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राष्टट्र  अिृत ि्होोत्सव





                  जयरामदास दौलतराम : िमक सत्याग्रह


                     के दौराि नजन्हें अंग्रेजों की गोली लगी





                                          जन्म : 21 जुलाई 1891, ननधन : 1 माचया 1979


                                   प्र  डसद्ध  स्वतंरिता  सेनानी  ि्यरामैदास   डिर डगरफ्तार हीुए और तीन वर् के डलए
                                                                                                   भि
                                       दौलतरामै का िन्मै 21 िुलाई 1891
                                                                          निरबंद  रहीे।  ि्यरामैदास  दौलतरामै  का
                                       को  कराची  मैें  हीुआ  था  िो  अब   परिकाररता  और  प्ठन-पा्ठन  से  ्भी  गहीरा
                                   पाडकस्तान मैें हीै। एक डसंधी पररवार मैें िन्मैे   संबंध रहीा। अपने िीवन काल मैें वही कई

                                   ि्यरामैदास  दौलतरामै  का  अकादडमैक     अखबारों  से  िड़े  रहीे।  वही  इन  अखबारों
                                                                                      ु
                                                               यू
                                   करर्यर ्भी शानदार रहीा। उन्हीोंने कानन की   और परि-पडरिकाओं मैें देश्भश्क्तपयूणभि लेख
                                   डिग्ी प्राप्त करने के बाद प्रैश्क्टस शुरू की   प्रकाडशत करते थे। 1947 मैें डव्भािन के
                                   लेडकन िल्द हीी इसे छोड़ डद्या। वही एक   दौरान  ि्यरामैदास  ने  ्भारत  मैें  रहीने  का
                                   बेहीतरीन वक्ता ्भी मैाने िाते थे। डवद्ाथथी   िैसला डक्या और उन्हीें डबहीार का राज््यपाल
                                   िीवन मैें हीी उनका संपक्क प्रडसद्ध नेताओं   डन्युक्त डक्या ग्या।
           सन 1942                 और  गोपाल  कष्ण  गोखले,  लोकमैान््य       डबहीार के राज््यपाल पद से सेवाडनवृत्त
                                                कृ
                                                                                                        ं
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           में वह वफर              बाल  गंगाधर  डतलक,  डिरोिशाही  मैहीता   हीोने के बाद उन्हीोंने ्भारत के दसरे ककृडर् मैरिी
           गगरफ्ार हुए             िैसे  स्वतंरिता  सेनाडन्यों  से  हीो  चुका  था।   के रूप मैें पद्भार सं्भाला। उन्हीोंने ्भारत की
                                   1915 मैें वही मैहीात्मैा गांधी के व््यश्क्तगत   संडवधान स्भा मैें पंिाब के एक डनवाभिचन
           और तीन                  संपक्क  मैें  आए  और  उनके  अनु्या्यी  बन   क्ेरि का प्रडतडनडधत्व डक्या। 1950 से 1956

              थ्य
           वर्ष क शलए              गए। दौलतरामै मैहीात्मैा गांधी के दशभिन से   तक ि्यरामैदास ने असमै के राज््यपाल के
                े
           नजरबंद रह।              बहीुत अडधक प्र्भाडवत थे और अडहींसा एवं   रूप मैें ्भी कामै डक्या। असमै के तत्कालीन
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                                   सत््याग्ही को हीडथ्यार बना स्वतंरिता के डलए   राज््यपाल रहीते हीुए ि्यरामैदास दौलतरामै ने
           जयरामदास
                                   संघर् करते थे। ि्यरामैदास ने 1916 मैें एनी   15 नवंबर 1953 को मैेघाल्य की रािधानी
                                       भि
           दौलतराम का              बेसेंट  के  हीोमै  रूल  आंदोलन  मैें  ्भी  ्भाग   डशलांग से 45 डकलोमैीटर की दरी पर मैैरांग
                                                                                                 यू
                                                                                               ं
                                                          े
           पत्काडरता और            डल्या। वो ्भारती्य राष्ट्ी्य कांग्स मैें शाडमैल   शहीर मैें श्स्थत ्ययू डतरोत डसही स्मैारक की
                                   हीो गए और 1920 मैें असही्योग आंदोलन    आधारडशला रखी थी।
           पठन-पाठन स   े
                                   मैें बढ़-चढ़ कर डहीस्सा डल्या। 1928 मैें वही   सात  शहीीदों  के  सम्मैान  मैें  डबहीार
           भी गहरा                 डवदेशी  वस्रि  बडहीष्कार  सडमैडत  के  सडचव   डवधानस्भा पररसर के सामैने चौराहीे पर एक
           संबि रहा।               बने।  ि्यरामैदास  नमैक  मैाचभि  और  ्भारत   स्मैारक का डनमैाभिण डक्या ग्या हीै डिसकी
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                                   छोड़ो  आंदोलन  के  एक  प्रमैुख  का्यभिकताभि   आधारडशला  15  अगस्त,  1947  को
                                   और  मैुख््य  संग्ठनकताभि  थे।  आंदोलन  के   डबहीार के पहीले और तत्कालीन राज््यपाल
                                   दौरान  ्भीड़  पर  पुडलस  की  गोलीबारी  मैें   ि्यरामैदास दौलतरामै ने हीी रखी थी। 1 मैाचभि
                                   उनके पेट मैें ्भी गोली लग गई थी। मैहीात्मैा   1979 को ि्यरामैदास दौलतरामै का डनधन

                                   गांधी की डगरफ्तारी के बाद उन्हीें ्भी डगरफ्तार   हीो ग्या। उनकी स्मैृडत मैें ्भारत सरकार ने
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                                   कर  िेल ्भि डद्या ग्या। सन 1942 मैें वही   1985 मैें िाक डटकट ्भी िारी डक्या था।




          42  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 माच्च 2023
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