Page 14 - NIS Hindi 16-31 January, 2025
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     राष्ट्र अटलजी कीी 100वींं जयाती































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        क्षत्रीय आकोांक्षाओं कोा प्रवितविनविधा बानाया। पूीएर्मा पूद पूरी रीहोते होुए उन्होंने
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        विवपूक्ष कोी आलाोचनाओं कोा जवाबा होर्मार्शा बाहोतरीीन तरीीकोे संे विदया। वहो   जीबा भीी सात्ताा और हिवाचाार�ारा कीे बाीचा एकी
        ज्यादातरी संर्माय विवपूक्षी दला र्मां रीहोे, लाविकोन नीवितयं कोा विवरीोधा तकों औरी   कीो चाुनने कीी क्तिस्थहितयुां आईं, अटलजीी ने
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                                                                                                            ु
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        र्शब्दं संे विकोया। एको संर्माय उन्हों कोांग्रासं ने गूद्देारी तको कोहो विदया र्था, उसंकोे   हमशुा खले मन साे हिवाचाार�ारा कीो ही चाना।
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        बााद भीी उन्होंने कोभीी असंंसंदीय र्शब्दं कोा इस्तर्मााला नहों विकोया। उनर्मां
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        संत्ताा कोी लाालासंा नहों र्थी। 1996 र्मां उन्होंने जोड़-तोड़ कोी रीाजनीवित न   र्मारीे जसंे भीारीतीय जनता पूाटीी कोे असंंख्य कोायषकोताओं कोो उनसंे
        चुनकोरी, इस्ती�ा दने कोा रीास्ता चुन विलाया। रीाजनीवितको र्षड्यंंत्रं कोे कोारीण   संीखने कोा, उनकोे संार्थ कोार्मा कोरीने कोा, उनसंे संंवाद कोरीने कोा अवसंरी
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        1999 र्मां उन्हों विसं�फ एको वोटी कोे अंतरी कोे कोारीण पूद संे इस्ती�ा दना   विर्मालाा। अगूरी आज भीाजपूा दविनया कोी संबासंे बाड़ी पूाटीी होै तो इसंकोा श्रेेय
                                                                                                            े
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        पूड़ा। कोई लाोगूं ने उनसंे इसं तरीहो कोी अनवितको रीाजनीवित कोो चनौती दने   उसं अटीला आधाारी कोो होै, विजसंपूरी ये दढ़ संंगूठन खड़ा होै। उन्होंने बाीजपूी
                                                                                े
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        कोे विलाए कोहोा, लाविकोन पूीएर्मा अटीला विबाहोारीी वाजपूयी र्शविचता कोी रीाजनीवित   कोी नंव तबा रीखी, जबा कोांग्रासं जसंी पूाटीी कोा विवकोल्पू बानना आसंान नहों
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        पूरी चलाे। अगूलाे चनाव र्मां उन्होंने र्माजबाूत जनादर्श कोे संार्थ वापूसंी कोी।  र्था। उनकोा नतृत्व, उनकोी रीाजनीवितको दक्षता, संाहोसं औरी लाोकोतंत्र कोे
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          संंविवधाान कोे र्माूल्य संंरीक्षण र्मां भीी, उनकोे जसंा कोोई नहों र्था। �ॉ. श्यार्माा   प्रवित उनकोे अगूाधा संर्मापूषण ने भीाजपूा कोो भीारीत कोी लाोकोविप्रय पूाटीी कोे रूपू
                                                                                                 ु
        प्रसंाद कोे विनधान कोा उन पूरी बाहोुत प्रभीाव पूड़ा र्था। वहो आपूातकोाला कोे   र्मां प्रर्शस्त विकोया। लाालाकोृष्ण आ�वाणी औरी �ॉ. र्मारीलाी र्मानोहोरी जोर्शी
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        विखलाा� लाड़ाई कोा भीी बाड़ा चहोरीा बाने। आपूातकोाला कोे बााद 1977 कोे   जसंे विदग्गूजं कोे संार्थ, उन्होंने पूाटीी कोो अनको चनौवितयं संे विनकोालाकोरी
