Page 28 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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भारेत प्थम की


         भावना सववोपडरे


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        भञारत प्थम-सिव प्थम की सोच जन-जन में व्ञाप्त
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                                              ैं
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        ह। लककन समञाज में कछ कवककतर्ञां भी ह, इस दििञा में
        प्धञानमंत्री मोिी ने लञाल ककल से ककर्ञा सञामञाशजक आह्ञान…
                                    े







                                                                     इतिे बड़टे देश को उिकी सवसवधता
                                                                     को हमें िसलब्े्ट करिा है, इतिे
                                                                               े
           ··घर में भी एकता की नींव तभी रखी जाती है जब               पंर् और परंपराएं यह हमारी आि-
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           बेटा-बेटी एक समान हो। अगर बेटा-बेटी एक समान               बाि-शाि है।
           नहीं होंगे तो एकता के मंत् नहीं गुथ सकते हैं। जेंडर
           इक्वैकलटी हमारी एकता में पहली ितया है। जब हम              कोई िीचा िहीं, कोई ऊंचा िहीं है,

           एकता की बात करते हैं, अगर हमारे यहां एक ही                िब बराबर हैं। कोई मेरा िहीं, कोई
           पैरामीटर हो, एक ही मानदंड हो, कजस मानदंड को               पराया िहीं िब अपिे हैं। यह भाव
           हम कहे इंकडया फस्ट्ट मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, जो         एकता के सलए बहुत जरुरी है।
           भी सोच रहा हूं, जो भी बोल रहा हूं इंकडया फस्ट्ट के
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           अनुकल है।
           ·हमें एकता से बांधने का वो मंत् है, हमें इसको पकड़ना
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                                                  ूं
           है। मुझे पूरा कवश्वास है, कक हम समाज के अंदर ऊच-
           नीच के भेदभावों से मेरे-तेरे के भेदभावों से हटकर हम    ्तया हम स्िभाि से, संस्िार से,
           सबके पुजारी बनें। श्रमेव जयते कहते हैं हम श्रकमक       रोजमरामा िी कजंदगी में नारी िो
           का सम्मान यह हमारा स्वभाव होना चाकहए।                  अपमाकनत िरने िाली हर बात से

           ·मैं लाल ककले से मेरी एक पीड़ा और कहना चाहता हूं,       मुक््तत िा संिल्प ले सिते हैं। नारी
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           यह ददया मैं कहे कबना नहीं रह सकता। मैं जानता हूं       िा गरौरि राष्टट्र िे सपने पूरे िरने में
           कक िायद यह लाल ककले का कवषय नहीं हो सकता।              बहुत बड़ी पूंजी बनने िाला है। यह
           लेककन मेरे भीतर का ददया मैं कहां कहूंगा। देिवाकसयों    सामथ्यमा मैं देख रहा हूं और इसकलए
           के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहूंगा और वो है

           ककसी न ककसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी                  मैं इस बात िा आग्रही हूं।
           कवकृकत आयी है, हमारी बोलचाल में, हमारे व्यवहार में,
           हमारे कुछ िब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं।·          –िरेंद्र मोदी, प्रधािमंत्ी






          26  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2022
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