Page 38 - NIS Hindi 01-15 October, 2025
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वि�शेेष प्रधाानम�त्रीी केा ब्लेॉग







                                                                                        े
                   “ मोहन भाागवती जी हमर्शा


                 सेे ‘ एके भाारती-श्रेेष्ठ भाारती’




                    के े  प्रबा� सेमर्थथके रहे हं ”







                                                                                   �
                                                                            ज 11 तिसर्ताबर है। र्यह तिदेन अलीगौ-अलीगौ स्र्मृतिर्तार्यं
                                                                            से जड़ेा है। एक स्र्मृतिर्ता 1893 की है, जब स्वार्मी
                                                                                ु
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                                                                               े
                                                               आ तिववकान�दे ने तिशकागौो र्मं तिवश्वब�धाुत्व का सदेेश
                                                                तिदेर्या और देूसरी स्र्मृतिर्ता है 9/11 का आर्ता�की हर्मलीा, जब तिवश्व
                                                                                     �
                                                                                     ु
                                                                ब�धाुत्व को सबसे बड़ेी चोटे पूहचाई गौई। आज के तिदेन की एक और
                                                                   े
                                                                तिवशषा बार्ता है। आज एक ऐसे व्र्यल्किक्र्तात्व का 75वा� जन्र्मतिदेवस ह  ै
                                                                तिजन्हंने वसधाैव कटे�बकर्म के र्म�त्रा पूर चलीर्ताे हुए सर्माज को स�गौतिठर्ता
                                                                        ु
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                                                                करने, सर्मर्ताा-सर्मरसर्ताा और ब�धाुत्व की भांावना को सशक्र्ता करने
                         नेरांद्र मेो�ी                         र्मं अपूना पूरा जीवन सर्मतिपूमर्ता तिकर्या है।
                                                                        ू
                          प्रधाानेमेत्राी
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                                                                                               �
                                                                  सघ पूरिरवार र्मं तिजन्हं पूरर्म पूूजनीर्य सरसघचालीक के रूपू र्म  ं
                                                                   �
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        इ� वार्षोत 2 अक्टूबरा एका तिवाशर्षो �याोगां लीकारा आयाा हाै।   श्र�ाभांाव से स�बोतिधार्ता तिकर्या जार्ताा है, ऐसे आदेरर्णीर्य र्मोहन भांागौवर्ता
                              े
                                ू
        रााष्ट्रतिप�ा मेहाात्मेा गांांधाी औरा पवात प्रधाानेमेत्राी लीाली बहाा�रा   जी का आज जन्र्मतिदेन है। र्यह एक सुखदे स�र्योगौ है तिक इसी साली
                                                   ु
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        शास्त्राी काी जेया�ी काे �ाथ तिवाजेयाा�शमेी काा पावाने त्याोहाारा हाै   सघ भांी अपूना शर्ताा�देी वषाम र्मना रहा है। र्मं भांागौवर्ता जी को हातिदेमक
                                                                 �
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        �ो रााष्ट्रीया स्वाया�वाका �ंघ भी अपनेी स्थापनेा काे 100 वार्षोत   शभांकार्मनाए देर्ताा ह� और प्राथामना करर्ताा ह� तिक ईश्वर उन्हं देीघामर्य  ु
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                                                                 ु
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        पराे कारा राहाा हाै। याानेी तिवाजेयाा�शमेी काा पवात, गांांधाी जेया�ी,   और उत्तीर्म स्वास्थ्र्य प्रदेान करं।
        लीाली बहाा�रा शास्त्राी काी जेया�ी औरा �ंघ काा श�ाब्�ी वार्षोत   र्मरा र्मोहन भांागौवर्ता जी के पूरिरवार से बहर्ता गौहरा स�ब�धा रहा है।
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        एका हाी ति�ने हाै। लीाली तिकालीे काी प्राचाीरा �े 79वां स्वा�त्रा�ा   र्मुझेे उनके तिपूर्ताा, स्वगौीर्य र्मधाुकरराव भांागौवर्ता जी के साथा तिनकटेर्ताा
                                               ं
        ति�वा� परा भी प्रधाानेमेत्राी नेरांद्र मेो�ी नेे काहाा था तिका रााष्ट्रीया   से कार्म करने का सौभांाग्र्य तिर्मलीा थाा। र्मने अपूनी पूुस्र्ताक ज्र्योतिर्तापू�ज
                         ं
                                                                                                           ु
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        स्वाया�वाका �ंघ काी 100 वार्षोत काी �मेतिपत� याात्राा रााष्ट्र काी   र्मं र्मधाुकरराव जी के बारे र्मं तिवस्र्ताार से तिलीखा भांी है। वकालीर्ता
        �ेवाा में गांौरावामेयाी स्वातिर्णातमे पृष्ठ हाै, तिजे�नेे व्याक्तिक्� तिनेमेातर्णा �े   के साथा-साथा र्मधाुकरराव जी जीवनभांर राष्ट्र तिनर्मामर्ण के कार्य  म
                      ं
        रााष्ट्र तिनेमेातर्णा काे �काल्प काो बढ़ोावाा ति�याा हाै। �ंघ काो �तिनेयाा   र्मं सर्मतिपूमर्ता रहे। अपूनी र्यवावस्थाा र्मं उन्हंने ली�बा सर्मर्य गौुजरार्ता
                                                  ु
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                               ं
        काा �ब�े बड़ाा गांरा �राकााराी �गांठने ब�ा�े हाुए प्रधाानेमेत्राी नेे
                                                  ं
                                                                            �
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                                                                                         ू
        100 �ाली काी भव्या याात्राा काो रााष्ट्र काे तिलीए प्ररार्णाा ब�ायाा   र्मं तिबर्ताार्या और सघ कार्य की र्मजबर्ता नंव रखी। र्मधाुकरराव जी
                                           े
                                                                                   ु
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                      ं
        था।  रााष्ट्रीया स्वाया�वाका �ंघ काे �रा�ंघचाालीका काे जेन्मेति�ने   का राष्ट्र तिनर्मामर्ण के प्रतिर्ता झेकाव इर्ताना प्रबली थाा तिक अपूने पूत्रा
                                                                                       म
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        11 ति��ंबरा काे अवा�रा परा प्रधाानेमेत्राी नेे एका तिवाशर्षो ब्लीॉगां   र्मोहनराव को भांी इस र्महान कार्य के तिलीए तिनर�र्तार गौढ़ार्ताे रहे। एक
                                  ं
        तिलीखकारा �ामेातिजेका याोजेनेाओं- स्वाच्छ भारा� तिमेशने, बटी   पूारसर्मतिर्ण र्मधाुकरराव ने र्मोहनराव के रूपू र्मं एक और पूारसर्मतिर्ण
                                                    े
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                                  ं
        बचााओ-बटी पढ़ोाओ काो जेने आ�ोलीने बनेानेे में �ंघ काे    र्तार्यार कर देी।
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                                                                                                े
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        स्वाया�वाकां काे याोगां�ाने औरा आत्मेतिनेभतरा भारा� काे �काल्प   भांागौवर्ता जी का पूरा जीवन सर्तार्ता प्रेरर्णा देने वालीा रहा है। व  े
        काी ति�तिद्ध में �मेपतर्णा काे भावा काा तिकायाा तिजे�...  1970 के देशक के र्मर्ध्र्य र्मं प्रचारक बने। सार्मान्र्य जीवन र्मं प्रचारक
         36  न्यूू इंंडि�यूा समााचाार | 1-15 अक्टूूबर 2025
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