        चनाव संे पूहोलाे उन्होंने ‘जनसंंघ’ कोा जनता पूाटीी र्मां विवलाय कोरीने पूरी भीी   सं�लाता कोे संोपूान तको पूहोुंचाया।
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        संहोर्मावित जता दी। र्मां जानता होूं विको यहो विनणषय संहोज नहों रीहोा होोगूा, लाविकोन   जबा भीी संत्ताा औरी विवचारीधाारीा कोे बाीच एको कोो चुनने कोी क्टिस्र्थवितयां
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        वाजपूयी जी कोे विलाए होरी रीाष्ट्रीभी�त कोायषकोता कोी तरीहो दला संे बाड़ा दर्श   आईं, उन्होंने इसं चनाव र्मां विवचारीधाारीा कोो खलाे र्मान संे चुन विलाया। वहो
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        र्था, संंगूठन संे बाड़ा, संंविवधाान र्था।              दर्श कोो यहो संर्माझेाने र्मां सं�ला होुए विको कोांग्रासं कोे दक्टिष्टीकोोण संे अलागू
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          होर्मा संबा जानते हों, अटीलाजी कोो भीारीतीय संंस्कोवित संे भीी बाहोुत लागूाव   एको वकोक्टिल्पूको वक्टिश्वको दक्टिष्टीकोोण संंभीव होै। ऐसंा दक्टिष्टीकोोण वास्तव र्मां
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        र्था। भीारीत कोे विवदर्श र्मात्री बानने कोे बााद जबा संंय�त रीाष्ट्री संंघ र्मां भीार्षण दने   पूरिरीणार्मा दे संकोता होै। आज उनकोा रीोविपूत बाीज, एको वटीवृक्ष बानकोरी रीाष्ट्री
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        कोा अवसंरी आया, तो उन्होंने अपूनी विहोदी संे पूूरीे दर्श कोो खुद संे जोड़ा।   संवा कोी नव पूीढ़ी कोो रीच रीहोा होै। अटीलाजी कोी 100वं जयती, भीारीत र्मां
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        पूहोलाी बाारी विकोसंी ने विहोदी र्मां संंय�त रीाष्ट्री र्मां अपूनी बाात कोहोी। उन्होंने   संर्शासंन कोे एको रीाष्ट्री पूुरुर्ष कोी जयती होै। आइए होर्मा संबा इसं अवसंरी पूरी,
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        भीारीत कोी विवरीासंत कोो विवश्व पूटीला पूरी रीखा। उन्होंने संार्माान्य भीारीतीय कोी   उनकोे संपूनं कोो संाकोारी कोरीने कोे विलाए विर्मालाकोरी कोार्मा कोरीं। होर्मा एको ऐसंे
                                                                                 ु
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        भीार्षा कोो संंय�त रीाष्ट्री कोे र्मांच तको पूहोुंचाया। रीाजनीवितको जीवन र्मां होोने   भीारीत कोा विनर्मााण कोरीं, जो संर्शासंन, एकोता औरी गूवित कोे अटीला विसंद्धांतं
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                                                                                                       े
        कोे बााद भीी, वहो संाविहोत्य औरी अविभीव्यक्टि�त संे जड़े रीहोे। वहो एको ऐसंे कोविव   कोा प्रतीको होो। र्माुझेे विवश्वासं होै, भीारीत रीत्न अटीला विबाहोारीी वाजपूयी जी कोे
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        औरी लाेखको र्थे, विजनकोे र्शब्द होरी विवपूरीीत क्टिस्र्थवित र्मां व्यक्टि�त कोो आर्शा औरी   विसंखाए विसंद्धांत ऐसंे होी, होर्मां भीारीत कोो नव प्रगूवित औरी संर्माविद्ध कोे पूर्थ पूरी
                                                                                  ं
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        नव संृजन कोी प्ररीणा दते र्थे। वहो होरी उम्र-होरी वगूष कोे विप्रय औरी अपूने र्थे।  प्रर्शस्त कोरीने कोी प्ररीणा दते रीहोगूे।  n
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         12  �यू इनिडॉया संमााचाारी   16-31 जनवरीी, 2025
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