Page 27 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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भारेत की समृद्ध


                                                       ववरेासत परे गव्त


                                                       भञारत की सदिर्यों पुरञानी समृद्धिञाली कवरञासत रही ह तो आने
                                                                                                      ै
                                                           े
                                                       वञाल वर्षों में कवकञास की र्ञात्रञा भी कवरञासत बनेगी। आज
                                                       भञारत िुननर्ञा को अपनी गौरविञाली कवरञासत से पररक्चत
                                                                 ै
                                                       करञा रहञा ह और गव्य की अनुभूकत कर रहञा ह…
                                                                                               ै








           अब हमारी ताकत देसखए। हम वो
           लोग हैं जो प्रकृसत के िार् जीिा                        n  हमारी कवरासत पर हमें गवया होना चाकहए। जब हम अपनी

           जािते हैं। प्रकृसत को प्रेम करिा                          धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊचा उड़ेंगे, और जब हम ऊचा
                                                                                      ूं
                                                                                                       ूं
           जािते हैं।                                                उड़ेंगे तो हम कवश्व को भी समाधान दे पाएंगे।श्
                                                                  n  आज दुकनया समग् स्वास्थ समाधान की चचाया कर रही है
            हमारे पाि वो सवराित है, ग्लोबल                           लेककन जब इसकी चचाया करती है तो उसकी नजर भारत के
           वासमिंग की िमस्याओं के िमाधाि                             योग पर जाती है, भारत के आयुवचेद पर जाती है, भारत के
           का रास्ता हम लोगों के पाि है।                             समग् जीवनिैली पर जाती है। ये हमारी कवरासत है जो हम

           हमारे पूव्षजों का सदया हुआ है।                            दुकनया को दे रहे हैं। दुकनया आज उससे प्रभाकवत हो रही है।
                                                                                       कू
                                                                  n  जब हम पयायावरणीय अनुकल जीवनिैली की बात करते
                                                                     हैं, हम लाइफ कमिन की बात करते हैं तो दुकनया का ध्यान
                                                                     आककषयात करते हैं। हमारे पास ये सामर्यया है। हमारा बड़ा
                                                                     धान मोटा धान कमलेट, हमारे यहां तो घर-घर की चीज रही
                                                                     है। ये हमारी कवरासत है, हमारे छोटे ककसानों के पररश्रम से
              हम िो लोग हैं कजसने दुकनया िा िल्याण                   छोटी-छोटी जमीन के टुकड़ों में फलने-फलने वाली हमारी
                                                                                                कू
              देखा है, हम जग िल्याण से जन िल्याण                     धान।
              िे राही रहे हैं। जन िल्याण से जग
              िल्याण िी राह पर चलने िाले हम लोग                   n  संयुक्त पररवार की एक पूंजी सकदयों से हमारी माताओं-
                                                                     बहनों के त्याग बकलदान के कारण पररवार नाम की जो
              जब दुकनया िी िामना िरते हैं, तब                        व्यवस्था कवककसत हुई ये हमारी कवरासत है। इस कवरासत
              िहते हैं- सिवे भिन्तु सुकखनः। सिवे सन्तु               पर हम गवया कैसे न करें। हम तो वो लोग हैं जो जीव में भी
              कनरामयाः। सबिे सुख िी बात सबिे                         किव देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं।
              आरोग्य िी बात िरना यह हमारी किरासत                     हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं। हम वो लोग
              है। यह प्ण शक््तत है हमारी, जो हमारे 25                हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं जो हर
              साल िे सपने पूरा िरने िे कलए जरुरी है।                 ककर में िंकर देखते हैं। ये हमारा सामर्यया है हर नदी में मां
                                                                      ूं
                                                                     का रूप देखते हैं। पयायावरण की इतनी व्यापकता कविालता ये
             –िरेंद्र मोदी, प्रधािमंत्ी                              हमारा गौरव जब कवश्व के सामने खुद गवया करेंगे तो दुकनया
                                                                     करेगी।





                                                                                    न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2022 25
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