Page 36 - NIS Hindi 01-15 October, 2025
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भापेन दा...
                                                            ू




                                                    भारा� काे रात्न



                                                                                                   ं
                                                भारा� रात्न �े �म्मेातिने� �ॉ. भपने हाजेारिराकाा काी 100वां जेन्मे जेया�ी �ेशभरा
                                                                         े
                                                                        ू
                                                में श्रद्धा औरा उत्�ाहा काे �ाथ मेनेाई जेा राहाी हाै। इ� अवा�रा परा प्रधाानेमेत्राी
                                                                                                      ं
                                                                   ू
                                                नेरांद्र मेो�ी नेे एका भावापर्णात लीेख काे मेाध्यामे �े उनेकाी �ांस्काृति�का तिवाराा��
                                                                                 े
                                                                               ू
                                                औरा �ामेातिजेका याोगां�ाने काो याा� कारा भपने �ा काो नेमेने तिकायाा। आधातिनेका
                                                                                                      ु
                                                अ�मे काी �ांस्काृति�का पहाचााने काो गांढ़ोनेे औरा वाक्तिश्वाका पहाचााने �ेनेे वाालीे भपने
                                                                                     ै
                                                                                                         ू
                                                                                                          े
                                                हाजेारिराकाा ��वा भारा�ीया �ंस्काृति� औरा �गांी� जेगां� में अतिवास्मेरार्णाीया याोगां�ाने
                                                                                ं
                                                           ै
                                                                            ं
                                                काे तिलीए स्मेरार्णाीया हां। पेश हाै प्रधाानेमेत्राी मेो�ी काा आलीेख...
                                                         जेन्मे- 8 ति��ंबरा 1926 | तिनेधाने- 5 नेवांबरा 2011
                                                                                                     �
                                                        रर्ताीर्य सस्कृतिर्ता और स�गौीर्ता से लीगौाव रखने वालीं के तिलीए आज 8 तिसर्ताबर का तिदेन
                                                             �
                                                                        े
                                                        बहर्ता खास है। और तिवशषाकर इस तिदेन के साथा असर्म के र्मरे भांाइर्यं और बहनं की
                                                          ु
                                                                                              े
                                                               ु
                                              भांा भांावनाए जड़ेी हुई हं। आज भांारर्ता रत्न डॉ. भांपूेन हजारिरका की जन्र्म जर्य�र्ताी है। वे भांारर्ता
                                                                                   ू
                                                             �
                                                                                          ु
                                               की सबसे असाधाारर्ण और सबसे भांावुक आवाज़ोंं र्मं से एक थाे। र्ये बहर्ता सुखदे है तिक इस वषाम उनक  े
                                               जन्र्म शर्ताा�देी वषाम का आर�भां हो रहा है। र्यह भांारर्ताीर्य कलीा-जगौर्ता और जन-चेर्ताना की तिदेशा र्मं उनक  े
                                               र्महान र्योगौदेानं को तिफर से र्यादे करने का सर्मर्य है।
                                                  ू
                                                 भांपूेन देा ने हर्मं स�गौीर्ता से कहं अतिधाक तिदेर्या। उनके स�गौीर्ता र्मं ऐसी भांावनाए थां जो धाुन से भांी आगौे
                                                                                               �
                                               जार्ताी थां। वे केवली एक गौार्यक नहं थाे, वे लीोगौं की धाड़ेकन थाे। कई पूीतिढ़ार्या� उनके गौीर्ता सुनर्ताे हुए
                                                                                                    ू
                                               बड़ेी हुईं। उनके गौीर्तां र्मं करुर्णा, सार्मातिजक न्र्यार्य, एकर्ताा और गौहरी आत्र्मीर्यर्ताा की गौ�ज है। भांपूेन देा
                                                                                                         ू
