Page 31 - NIS - Hindi 01-15 September,2023
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आिरण िथा : 77 िां स्ि्तंत्र्ता कदिस समेारोह




                                                              संितुललि कवकास से भावी



                                                           पीढ़ी को समृर्द्ध की सौगाि





                                                                                           े
                                                             आजादी ि लंबे अरसे ति दश िा ि ु छ रहस्ा
                                                                       े
                                                             उपेष्क्त रहा जजसिी वीजह से संतुजलत ववीिास
                                                            नहीं हुआ। िभी पूवीवोत्तर छ ू ट गया तो िभी पूवीवी

                                                           भारत। समग्र दृष्ष्िोण िो ववीिास िा मूल नहीं
                                                                                                            े
                                                             बनाया गया, लेकिन अब दीर्मािाजलि सोच ि
                                                                                         े
                                                            साथ ववीिास िी धारा में छ ू ट क्ेत्-भूभाग-जजलों
                                                                िी आिांक्ाओं िो धमल रही है नई उड़ान...







                                                                  आज ऐसी सिकाि ही, वो सवथ्यजन
                                                                                         ै
                                                                  रहीिाय सवथ्यजन सखाय से दश क
                                                                                      तु
                                                                                                     े
                                                                                                े
        n  असंतुकलत क्वकास के हम कशकार रहे हैं, मेरा-परा्या के कारण
                                                                                       े
           हमारे देश के कुछ कहस्से उसके कशकार रहे हैं। अब हमें क्षेत्री्य   संितुललि कवकास क ललए समय का
           आकांक्षाओं के संतुकलत क्वकास को बल देना है और क्षेत्री्य   पल-पल औि जनिा की पाई-पाई
           आकांक्षाओं को लेकर उस भा्वना को हमें सम्मान देना है।   उनकी भलाई क ललए लगा िहीी ही।
                                                                                                       ै
                                                                                    े
        n  हमारे शररीर का कोई अंग दुब्यल रहे तो हमारा शररीर स््वस्र्
           नहीं माना जाएगा। अगर कोई अंग अक्वककसत रहे तो हमारा
           शररीर क्वककसत नहीं माना जाएगा। ्वैसे हरी मेररी भारत माता
           उसका कोई एक भू-भाग भरी, समाज का कोई तबका भरी अगर    हम सबका एक बहुत महत्वपूर््ण दायित्व
                                  ्य
           दुब्यल रहे तो मेररी भारत माता समर् है, स््वस्र् है ऐसा सोचकर   ह, आपने जिस प्रकार से जिंदगी िी ह,
                                                                                                          ै
                                                                 ै
           हम नहीं बैठ सकते।
                                                               हमारी आने वाली पीढ़ी को ऐसी जिंदगी
          क्षेत्री्य आकांक्षाओं का हमें समाधान करने करी आ्वश््यकता है
        n
                                                                       े
           और इसकलए हर समाज का स्वािंगरीण क्वकास हो, स्व्यपक्षरी्य   िीने क ललए मिबूर करना, िे हमारा
           क्वकास हो, भू-भाग के हर क्षेत् को उसकरी अपनरी ताकत से   गुनाह ह, िे हमारा दायित्व ह कक हमारी
                                                                                               ै
                                                                         ैं
           कखलने का अ्वसर कमले, उस कदशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।
                                                               आने वाली पीढ़ी को हम ऐसा समृद्ध दश
                                                                                                           े
          हमने संतुकलत क्वकास के कलए आकांक्षरी कजले, आकांक्षरी ्धलॉक
        n
                                                                 ें
                                                                                         ें
                                                                                    े
           करी क्कपना करी और आज उसके सुखद पररणाम कमल रहे हैं।   द, ऐसा संतुललत दश द, ऐसा सामाजिक
                                                                                                ें
           आज राज््य के जो सामान््य मापदंड हैं, जो आकांक्षरी कजले कभरी   न्ाि की धरोहर वाला दश द, ताकक
                                                                                            े
                 ़े
           बहुत परीछ र्े, ्वो आज राज््य में भरी अच्छा करने लग गए हैं   छोटी-छोटी चीिों को पाने क ललए उन्ह   ें
                                                                                                े
           और मुझे क्वश््वास है कक आने ्वाले कदनों में ्ये हमारे आकांक्षरी   कभी भी संघर् न करना पड़। े
                                                                                ्ण
           कजले, हमारे आकांक्षरी ्धलॉक अ्वश््य आगे बढ़ेंगे।
                                                                                    न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2023  29
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