Page 11 - NIS Hindi November 16-30
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वष्ष 1950 में निए गए इस िो्ोग्ाि में संनवधान सभा के सभी प्रनतनननध हैं।
एवं जनजातलीर और अपवनजयात क्ेत्रों n पूववोत्तर सलीमांत जनजातलीर क्ेत्रों और क्ेत्रों (असम के क्ेत्रों को छोड़कर)
संबंधली सलाहकारली सनमनत असम के अपवनजयात और आंनशक रूप संबंधली उपसनमनत
वलिभभाई ्पटेि से अपवनजयात क्ेत्रों संबंधली उपसनमनत ए.वमी. ि्िर
मौनलक अनधकारों संबंधली उप-सनमनत गयो्पमीनाथि बारदयोियोई प्रारूप सनमनत
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जे.बमी. ि्पिानमी n अपवनजयात-आंनशक रूप से अपवनजयात िॉ. भमीमराव अंाबेििर
दिशेरताएं जो इसे िूसरों से अलग बनाती हैं...
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कई देशों के संववधान का वमलाजुला रूप: भारत का सनवधान तरार करने से पहले 60 देशों के सनवधान का अधररन नकरा गरा।
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इसनलए इन देशों के सनवधान में शानमल नवशि बातों को हमारे सनवधान में शानमल नकरा गरा। उदाहरण के नलए- प्रट्तावना को अमेररका से नलरा
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गरा। दोनों कली शयुरुआत WE THE PEOPLE से होतली है। पंच विवीर रोजना सोनवरत संघ, ट्वतंत्रता और समानता शबद फास, सयुप्रलीम कोट्ट कली
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शस्कतरां जापान, वरापार और वानणजर ननरम ऑट्रिेनलरा से नलए गए हैं। नागररकों को नदए गए मौनलक अनधकार अमेररकली सनवधान से प्रररत हैं।
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लचीला और कठोर भारत में संघवाद एकल नागररकता
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भारतलीर संनवधान कई जगह बहत लचलीला है संनवधान में संघ/ केंद्र-राजर सरकारों के भारत का संनवधान देश के प्रतरेक वरस्कत को
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तो कई जगह बहत कठोर। इसमें मौजूद कई बलीच सत्ता के बंटवारे का प्रावधान है। रह एकल नागररकता प्रदान करता है। भारत में
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अनचछेद ऐसे हैं नजनहें संसद बहत साधारण संघवाद कली अनर नवशेिताओं जैसे संनवधान कोई भली राजर नकसली अनर राजर के वासली होने
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बहमत से बदल सकतली है। कई अनचछेद में कली कठोरता, नलनखत संनवधान, दो सदनों के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। इसके
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बदलाव के नलए दो नतहाई सदट्रों कली सहमनत वालली नवधानरका, ट्वतंत्र नरारपानलका और अलावा, भारत में, नकसली भली वरस्कत को देश के
जरूरली है तो कुछ जगह बदलाव के नलए आधली संनवधान के वचयाट्व, को भली पूरा करता है। नकसली भली नहट्से में जाने और भारत कली सलीमा के
राजर सरकारों कली सहमनत कली जरूरत होतली है। इसनलए भारत एक संघलीर राषरि है। भलीतर कहीं भली रहने का अनधकार है।
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संरवधान िे भाग IV (अनुचछेद 36 से 50) में राज् नमीरत िे रनदरि रसद्धांतों िे बारे
राज्य नीवत के
वनददेशक वसदांत में बात िमी गई है। इनहें ियोट्ट में चुनौतमी नहीं दमी जा सितमी है, ्े मयोटे तौर ्पर समाजवादमी,
गांधमीवादमी और उदार-बौरद्धिता में वगजीिृत हैं।
मौवलक कत्तव्य संववधान संशोधन...
इनहें 42वें संनवधान संशोधन अनधननरम (1976) भारतलीर सनवधान जब तरार नकरा गरा तो इस बात का नवशि धरान रखा गरा
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विारा संनवधान में शानमल नकरा गरा है। इस उद्शर के नक बदलते वकत कली जरूरतों और पररस्ट््नतरों को धरान में रखते हयुए नवधानरका
नलए, एक नरा नहट्सा, भाग IV– ए बनारा गरा और रानली संसद इनमें बदलाव कर सके। सनवधान का अनतम ड्ाफट तरार होने स े
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अनचछेद 51– ए के तहत दस कतयावर शानमल नकए
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गए। रह प्रावधान नागररकों को इस बात कली राद पहले इसमें 2000 से जरादा संशोधन नकए गए ्े। 26 जनवरली 1950 को लाग ू
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नदलाता है नक अनधकारों का उपरोग करने के दौरान होने के बाद भारतलीर सनवधान में अब तक कुल 104 संशोधन हो चके हैं। कुल
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उनहें अपने कतयावरों का भली ननवयाहन करना चानहए। 126 बार सनवधान संशोधन संसद में पेश नकए गए हैं। 42वें सनवधान संशोधन
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इसके अनतररकत आपातकाल, वरट्क मतानधकार, के जररए सनवधान कली प्रट्तावना में 'समाजवादली', 'प्ननरपक्' और 'एकता व
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संसदलीर ट्वरूप और नरारपानलका से संबंनधत अखंडता' शबद जोड़े गए ्े। वट्त एवं सेवा कर (जलीएसटली) नवधरक 103वा ं
नवशेिताएं भली हमारे संनवधान में शानमल हैं। संशोधन ्ा। 104वां संशोधन जनवरली विया 2020 में नकरा गरा।
न्यू इंडिया समाचार 9