Page 14 - NIS Hindi November 16-30
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सपेशि ररपो् ्ट हमारा राष्ट् धवज
रतरंगे िा इरतहास
रतरंगा रसि्क एि धवज नहीं, बसलि अनेिता में एिता िे साथि भाईचारे, अनुरारसत जमीवन और
देर िे रिए खुद ियो न्ौछावर िरने िा संदेर भमी देता है।
1906 में भारत का गैर आनधकाररक धवज 1907 में भीका जीकामा द्ारा िहराया गया धवज
प्र्म राषरिलीर धवज 7 अगट्त 1906 को पारसली मैडम कामा ने 1907 में पेररस अौर बनलयान
बागान चौक (ग्लीन पाक्क) कलकत्ता(अब में इसे फहरारा। पटिली पर कमल नलरा गरा,
कोलकाता) में फहरारा गरा ्ा। जबनक 7 नसतारे सपतऋ नि को दशायाते हैं।
1917 में आंदोिन के दौरान िहराया गया धवज 1921 कांग्स की बैठक में िहराया गया धवज
े
विया 1917 में डॉ. एनली बेसेंट और लोकमानर नपंगलली वैंकैरा का तैरार धवज विया 1921
नतलक ने इसे आंदोलन के दौरान फहरारा। में नवजरवाड़ा में अपनारा गरा। भारत के
इसमें 5 लाल और 4 हरली क्ैनतज पनटिरां ्ीं। राषरिलीर धवज कली कलपना आंध्रप्रदेश के
मछललीपट् टनम के रहने वाले नपंगलली वेंकैरा
1931 में सवतंत्ता आंदोिन की पहचान बना धवज नंद ने कली ्ली। महातमा गांधली ने राषरिलीर धवज तैरार करने कली
विया 1931 में इस धवज में बदलाव नकए गए। नजममेदारली नपंगलली वेंकैरा को दली ्ली। इस झंडे में लाल रंग को नहंदू
यु
लाल रंग कली जगह केसरररा रंग को रखा और हरे रंग को मयुस्ट्लम समदार का प्रतलीक माना गरा ्ा। महातमा
गरा। केसरररा रंग को ऊपर, सफेद को बलीच गांधली ने लाला हंसराज कली सलाह पर इस झंडे में बलीच में सफेद
यु
में और हरे रंग को नलीचे जगह दली गई। पट् टली और उस पर चरखा जोड़ने का सझाव नदरा ्ा।
भारत का वत्षमान नतरंगा धवज
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22 जुिाई 1947 ियो संरवधान सभा ने मौजदा ्वरू्प वािे रतरंगे ियो ्वमीिार रि्ा।
इसमें चरखे िमी जगह 24 तमीरि्ों वािे अरयोि चक्र ियो ्थिान रद्ा ग्ा।
खादमी िा झंिा: झंडे के ननरम-कानून में ननधायाररत ्ा नक खादली के इस झंडे का प्ररोग नसफ्क ट्वतंत्रता नदवस और
गणतंत्र नदवस पर होगा। लेनकन 2002 में सयुप्रलीम कोट्ट में एक मामला गरा नजस पर कोट्ट ने अनर मौकों पर भली झंडे के प्ररोग
कली इजाजत दली और झंडा संनहता के ट््ान पर 26 जनवरली 2002 से “भारतलीर झंडा संनहता-2002” बनली। इस संनहता में तर
यु
नकए गए ननरम और शतायाें का पालन करते हए कोई भली आम नागररक राषरिलीर धवज फहरा सकता है।
केसरररा, सफेद और हरे रंग को अपने में समानहत नकए रे पावन है। मैदान-ए-जंग हो रा खेल का मैदान, रा नफर अंतररक् कली
धवज राषरिलीर गवया का प्रतलीक है। इसके बलीच में मौजूद अशोक उड़ान, नतरंगे कली मौजूदगली उसे बलंदली पर पहंचा देतली है। राषरिलीर
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चरि प्रगनतशलीलता का प्रतलीक है। नतरंगे कली गररमा और सममान शोक के मौके पर जब इसे आधा झकारा जाता है तो आंखें श्द्धा
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कली रक्ा के नलए जवान से लेकर नकसान, नखलाड़ली से लेकर से नम हो जातली हैं और जब देश पर प्राण नरौछावर करने वाले
वैज्ाननक सभली अपना सवयाट्व लगा देते हैं। नतरंगा हमारली शान हली शहलीदों के पान्व शरलीर पर इस नतरंगे को लपेटा जाता है तो वो
या
नहीं, दननरा भर में भारतलीर गणतंत्र और संप्रभयुत्ता कली पहचान भली अमर हो जाते हैं। n
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