Page 45 - NIS Hindi 01-15 March,2023
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     राष्टट्र  अिृत ि्होोत्सव
             सहोदरि अय्यपि : नजन्होंिे भाईर्ारे को बढ़ावा
            देिे के नलए नकया ‘नमश्र भोजिम’ का आयोजि
                                         जन्म : 21 अगस्ि 1889, मृत्र्ु : 6 माचया 1968
                                                                        ु
        केरल के समैाि सुधारक और डचंतक सहीोदरन अय््यपन                  िड़ ग्या। ‘सहीोदरन’ का मैतलब हीोता हीै ्भाई ्याडन वही
        का िन्मै 21 अगस्त 1889 को केरल के एनाभिकुलमै श्स्थत            सबके ्भाई थे। इतना हीी नहीीं वही एक कडव, डनबंधकार,
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                                        ें
        चेरई मै हीुआ था। अय््यपन के बाल््यकाल मै हीी उनके              परिकार, सामैाडिक डचंतक, वक्ता, सामैुदाड्यक नेता के
        डपता का डनधन हीो ग्या। ऐसे मै उनके पररवार के अन््य             साथ-साथ प्रडतबद्ध रािनेता ्भी थे डिन्हीोंने िाडत प्रथा व
                              ें
                                                                                                   ं
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        सदस््य और बड़ ्भाई ने उनका पालन-पोर्ण डक्या। वही               अन््य सामैाडिक बुराई्यों के डखलाि अडतमै सांस तक
        नारा्यण गुरु के डवचार से प्र्भाडवत थे इसडलए अय््यपन            लड़ाई लड़ी। उन्हीोंने कोचीन डवधान पररर्द का चुनाव
        उनके डशष््य बन गए। डनष््ठावान और राष्ट्वादी अय््यपन            लड़ा था और कई साल तक इस सीट का प्रडतडनडधत्व
                ें
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        ने 1928 मै ्यश्क्तवाद नामैक एक पडरिका डनकाली ताडक              करते रहीे। केरल के एक समैाि सुधारक और रािनेता
                                                                                      ें
        स्वतरिता, समैानता और ्भाईचारे की ्भावना का प्रचार-प्रसार डक्या   अय््यपन  ने  केरल  मै  कई  डवकासात्मैक  परर्योिनाओं
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                                                                             ें
        िा सके। उनके संपादकी्य, लेख और कडवताएं अपने-अपने क्ेरिों   को ्भी आकार देने मै मैहीत्वपयूणभि ्भयूडमैका डन्भाई। 6 मैाचभि 1968 को
                                                                                                कृ
                                                                                  े
        की असाधारण रचनाओं मै शाडमैल हीै। उनके लेख और संदेश की   अय््यपन का डनधन हीो ग्या लडकन केरल के सांस्कडतक एवं सामैाडिक
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                                                                                ें
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        डवर््यवस्त आि ्भी प्रासडगक हीै।                       पुनिाभिगरण  के  इडतहीास  मै  उनका  ्योगदान  सदैव  ्याद  डक्या  िाता
                                                                             ें
                                                                                                         ें
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           अय््यपन ने केरल मै ‘डमैश् ्भोिनमै’ का आ्योिन डक्या। ‘डमैश्   रहीेगा। वही रािनीडत मै ्भी लंबे समै्य तक सडक्र्य रहीे। 1985 मै चेराई
                                                               ें
                                                                                    ें
        ्भोिनमै’ को केरल के पुनिाभिगरण आंदोलन मै मैील का पत्थर मैाना   मै सहीोदरन अय््यप्पन की ्याद मै एक स्मैारक बना्या ग्या। सहीोदरन
                                         ें
                                                                    ें
        िाता हीै। इसमै स्भी िाडत्यों के लोगों ने एक साथ ्भोिन डक्या। समैाि   स्मैारक मै उस घर को ्भी शाडमैल डक्या ग्या हीै िहीां उनका िन्मै हीुआ
                  ें
        मै ्भाईचारे को प्रोत्साहीन देने के डलए अय््यपन ने ‘सहीोदरन’ पडरिका   था। 14 िरवरी 1996 को ्भारत के तत्कालीन राष्ट्पडत शंकर द्याल
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                                                                         ें
        शुरू की। इसका प्र्भाव हीी था डक उनके नामै के साथ सहीोदरन शब्द   शमैाभि ने कोडचि मै अय््यप्पन की एक मैयूडतभि का अनावरण डक्या था।
                                                        ु
                       भारत में जलनवद्त उत्पादि का नवकास
                ु
        िल हवद्त ऊिाणि भारत के ररन्यूएबल एनिथी करी
        मित्वाकांक्ाओं को िाहसल करने करी कुंिरी िै। साथ िरी         GWh (गीगावाट घटा)
                                                                                        ं
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        िल हवद्त पररयोिनाएं, पयाणिवर्ण-अनुकल हवकास
        के हलए भारत करी प्रहतबद्धता को भरी िशाणितरी िै। इतना
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        िरी निीं, िल हवद्त पररयोिनाएं िल सुरक्ा, हसंचाई
        और पयणिटन के साथ-साथ रोिगार के अवसर भरी पैिा
        करतरी िै। पूरा हवश्व भारत करी इस बात करी प्रशंसा कर
        रिा िै हक िमारा िेश हकस तरि पयाणिवर्ण को बचाते
        िुए हवकास को गहत िे रिा िै। सोलर पावर से लेकर
        िाइड्ो पावर तक हवंड एनिथी से लेकर ग्ररीन िाइड्ोिन
        तक िेश ररन्यूएबल एनिथी के िर संसाधन को पूररी तरि
        इस्तेमाल करने के हलए हनरंतर कर रिा काम …...
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