Page 40 - NIS Hindi 01-15 October, 2025
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वि�शेेष प्रधाानम�त्रीी केा ब्लेॉग
कोरोना काली र्मं र्मोहन भांागौवर्ता जी के प्रर्यास तिवशषा रूपू
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से र्यादे आर्ताे हं। उस कतिठन सर्मर्य र्मं उन्हंने स्वर्य�सेवकं को
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सुरतिक्षार्ता रहर्ताे हुए सर्माजसवा करने की तिदेशा देी और टेेक्नोोलीॉजी
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का उपूर्योगौ बढ़ााने पूर बली तिदेर्या। उनके र्मागौमदेशन र्मं स्वर्य�सेवकं
ने जरूरर्तार्म�दें र्ताक हरस�भांव सहार्यर्ताा पूहचाई, जगौह-जगौह
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र्मतिडकली कपू लीगौाए। उन्हंने वल्किश्वक चनौतिर्तार्यं और वल्किश्वक
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तिवचार को प्राथातिर्मकर्ताा देर्ताे हुए व्र्यवस्थााओं को तिवकतिसर्ता तिकर्या।
हर्मं कई स्वर्य�सेवकं को खोना भांी पूड़ेा, लीतिकन भांागौवर्ता जी
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की प्रेरर्णा ऐसी थाी तिक अन्र्य स्वर्य�सेवकं की देढ़ा इच्छोाशल्किक्र्ता
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कर्मजोर नहं पूड़ेी।
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इस वषा की शुरुआर्ता र्मं, र्मने नागौपूुर र्मं उनके साथा र्माधाव नत्रा
तिचतिकत्सालीर्य के उद्घाटेन के देौरान कहा थाा तिक सघ अक्षार्यवटे �मेाजे काल्याार्णा काे तिलीए �ंघ काी
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की र्तारह है, जो राष्ट्रीर्य सस्कृतिर्ता और चर्ताना को ऊजा देर्ताा है। शक्तिक्� काे तिनेरा�रा उपयाोगां परा मेोहाने
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इस अक्षार्यवटे वक्षा की जड़ें इसके र्म�र्यं की वजह से बहुर्ता गौहरी भागांवा� जेी काा तिवाशर्षो बली राहाा हाै।
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और र्मजबूर्ता हं। इन र्म�र्यं को आगौे बढ़ााने र्मं तिजस सर्मपूमर्ण स े
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र्मोहन भांागौवर्ता जी जुटेे हुए हं, वो हर तिकसी को प्रेरर्णा देर्ताा है।
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सर्माज क�र्यार्ण के तिलीए सघ की शल्किक्र्ता के तिनर�र्तार उपूर्योगौ पूर र्मं साफ तिदेखाई देर्ताी है।
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र्मोहन भांागौवर्ता जी का तिवशषा बली रहा है। इसके तिलीए उन्हंने पूच तिपूछोलीे तिदेनं देेश र्मं तिजर्ताने सफली जन-आ�देोलीन हुए चाह े
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पूरिरवर्तामन का र्मागौम प्रशस्र्ता तिकर्या है। इसर्मं स्व बोधा, सार्मातिजक स्वच्छो भांारर्ता तिर्मशन हो र्या बटेी बचाओ बटेी पूढ़ााओ, र्मोहन
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सर्मरसर्ताा, नागौरिरक तिशष्टेाचार, कटेुम्ब प्रबोधान और पूर्यावरर्ण भांागौवर्ता जी ने पूरे सघ पूरिरवार को इन आ�देोलीनं र्मं ऊजा भांरन े
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के सत्रां पूर चलीर्ताे हुए राष्ट्र तिनर्मामर्ण को प्राथातिर्मकर्ताा देी गौई है। के तिलीए प्रेरिरर्ता तिकर्या। र्मं पूर्यावरर्ण से जड़ेे प्रर्यासं और सस्टेनेबली
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देेश और सर्माज के तिलीए सोचने वालीे हर भांारर्तावासी को पूच लीाइफस्टेाइली को आगौे बढ़ााने के प्रतिर्ता उनके सर्मपूमर्ण को जानर्ताा
