Page 39 - NIS Hindi 01-15 October, 2025
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गां� 100 वार्षों में �ेशभक्तिक्� काी प्ररार्णाा �े भरा े वषा 2000 र्मं वे सरकार्यमवाह बने। र्यहा� भांी भांागौवर्ता जी न े
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हाजेारां याुवाका-यावाति�यां नेे अपनेा घरा-परिरावाारा अपूनी अनोखी कार्यमशैलीी से हर कतिठन पूरिरल्किस्थातिर्ता को सहजर्ताा
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त्याागां कारा पूराा जेीवाने �ंघ परिरावाारा काे मेाध्यामे और सटेीकर्ताा से स�भांालीा। 2009 र्मं वे सरसघचालीक बने और
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�े रााष्ट्र काो �मेतिपत� तिकायाा हाै। भागांवा� जेी भी आज भांी अत्र्य�र्ता ऊजा के साथा कार्य कर रहे हं। भांागौवर्ता जी ने राष्ट्र
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उ� मेहााने परांपराा काी मेजेब� धाराी हां। प्रथार्म की र्मली तिवचारधाारा को हर्मशा सवोपूरिर रखा।
सरसघचालीक होना र्मात्रा एक स�गौठनात्र्मक तिजम्र्मदेारी नहं है।
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र्यह एक पूतिवत्रा तिवश्वास है, तिजसे पूीढ़ाी-देर-पूीढ़ाी देूरदेशी व्र्यल्किक्र्तात्वं
श�दे सुनकर र्ये भ्रर्म हो जार्ताा है तिक कोई प्रचार करने वालीा व्र्यल्किक्र्ता ने आगौे बढ़ाार्या है और इस राष्ट्र के नैतिर्ताक और सा�स्कृतिर्ताक पूथा को
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होगौा, लीतिकन जो सघ को जानर्ताे हं उनको पूर्ताा है तिक प्रचारक तिदेशा देी है। असाधाारर्ण व्र्यल्किक्र्तार्यं ने इस भांतिर्मका को व्र्यल्किक्र्तागौर्ता
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पूर�पूरा सघ कार्य की तिवशषार्ताा है। गौर्ता 100 वषां र्मं देेशभांल्किक्र्ता की त्र्यागौ, उद्देेश्र्य की स्पूष्टेर्ताा और र्मा� भांारर्ताी के प्रतिर्ता अटेटे सर्मपूमर्ण क े
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प्रेरर्णा से भांरे हजारं र्युवक-र्युवतिर्तार्यं ने अपूना घर-पूरिरवार त्र्यागौ साथा तिनभांार्या है। र्यह गौवम की बार्ता है तिक र्मोहन भांागौवर्ता जी ने न
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कर पूरा जीवन सघ पूरिरवार के र्मार्ध्र्यर्म से राष्ट्र को सर्मतिपूमर्ता तिकर्या केवली इस तिवशाली तिजम्र्मदेारी के साथा पूूर्ण न्र्यार्य तिकर्या है, बल्कि�क
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है। भांागौवर्ता जी भांी उस र्महान पूर�पूरा की र्मजबूर्ता धाुरी हं। इसर्मं अपूनी व्र्यल्किक्र्तागौर्ता शल्किक्र्ता, बौति�क गौहराई और सहृदेर्य नर्ताृत्व
भांागौवर्ता जी ने उस सर्मर्य प्रचारक का देातिर्यत्व स�भांालीा, जब भांी जोड़ेा है।
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र्तात्कालीीन काग्रेस सरकार ने देेश पूर इर्मरजसी थाोपू देी थाी। उस भांागौवर्ता जी का र्यवाओं से सहज जड़ेाव है और इसतिलीए उन्हंन े
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देौर र्मं प्रचारक के रूपू र्मं भांागौवर्ता जी ने आपूार्ताकाली-तिवरोधाी अतिधाक से अतिधाक र्यवाओं को सघ कार्य के तिलीए प्रेरिरर्ता तिकर्या है। व े
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आ�देोलीन को तिनर�र्तार र्मजबूर्ताी देी। उन्हंने कई वषां र्ताक र्महाराष्ट्र लीोगौं से प्रत्र्यक्षा स�पूकफ र्मं रहर्ताे हं, और स�वादे करर्ताे रहर्ताे हं। श्रेष्ठ
के ग्रार्मीर्ण और तिपूछोड़ेे इलीाकं, तिवशषाकर तिवदेभांम र्मं कार्म तिकर्या। कार्य पू�तिर्ता को अपूनाने की इच्छोा और बदेलीर्ताे सर्मर्य के प्रतिर्ता खलीा
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1990 के देशक र्मं अतिखली भांारर्ताीर्य शारीरिरक प्रर्मुख के रूपू र्म ं र्मन रखना, र्ये र्मोहनजी की बहर्ता बड़ेी तिवशषार्ताा रही है। अगौर हर्म
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र्मोहन भांागौवर्ता जी के कार्यं को आज भांी कई स्वर्य�सेवक स्नेेहपूवक व्र्यापूक स�देभां र्मं देेखर्ताे हं र्ताो सघ की 100 साली की र्यात्राा र्मं भांागौवर्ता
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र्यादे करर्ताे हं। इसी कालीखड र्मं र्मोहन भांागौवर्ता जी ने तिबहार क े जी का कार्यमकाली सघ र्मं सवामतिधाक पूरिरवर्तामन का कालीखड र्माना
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गौावं र्मं अपूने जीवन के अर्म�र्य वषा तिबर्तााए और सर्माज को सशक्र्ता जाएगौा। चाहे वो गौर्णवेश पूरिरवर्तामन हो, सघ तिशक्षाा वगौं र्मं बदेलीाव
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करने के कार्य र्मं सर्मतिपूमर्ता रहे। हो, ऐसे अनेक र्महत्वपूूर्ण पूरिरवर्तामन उनके तिनदेेशन र्मं स�पून्न हुए।
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न्यूू इंंडि�यूा समााचाार | 1-15 अक्टूूबर 2025 37