                                               के रूपू र्मं असर्म से एक ऐसी आवाज़ों तिनकलीी जो तिकसी कालीजर्यी नदेी की र्तारह बहर्ताी रही। भांपूेन
                                                                                                           ू
                                               देा सशरीर हर्मारे बीच नहं हं लीतिकन उनकी आवाज आज भांी हर्मारे बीच है। वो आवाज आज भांी
                                                                   े
                                                                                        ू
                                                                                               ु
                                               सीर्माओं और सस्कृतिर्तार्यं से पूरे है। उसर्मं र्मानवर्ताा का स्पूशम है। भांपूेन देा ने देतिनर्या का भ्रर्मर्ण तिकर्या,
                                                         �
                                                                       े
                                               सर्माज के हर वगौम के लीोगौं से तिर्मलीे, लीतिकन वे असर्म र्मं अपूनी जड़ें से हर्मशा जड़ेे रहे। असर्म की
                                                                                              े
                                                                                                  ु
                   नेरांद्र मेो�ी              सर्मृ� र्मौतिखक पूर�पूराए, लीोकधानं और सार्मदेातिर्यक कहानी कहने के र्तारीकं ने उनके बचपून को
                                                                           ु
                                                                   ु
                                                              �
                    प्रधाानेमेत्राी            गौढ़ाा। र्यही अनुभांव उनकी कलीात्र्मक भांाषाा की नंव बने। वे असर्म की आतिदेवासी पूहचान और लीोगौं
                          ं
                                               के सरोकार को हर सर्मर्य साथा लीेकर चलीे।
                                                 बहर्ता छोोटेी उम्र से उनकी प्रतिर्ताभांा लीोगौं को नजर आने लीगौी। केवली पूा�च वषाम की उम्र र्मं उन्हंन  े
                                                   ु
                                                                            े
                                                                                   ै
                                                        �
               े
            भपने �ा काी जेीवाने याात्राा में   सावमजतिनक र्मच पूर गौार्या। वहा� लीक्ष्र्मीनाथा बझेबरुआ जसे असतिर्मर्या सातिहत्र्य के अग्रदेूर्ता ने उनक  े
              ू
                                                                          ु
                                                                               ु
            ‘एका भारा�, श्रेष्ठ भारा�’ काी     कौशली को पूहचाना। तिकशोरावस्थाा र्ताक पूह�चर्ताे-पूह�चर्ताे उन्हंने अपूना पूहलीा गौीर्ता रिरकॉडड कर तिलीर्या।
                                                े
                                                                                   ू
          भावानेा काा स्पष्ट प्रभावा ति�ख�ा    लीतिकन स�गौीर्ता उनके व्र्यल्किक्र्तात्व का तिसफफ एक पूहलीू थाा। भांपूेन देा भांीर्तार से एक बौति�क व्र्यल्किक्र्तात्व थाे।
                                                                  ु
                                                                                  ू
            हाै। उनेकाी राचानेाओं नेे भार्षोा   तिजज्ञाासु, साफ बोलीने वालीे, देतिनर्या को सर्मझेने की अटेटे चाह रखने वालीे। ज्र्योतिर्ता प्रसादे अग्रवालीा
                                                               ै
                  े
            औरा क्षात्रा काी �ीमेाएं �ोड़ाकारा   और तिवष्र्णु प्रसादे रभांा जसे सा�स्कृतिर्ताक तिदेग्गौजं ने उनके र्मन पूर गौहरा प्रभांाव डालीा, और उनकी
                                               तिजज्ञाासु प्रवतित्ती को और बढ़ाावा तिदेर्या।
                                                      ृ
                  एकाजेुट तिकायाा।               सीखने की र्यही लीगौन उन्हं कॉटेन कॉलीेज, बनारस तिहन्देू तिवश्वतिवद्यालीर्य र्ताक लीे गौई। वो बीएचर्य  ू
                                                                   े
                                               र्मं राजनीतिर्ता शास्त्रा के छोात्रा थाे, लीतिकन उनका अतिधाकर्तार सर्मर्य स�गौीर्ता साधाना र्मं बीर्तार्ताा थाा। बनारस
                                                    ू
                                               ने उन्हं पूरी र्तारह स�गौीर्ता की र्तारफ र्मोड़े तिदेर्या। काशी का सा�सदे होने के नार्ताे र्मं उनकी जीवन र्यात्राा स  े
                                                                 ू
                                               एक जड़ेाव र्महसूस करर्ताा ह�, और र्मुझेे बहुर्ता गौवम होर्ताा है।
                                                   ु
         34  न्यूू इंंडि�यूा समााचाार | 1-15 अक्टूूबर 2025
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