Page 46 - NIS Hindi 01-15 March,2023
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राष्टट्र अिृत ि्होोत्सव
ऐनतहानसक र्टगांव नवरिोह के िॉ. बालककृष्टण नशवराम मुंजे :
िायक थे अंनबका र्क्वतती नजन्होंिे युवा शब्क्त को मजबूत
िन्मै : 1892, मैृत््य : 6 मैाचभि 1962
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क्रांहतकाररी स्वतरिता सेनानी अडबका बिािे का रखा लक्षय
चक्रवतथी का िन्मै अडव्भाडित बंगाल िन्मै : 12 डदसंबर 1872, मैृत््य : 3 मैाचभि 1948
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के चटगांव डिला श्स्थत बरमैा गांव मै वर् भि
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1892 मै हीुआ था। उनके डपता का नामै भारत के प्रडसद्ध स्वतरिता संग्ामै सेनानी िॉ.
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नंदकुमैार चक्रवतथी था। बाद मै उनका बालकष्ण डशवरामै मैिे का िन्मै 12 डदसंबर 1872
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पररवार चटगांव आकर रहीने लगा िो को डबलासपुर (वतभिमैान मै छत्तीसगढ़) मै हीुआ था।
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अब बांग्लादेश का डहीस्सा हीै। चटगांव शस्रिागार केस के प्रडसद्ध िॉ. बालकष्ण डशवरामै मैिे ने एक ऐसा िीवन डि्या
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क्रांडतकारी, वीर और साहीसी देश्भक्त अडबका चक्रवतथी पर उस डिसमै उन्हीोंने ्युवा शश्क्त को मैिबत बनाने का लक्ष्य
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समै्य के क्रांडतकारर्यों और स्वामैी डववेकानंद का बहीुत अडधक रखा िो ्भारती्य स्वतरिता संग्ामै मै अहीमै ्योगदान
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प्र्भाव था डिससे प्र्भाडवत हीोकर वही ्युवावस्था मै हीी स्वाधीनता दे सक। उन्हीोंने 1898 मै ग्ाट मैेडिकल कॉलि बॉम्ब से अपनी मैेडिकल
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की लड़ाई मै कद पड़। वही डवद्रोहीी स्व्भाव के थे और क्रांडतकारी डिग्ी परी की और बॉम्ब नगर डनगमै मै एक डचडकत्सा अडधकारी के रूप मै ें
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डवचारों से खासे प्र्भाडवत थे। ्यहीी कारण हीै डक क्रांडतकारी का्यभि करना शुरू डक्या। हीालाडक, बाद मै उन्हीोंने अपना पयूरा िीवन ्भारत के
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गडतडवडध्यों मै उनकी डवशर् सडक्र्यता रहीी। अज्ात कारणों स े स्वतरिता संग्ामै को समैडपभित करने का िसला डक्या और नौकरी छोड़ दी।
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उन्ही पहीली बार 1916 मै डगरफ्तार डक्या ग्या और 1918 मै वही इसके बाद उन्हीोंने अपना पयूरा िीवन देश की आिादी के डलए न््यौछावर कर
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ररहीा हीुए। बाद मै वही इंडि्यन ररपश्ब्लकन आमैथी के सदस््य बन डद्या। असल मै मैिे पेशे से िॉक्टर तो थे लडकन उन्ही शस्रिों का ्भी िबरदस्त
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गए डिसका नेतृत्व मैास्टर दा सयू्यभि सेन ने डक्या था। बाद मै वही ज्ान था। देश के ऐसे कई क्ेरि ही िहीां िॉ. मैि ने अहीमै ्योगदान डद्या। ऐसा हीी
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चटगांव के ्युगांतर पाटथी के ्भी सदस््य बने। मैाना िाता हीै डक एक क्ेरि सेना का था डिसने उन्ही बहीुत आकडर्भित डक्या। नागपुर मैे एक सैन््य
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उनकी क्रांडतकारी गडतडवडध्यों के कारण हीी उन्ही वर् 1924 मै ें स्कल स्थाडपत करने का उनका सपना था िहीां मैां ्भारती के सपयूतों को ्युद्ध के
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डगरफ्तार कर डल्या ग्या और 1928 तक वही िेल मै रहीे। 1928 मैैदान मै मैहीत्वपयूणभि ्भयूडमैका के डलए सैन््य प्रडशक्ण डद्या िा सके। अपने सपन े
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मै िेल से छूटे तो उनके इरादे और अडधक िौलादी हीो चुके को परा करने के डलए उन्हीोंने 1934 मै सट्ल डहींद डमैडलट्ी एिुकेशन सोसाइटी
