय लोकतंत् की मिबूती औि शपकत का समिण होता है। िषथा 1975 की 25 िून की
            आधी िात औि 26 िून की सुबह यानी िब देश में आपातकाल लगा था। यह अतीत का एक ऐसा
            पन्ना है विसका इवतहास हमें लोकतंत् के प्वत समपथाण, संकलप को मिबूत किने की सीख देता है
                                           कृ
                                                                             रे
              तावक हम विस भाितीय संसकवत औि वििासत को लेकि आगे बढ़ थे, िह सदैि िहे िीिंत…...
        इ     ककलीसवीं  सदली  में  भाित  ने  दननरा  कली  सबसे  भरावह   थे। कई कािणों से इसका जवाब ततकाललीन शासन कली नलीनतरों
                                     यु

              कोनवि जैसली महामािली का सामना कुशलता के साथ नकरा
                                                             पि आनश्रत थे। आजाद भाित के लोकतंत्र कली रात्रा कली शरुआत
                                                                                                         यु
                                                                             यु
              है। इस महामािली से जलीवन कली िक्ा के नलए लॉकिाउन कली
        स्ट्थनत आज के नौननहालों व रयुवाओं के मन-मस्ट्तषक में जलीवन   में हली िाषरिलीरता से जड़े कई संग्ठनों पि ऐसे कुछ प्रनतबंध देखे
                                                             गए, नजसके बाद 1951-52 में संसद में पहला संनवधान संशोधन
        परयंत िहने वालली है। लेनकन करा इन नौननहालों-रयुवाओं को पता   िखा गरा। इसमें अनभवरस्कत कली ट्वतंत्रता को सलीनमत किने के
                                                                                     यु
                                                                                                          यु
        होगा नक भाितलीर लोकतंत्र ने भली इनतहास में लंबे समर तक एक   प्रश्न पि संसद में नवट्तृत चचाया हई। तब िॉ. शरामा प्रसाद मखजधी
        लॉकिाउन का सामना नकरा है? लेनकन उसका कािण जलीवन      ने अनभवरस्कत कली ट्वतंत्रता के पक् में पयुिजोि आवाज मखि कली
                                                                                                        यु
        िक्ा नहीं, बस्लक कुछ ऐसे कािण थे नजनका आम जन से न कोई   थली। नफि 1975-77 का एक कालखंि ऐसा भली आरा, जब देश में
                                                                                                  यु
        सिोकाि था औि ना हली देश नकसली रयुधि में शानमल था। नफि भली   आपातकाल लगाकि वरवट्था को चंद लोगों कली मट्ली में बंद किने
        आम जन मूलभूत अनधकािों से वंनचत था।                   कली कोनशश हई।
                                                                       यु
          आजादली नमलने के बाद भाित आधननक लोकतंत्र के रूप में पूणया   लोकतंत् के प्रनत ननरंतर जरुरी जागरुकता
                                   यु
                                                 यु
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        गणिाजर बना औि शासन कली बागिोि जनता विािा चनली हई सिकाि   लोकतंत्र नसफ्फ एक वरवट्था नहीं, बस्लक एक संट्काि भली है। ऐसे
        के हाथों में आई। लेनकन इस दौि में देश के सामने लोकतंत्र के   में इसके प्रनत ननिंति जागरूकता जरूिली होतली है। रहली कािण है नक
        भनवषर औि जनता के मौनलक अनधकािों को लेकि अनेक सवाल    लोकतंत्र को आघात किने वालली बातों का ट्मिण किना जरूिली हो




          50  न्यू इंडि्ा समाचार | 16-30 जन 2022
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