Page 12 - NIS Hindi 16-30 September,2022
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आवीरे्ण कथा नए भारेत की ्संकल्प यात्ा
िन्म ददवस ववशेष: 17 जसतंबर
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प्धञािित्री िरेंद्र िोदी और
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‘ ि ए भ ञा रत’ के स ि सह त ञा र् ्ष ्ष
‘िए भञारत’ के सिसहतञार्
नरेंद्र मोदी ने जब से प्रधानमंत्री ्के रूप में
देश ्की ्कमान संभाली है, ए्क शब्द बेहद
चतच्यि रहा है- ‘न््त्ू इंतड्त्ा’ ्त्ानी ‘न्त्ा
भारि’। लेत्कन इस शब्द ्के पीछ उन्की
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क््त्ा सोच है? इस 17 तसिंबर ्को प्रधानमंत्री
मोदी ्के जन्मतदन ्के अवसर पर इस ‘न््त्ू
इंतड्त्ा’ शब्द ्को समझना जरूरी है क््त्ोंत्क
स्विंत्रिा ्के 75 वर् पूरे ्कर भारि ने अमृि
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्त्ात्रा ्त्ानी अगले 25 साल ्के सं्क्पप ्को
तसतद् ्की ओर ले जाने ्का माग्य चुना है…...
ए क ऐसली पृष््ठभनम नजससे जूझते हुए िाष्ट् सेवा को हली सोच के अनुरूप साकाि नकर्ा जा चुका है। े
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प्रधानमत्रली मोदली अ्तसि नए भाित के नवननमायाण कली बात कित
संकल्प बना जन-जन के जलीवन से जुड़ जाना सहज
नहीं होता। हि कोई प्रधानमत्रली निद् मोदली कली पारिवारिक
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पृष््ठभनम से परिनचत है। उन्हचोंने गिलीबली को देखा है, गिलीबली का ह, तो उसके पलीछे कािण भली है। नवदेशली आरिाताओं ने सदैव सोने कली
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नचनड़र्ा कहे जाने वाले भाित कली संपदा को अपना ननशाना बनार्ा।
अनुभव नकर्ा है औि गिलीबली को जलीर्ा है। आज प्रधानमत्रली बनन े लनकन भाित कली मजबूत सभ्र्ता-संस्कनत पि अपना प्रभाव नहीं
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के बाद नमलने वालली सिकािली सनवधा के बाद भली अपने भोजन का िाल पाए। ऐसे म, स्वाभानवक प्रश्न उ्ठ सकता है नक निि नकस नए
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खचया खुद उ्ठाते ह, नजसका नजरि आजकल मलीनिर्ा कली सनखयार्चों भाित कली बात बाि-बाि कली जातली है? दिअसल 15 अगस्त 1947 को
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म है। प्रधानमत्रली मोदली नकसली भली काम कली र्ोजना के बािे म ें भाित आजाद तो हुआ, लनकन आजादली का अहसास अनतम छोि तक
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सोचते ह तो उसकली शुरुआत नतलीजचों से होतली है। उनकली इस सोच नहीं पहंच सका था। आजादली के 67 साल तक 50 िलीसदली से अनधक
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का नतलीजा र्ह ननकलता है नक प्रधानमत्रली मोदली नकसली भली र्ोजना लोगचों कली बनकग व्र्वस्था तक पहंच भली नहीं थली। मकान हो र्ा स्वच्छ
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को तब बाहि लेकि आते ह जब उसे जमलीन पि उतािने कली ईंधन, इलाज तक सहज पहंच नहीं थली। नवकास कली परिर्ोजनाए ं
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पिली तर्ािली हो जातली है। लाल नकले से मोदली ने अब तक नजतनली शुरू तो होतली थली, लनकन खत्म नहीं होतली थली। सिकािली खजाने पि
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र्ोजनाओं का एलान नकर्ा है, शत-प्रनतशत उसे पलीएम मोदली कली बोझ बढ़ता जाता था, नौकिशाहली भली बेपिवाह िाइलचों म चलीजचों को
हुए वसुधैव कुटुबकम कली भावना औि नवदशचों म भली भाितलीर् नहतचों के इंफ्ास्ट््तचि औि परिर्ोजनाओं को समर्बद्ध तिलीके से पिा किना,
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साथ-साथ मानवता के कल्र्ाण कली सोच का नेतृत्व नकर्ा। निनजटल हि नागरिक तक बुननर्ादली सनवधाएं पहंचाना, प्रधानमत्रली मोदली के
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रिांनत से लेकि खुले म शौच से मश््तत, कोनवि के स्वदेशली टलीकचों स े शासन म सकािात्मक बदलाव के उदाहिण ह। सिकाि ने नवनभन्न
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अपने नागरिकचों के साथ-साथ नवश्व मानवता को सिनक्त किना, उपनक्त समहचों का सश्ततलीकिण सुननश्श्चत कि उन्ह सामानजक
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ननर्ायात म रिकॉि्ड वनद्ध तक पहंचना, र्े कुछ ऐसली उपलश्ब्धर्ां ह ैं सिक्ा कवच प्रदान नकर्ा है तानक वे भली आत्मननभयाि हो सक। कद्
नजसे अतलीत म असंभव मानकि ननर्नत के भिोसे छोड़ नदर्ा गर्ा था। सिकाि ने हमेशा इस बात पि ध्र्ान कनद्त नकर्ा है नक कोई भली
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अनतम छोि पि ब्ठ व्र्श््तत तक सेवाओं औि र्ोजनाओं कली पहंच, व्र्श््तत नवकास कली िाह म पलीछे न छट जाए, इसनलए बलीते कुछ वषषों
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10 न््ययू इंडि्या समाचार 16-30 डसतंबर 2022