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थे। इसके बाद उन्हीोंने अपने कुछ साडथ्यों के साथ चटगांव को की स्थापना की डिसका उद्श््य मैात्भयूडमै की रक्ा के डलए ्युवाओं को सैन््य
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अंग्ेिों से स्वतरि कराने की ्योिना बनाई। उन्हीोंने 18 अप्रल प्रडशक्ण देना था। अपनी सोच को डवस्तार देने और ्भारत के मैिबत सैन््य
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1930 को स्वतरिता सेनानी के एक समैयूही का नेतृत्व डक्या और बल के डलए उन्हीोंने 12 िन 1937 को नाडसक मै ्भोंसला डमैडलटरी स्कल
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संचार प्रणाली पर हीमैला डक्या। इस हीमैले ने चटगांव क्ेरि मै परी की स्थापना की। वही चाहीते थे डक इस संस्थान से डनकले छारि डवि्य की
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संचार प्रणाली को क्डतग्स्त कर डद्या। 22 अप्रल 1930 को मैहीत्वाकांक्ा, वाकपटुता और कटनीडत की शश्क्त से संपन्न हीो।
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िलालाबाद मै अंग्ेिी अडधकारर्यों के साथ मै्ठ्भड़ मै वही ग्भीर 18 अगस्त 1930 को उन्हीोंने एक ्भार्ण डद्या था डिसमै उन्हीोंने डवश्व मै ें
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रूप से घा्यल हीो गए। हीालाडक, वही वहीां से ्भागने मै सिल रहीे। चल रहीे गडतडवडध्यों का हीवाला डद्या। स्पन और सुदयूर पयूवभि मै चल रहीे ्युद्ध का
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कुछ मैहीीने बाद डब्डटश पडलस ने उन्ही डहीरासत मै ले डल्या। उन उल्लख डक्या और दडन्या पर मैिरा रहीे ्युद्ध के बादल पर अपने डवचार रखे।
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पर मैुकदमैा चला्या ग्या और उन्ही मैौत की सिा सुनाई गई। बाद अपने एक ्भार्ण मै उन्हीोंने कहीा था डक हीर लड़के को शारीररक और सैन््य
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मै मैौत की सिा को आिीवन कारावास मै बदल डद्या ग्या। उन्ही ें प्रडशक्ण डद्या िाना चाडहीए। उन्ही ्यही प्रडशक्ण सांप्रदाड्यक दश्ष्टकोण से नहीीं,
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पोट्ट ब्ले्यर के सेल््युलर िेल ले िा्या ग्या। िेल से बाहीर आन े बश्ल्क राष्ट्ी्य दश्ष्टकोण से डद्या िाना चाडहीए। एक और डवर््य था डिसमै ें
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के बाद उनके डवचारों मै बदलाव आ्या और आिादी के बाद उनकी गहीरी रुडच थी। वही समैाि मै िाडत को लेकर हीोने वाले असमैानता
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उन्हीोंने रािनीडत मै प्रवेश डक्या। वही 1952 मै पश्श्चमै बंगाल को खत्मै करना चाहीते थे। इस डदशा मै उन्हीोंने कािी कामै डक्या और चुनावों
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डवधान स्भा के सदस््य ्भी चुने गए। ्भारत की स्वतरिता के बाद मै गैर-ब्ाह्मणों को ्भाग लेने के डलए प्रोत्साडहीत डक्या। वही डहींद मैहीास्भा
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वही 1962 मै अपनी मैृत््य तक लोगों की अथक सेवा करते रहीे। के सदस््य ्भी थे। 1927 से 1928 तक ‘अडखल ्भारत डहीन्द मैहीास्भा’ के
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िीवन ्भर देश की आिादी और क्रांडत की अलख िगाने वाल े अध््यक् ्भी रहीे। मैाना िाता हीै डक राष्ट्ी्य स्व्यंसेवक संघ को बनवाने मै ्भी
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अडबका चक्रवतथी का 6 मैाचभि 1962 को सड़क दघभिटना मै डनधन उनका अहीमै ्योगदान था। वही संघ के संस्थापक केशव बडलरामै हीिगेवार के
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हीो ग्या। रािडनडतक गुरु थे। 3 मैाचभि 1948 को उनका डनधन हीो ग्या। n
44 न्यू इंनिया समार्ार 1-15 मार् 2023
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