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पूरिरवर्तामन के इन सत्रां से अवश्र्य प्रेरर्णा तिर्मलीगौी। ह�। र्मोहन जी का बहर्ता जोर आत्र्मतिनभांमर भांारर्ता पूर भांी है।
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सघ का हर कार्यकर्ताा वभांव स�पून्न भांारर्ता र्मार्ताा का सपूना कछो ही तिदेनं र्मं तिवजर्यादेशर्मी पूर राष्ट्रीर्य स्वर्य�सेवक सघ
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साकार होर्ताे देेखना चाहर्ताा है। इस सपूने को पूरा करने के तिलीए 100 वषा का हो जाएगौा। र्यह भांी सुखदे स�र्योगौ है तिक तिवजर्यादेशर्मी
तिजस स्पूष्टे तिवज़ोंन और ठोस एक्शन की जरूरर्ता होर्ताी है, र्मोहन का पूवम, गौाधाी जर्य�र्ताी, लीाली बहादेुर शास्त्राी की जर्य�र्ताी और सघ
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जी इन देोनं गौर्णं से पूरिरपूूर्ण हं। का शर्ताा�देी वषाम एक ही तिदेन आ रहे हं।
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र्मोहन जी के स्वभांाव की एक और बड़ेी तिवशषार्ताा र्ये है तिक वो र्यह भांारर्ता और तिवश्वभांर के लीाखं स्वर्य�सेवकं के तिलीए एक
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र्मदेभांाषाी हं। उनर्मं सुनने की भांी अद्भुर्ता क्षार्मर्ताा है। र्यह तिवशषार्ताा ऐतिर्ताहातिसक अवसर है। हर्म स्वर्य�सेवकं का सौभांाग्र्य है तिक हर्मार े
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न केवली उनके देल्किष्टेकोर्ण को गौहराई देर्ताी है, बल्कि�क उनक े पूास र्मोहन भांागौवर्ता जी जसे देूरदेशी और पूरिरश्रर्मी सरसघचालीक
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व्र्यल्किक्र्तात्व और नर्ताृत्व र्मं स�वदेनशीलीर्ताा और गौरिरर्मा भांी लीार्ताी हं, जो ऐसे सर्मर्य र्मं स�गौठन का नर्ताृत्व कर रहे हं। एक र्यवा
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है। र्मोहन जी, हर्मेशा ‘एक भांारर्ता श्रेष्ठ भांारर्ता’ के प्रबली पूक्षाधार स्वर्यसवक स लीकर सरसघचालीक र्ताक की उनकी जीवन र्यात्राा
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रहे हं। भांारर्ता की तिवतिवधार्ताा और भांारर्ता भांतिर्म की शोभांा बढ़ाा रही उनकी तिनष्ठा और वचारिरक देढ़ार्ताा को देशामर्ताी है। तिवचार के प्रतिर्ता
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अनेक सस्कृतिर्तार्यं और पूर�पूराओं के उत्सव र्मं भांागौवर्ता जी पूरे पूूर्ण सर्मपूमर्ण और व्र्यवस्थााओं र्मं सर्मर्यानकली पूरिरवर्तामन करर्ता े
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उत्साह से शातिर्मली होर्ताे हं। वसे बहर्ता कर्म लीोगौं को र्ये पूर्ताा है तिक हुए उनके नर्ताृत्व र्मं सघ कार्य का तिनर�र्तार तिवस्र्ताार हो रहा है।
र्मोहन भांागौवर्ता जी अपूनी व्र्यस्र्तार्ताा के बीच स�गौीर्ता और गौार्यन र्म ं र्मं र्मा� भांारर्ताी की सवा र्मं सर्मतिपूमर्ता र्मोहन भांागौवर्ता जी के देीघम
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भांी रुतिच रखर्ताे है। वे तिवतिभांन्न भांारर्ताीर्य वाद्यर्य�त्रां र्मं भांी तिनपूर्ण हं। और स्वस्था जीवन की पूनः कार्मना करर्ताा ह�। उन्हं जन्र्मतिदेवस
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पूठन-पूाठन र्मं उनकी रुतिच, उनके अनेक भांाषार्णं और स�वादें पूर अनकानेक शभांकार्मनाए। n
38 न्यूू इंंडि�यूा समााचाार | 1-15 अक्टूूबर 2025