Page 31 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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आत्मशनभ्तरेता


                                                       जन-जन का मंत्र


                                                       भञारत को कवकशसत रञाष्ट बनञाने क संकपि में
                                                                                      े
                                                       आत्मननभ्यरतञा एक महत्वपूण्य आधञार ह जो अब जन
                                                                                          ै
                                                       आंिोलन बन चुकञा ह…
                                                                          ै











               ें
           हम आत्मसिभ्षर बििा है, हमार         े
                              ें
           एिजजी िेक््टर म। िौर क्षेत्, पवि                   n  आज महकषया अरकबदों की जन्म जयंती भी है। हमें उस महापुरूष
                                                                             ं
                                                ें
           ऊजा्ष,िवीकरणीय ऊजा्ष के क्षेत् म। हम       ें        को याद करना होगा कजन्होंने कहा था स्वदेिी से स्वराज, स्वराज
           इि व्यवस्र्ाओं को आगे बिािा होगा।                    से सुराज। यह उनका मंत् है, हम सबको सोचना होगा कक हम
                                                                कब तक दुकनया के और लोगों पर कनभयार रहेंगे। जब देि ने तय
            आप देसखए पीएलआई स्कीम,                              कर कलया कक हमारा पेट हम खुद भरेंगे, देि ने करके कदखाया।

           एक लाख करोड़ रुपया, दुसिया के                         एक बार संक्कप लेते हैं तो होता है... और इसकलए आत्मकनभयार
                                                                भारत हर नागररक का, हर सरकार का, समाज की हर इकाई
           लोग सहंदुस्ताि में अपिा ििीब                         का यह दाकयत्व बन जाता है। 'आत्मकनभयार भारत', यह सरकारी

           आजमािे आ रहे हैं।                                    एजेंडा, सरकारी काययारिम नहीं है। यह समाज का जन आंदोलन
                                                                है, कजसे हमें आगे बढ़ाना है।

                                                              n  आजादी के  75 साल के बाद लाल ककले से कतरंगे को सलामी देने का
                                                                                  ं
                                                                काम पहली बार मेड इन इकडया तोप ने ककया है। कौन कहंदुस्तानी
                                                                होगा, कजसको यह बात, यह आवाज नई प्ररणा, ताकत नहीं देगी।
                                                                                           े
              आज प्ाि कति खेती भी आत्मकनभमारता                n  मेरी आत्मकनभयारता की बात को संगकठत स्वरूप म, साहस के स्वरूप
                        ृ
                                                                                                ें
              िा एि मागमा है। आज देश में नैनो                   म मेरी सेना के जवानों ने, सेना नायकों ने कजस कजम्मदारी के साथ
                                                                                                    े
                                                                 ें
              ्फकट्डलाइजर िे िारखाने एि नई आशा                  कधे पर उठाया है। उनको आज म सलाम करता हं। 300 ऐसी चीज,  ें
                                                                                       ैं
                                                                                                  ू
                                                                  ूं
                                           ृ
              लेिर िे आए हैं। लेकिन प्ाि कति                    जो अब हम दूसरे दिों से नहीं लगे। जवानों का यह प्रण छोटा नहीं है।
                                                                                     ें
                                                                             े
              खेती, िकमिल फ्ी खेती आत्मकनभमार                 n  जब देि के सामने चेतना जगी, मैंने सैकड़ों पररवारों से सुना है,
                      े
              भारत िो ताित दे सिती है। आज                       5-5 साल के बच्चे घर में कह रहें हैं कक अब हम कवदेिी कखलौने से
              देश में रोजगार िे क्त्र में ग्रीन जॉब िे          नहीं खेलेंगे। 5 साल का बच्चा घर में कवदेिी कखलौने से नहीं खेलेगा,
                                 े
                        े
              नए-नए क्त्र बहुत तेजी से खुल रहे हैं।             ये संक्कप आत्मकनभयार भारत बनकर रगों में दौड़ता है।
              भारत ने नीकतयों िे द्ारा अंतररक् क्त्र
                                                े
              िो खोल कदया है।                                 n   आज इलेक्ट्ॉकनक वस्तुओं का कनमायाण हो, मोबाइल फोन का
                                                                कनमायाण हो, देि बहुत तेजी से प्रगकत कर रहा है। जब हमारी
             –िरेंद्र मोदी, प्रधािमंत्ी                         ब्रह्मोस दुकनया में जाती है, कौन कहंदुस्तानी होगा कजसका मन
                                                                आसमान को न छूता होगा। आज हमारी मेट्ो कोच, हमारी वंदे
                                                                भारत ट्न कवश्व के कलए आकषयाण बन रही है।
                                                                      े

                                                                                    न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2022 29
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